Search
Close this search box.

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (निदेशालय भू -अभिलेख एवं परिमाप) बिहार, पटना द्वारा बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम के तहत विभिन्न संविदा पदों पर BCECEB के माध्यम से नवनियोजित विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी/ कानूनगो/ अमीन एवं लिपिक को माननीय मुख्यमंत्री, बिहार के द्वारा नियोजन पत्र वितरण समारोह का लाइव स्ट्रीमिंग किया गया। 

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

03, जुलाई, 2024 को मधेपुरा जिले के झल्लू बाबू सभागार में राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग (निदेशालय भू -अभिलेख एवं परिमाप) बिहार, पटना द्वारा बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त कार्यक्रम के तहत विभिन्न संविदा पदों पर BCECEB के माध्यम से नवनियोजित विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी/ कानूनगो/ अमीन एवं लिपिक को माननीय मुख्यमंत्री, बिहार के द्वारा नियोजन पत्र वितरण समारोह का लाइव स्ट्रीमिंग किया गया।

इस क्रम में आज माननीय प्रभारी मंत्री-सह-माननीय मंत्री ग्रामीण विकास विभाग, बिहार,पटना श्री श्रवण कुमार की अध्यक्षता एवं माननीय सदस्य विधानसभा, बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र श्री निरंजन कुमार मेहता की उपस्थिति तथा जिला पदाधिकारी मधेपुरा श्री विजय प्रकाश मीणा के नेतृत्व में मधेपुरा जिले के लिए नव नियोजित विशेष सर्वेक्षण सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी/ कानूनगो/ अमीन एवं लिपिक को नियोजन पत्र वितरित किया गया।

इस अवसर पर बंदोबस्त पदाधिकारी, मधेपुरा श्री ब्रजेश कुमार द्वारा बताया गया कि मधेपुरा जिला में कुल-13 अंचल हैं, जिसमें से पूर्व से चार अंचल क्रमश: गम्हरिया, शंकरपुर, सिंहेश्वर एवं कुमारखंड में विशेष सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। वर्तमान में कुल-4 अंचलों के कुल-114 मौजा में विशेष सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है। जिसमें से 88 मौजों का खानापुरी कार्य पूर्ण किया जा चुका है तथा अगले प्रक्रम की कारवाई चल रही है।

वर्तमान में जिले में सर्वे कार्य में संलग्न कुल-49 अमीन, 06 कानूनगो, 02 विशेष सर्वेक्षण सहायक बन्दोबस्त पदाधिकारी एवं 03 विशेष सर्वेक्षण लिपिक कार्यरत है। इसके अतिरिक्त विभिन्न राजस्व अंचलों में कुल-27 अमीन कार्यरत है। इन अमीनों को भी विभागीय निदेश के आलोक में विशेष सर्वेक्षण के कार्य का सैद्धांतिक व व्यवहारिक प्रशिक्षण प्रदान किया जाना है।

इस जिले के शेष अंचलो में विशेष सर्वेक्षण का कार्य प्रारंभ किया जाना है। आज के कार्यक्रम में *भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय, बिहार, पटना के द्वारा मधेपुरा जिला के लिए नियोजित कुल-50 अमीन, 20 कानूनगो, 20 लिपिक एवं 08 विशेष सर्वेक्षण सहायक बन्दोबस्त पदाधिकारी को नियुक्ति पत्र वितरण कराया गया।* इन सभी संविदा कर्मियों का योगदान दिनांक-04.07.2024 से दिनांक-10.07.2024 तक जिला बन्दोबस्त कार्यालय, मधेपुरा में लिया जायेगा। इस निमित कार्यालय में 04 काउन्टर बनाकर कर्मियों की टीम प्रतिनियुक्त की गई है।

इन सभी नवचयनित कर्मियों के विस्तृत सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण की व्यवस्था निदेशालय के द्वारा उपलब्ध कराये गये पाठ्यक्रम के अनुसार कला भवन, मधेपुरा में की जाएगी। जिसके लिए विस्तृत कार्यक्रम तैयार किया गया है।

#Information_and_Public_Relations_Department, #Government_of_Bihar #Vijay_Prakash_Meena #IAS #CMO #Bihar #Social_Welfare_Department, #Government_of_Bihar #General_Administration_Department Women_and_Child_Development_Corporation, Bihar #ICDS_Directorate #Bihar   #BRLPS #Jeevika

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

[the_ad id="32069"]

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।