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Covid-19। आलेख/कोरोना का शारीरिक एवं मानसिक प्रभाव/रीत कुमार रीत

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महामारियो का भी अपना एक इतिहास रहा है, कई महामारी पहले भी आई और अपना प्रभाव विश्व के अलग-अलग हिस्सों में छोड़ गई। प्लेग महामारी 16 वीं -17 वीं सदी में कभी अमेरिका, कभी लंदन, कभी फ्रांस तो कभी रूस को अपना शिकार बनाया और इन सभी जगहों पर लाखों लोगों ने अपना जान गवाएं। 18 वीं सदी में फ्लू महामारी रूस से निकलकर पूरे विश्व में फैला और 10 लाख से अधिक लोगों ने कुछ ही हफ्तों में अपनी जान गवा दिए। 19वीं शताब्दी प्रथम विश्व युद्ध के समय दुनिया ने स्पेनिश फ्लू महामारी को झेला जिसमें करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में लिया और लाखों लोगों ने अपनी जान गवाई। इसके बाद बीसवीं शताब्दी में एशियाई  फ्लू ईबोला आदी का प्रकोप रहा। सभी महामारियों का मनुष्य के जीवन शैली पर प्रभाव पड़ा और आवश्यकता अनुसार पहनावा से लेकर खानपान तक लोगों ने बदलाव किए। एशिया में पिछले कुछ समय से चीन महामारी का एक केंद्र सा रहा है, अधिकतर महामारी जैसे एशियाई फ्लू, स्वाइन फ्लू, SARS, MERS, और कोविड-19 वहीं से निकले। चीन में Covid 19 को गत वर्ष 2019 के नवंबर – दिसंबर में ही पहचान किया गया और भारत में फरवरी-मार्च 2020 में पुष्टि हुई। इतने दिनों में इस महामारी ने चीन, इटली, अमेरिका, फ्रांस, रूस, लंदन, भारत समेत कई बड़े और विश्व के सभी देशों में तेजी से फैल  और तबाही मचाई। कुछ ही समय में इस महामारी ने वैश्विक दहशत पैदा कर दी। आज विश्व इससे निपटने का प्रयास कर रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने अपनी वेबसाइट who.int में कोविड-19 को इस प्रकार परिभाषित किया है – “कोरोना वायरस रोग एक संक्रामक रोग है, जो एक नए खोजे गए कोरोना वायरस के कारण होता है। इससे बीमार पड़ने वाले अधिकांश रोगी हल्के से मध्यम लक्षणों का अनुभव करेंगे और विशेष उपचार के बिना ठीक हो जाएंगे।” covid-19 काफी तेजी से फैलने वाला बीमारी है यह वायरस मुख्य रूप से एक संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छिंकने पर मुंह और सास द्वारा निकलने वाले बूंदे के माध्यम से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह बूंदे किसी सतहों पर हो और दूसरा व्यक्ति द्वारा उस दूषित सतह को छूकर अपनी आंख नाक एवं मुंह को छू लेने से भी होता है।

करोना वायरस बीमारी की खास बात यह है कि अलग-अलग लोगों को अलग-अलग तरीके से प्रभावित करता है। इससे लक्षण के आधार पर 3 वर्ग किए गए हैं सबसे आम लक्षण बुखार, सूखी खांसी और थकान रोगी के द्वारा महसूस किया जाता है। कम सामान्य लक्षणों में रोगी को गले में खराश, सर एवं बदन में दर्द, स्वाद या गंध का अनुभव ना होना, आंखों में जलन या दस्त का होना देखा गया है। वहीं गंभीर लक्षण में सांस लेने में कठिनाई सीने में दर्द या दबाव महसूस करना और बोलने में जुबान का लड़खड़ाना देखा गया है। गंभीर लक्षणों के रोगी को तत्काल ही चिकित्सा की जरूरत होती है। ऐसे रोगी को डॉक्टर एवं स्वास्थ्य सुविधाओं का सेवा लेना चाहिए इनका डॉक्टर की निगरानी में देखभाल किया जाना चाहिए। साथ ही निरोगी एवं उनके परिवार वालों को डॉक्टर की सलाह का पालन करना चाहिए। वायरस से संक्रमित व्यक्ति में लक्षण दिखने में औसतन एक हफ्ता का समय लगता है, इसलिए हल्की लक्षण वाले रोगी को अपने घर पर ही प्रबंधन करना चाहिए। भारत में आयुष मंत्रालय ने इससे संबंधित कुछ सलाह विज्ञापित किए हैं; जैसे- गर्म पानी, हर्बल चाय, औषधीय काढ़ा, गर्म दूध हल्दी के साथ, नींबू या संतरा का जूस, विटामिन सी एवं विटामिन डी वाले खाद्य सामग्री को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए। व्यक्ति के रोग प्रतिरोधक क्षमता को केंद्रित करते हुए उसे बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ की सलाह दी गई है।

वर्तमान में कोविड-19 के रोगियों की संख्या भारत में 25,000,00 है और निरंतर इसमें वृद्धि हो रही है, लगभग 50,000 लोग अपनी जान गवाई हैं। भारत में कोरोना से मरने वाले रोगियों की मृत्यु दर 3% है। विश्व में भारत इस बीमारी से प्रभावित होने वाले सूची में तीसरे स्थान पर है।जैसा कि हम जानते हैं भारत क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से सातवां बड़ा देश है, और जनसंख्या के दृष्टिकोण से दूसरा बड़ा देश है। ऐसी स्थिति में भारत सरकार ने इस महामारी से लड़ने के लिए लॉकडाउन जैसे प्रारंभिक कदम उठाए, और देश के विभिन्न हिस्सों में जरूरत के हिसाब से लॉकडॉउन बढ़ते चले गए। आज करीब 4 महीने से भारत कभी पूर्ण तो, कभी आंशिक लॉकडॉउन झेल रहा है। यह एक ऐसी स्थिति है जहां सड़कों पर वाहन, स्कूल, मॉल सिनेमाघर, बाजार सभी के खुलने पर प्रतिबंध होता है। केवल अति आवश्यक कार्य के लिए कुछ सरकारी एवं निजी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है; जिसमें मुख्य रुप से खाद्य सामग्री एवं स्वास्थ्य सुविधाएं आती है। लोगों का पूरा समय अपने घरों पर बितता है। सारे प्रतिष्ठान एवं कार्यालय बंद है या फिर कर्मचारी अपने घरों से काम कर रहे हैं। लोगों का शारीरिक श्रम कम हो गया है और घर से बाहर न निकल पाने की वजह से मानसिक दबाव भी महसूस कर रहे हैं। अब प्रश्न यह उठता है कि लोग कितने दिनों तक ऐसी स्थिति में रह सकते हैं ? साथ ही मीडिया एवं सोशल साइटों से भ्रामक जानकारियां फैल रही हैं, जिससे लोगों में भय का माहौल पैदा हो रहा है। मनोवैज्ञानिकों ने एक सर्वे में पाया है इन दिनों में चिड़चिड़ापन, घरेलू हिंसा, महिला एवं बच्चों के विरुद्ध हिंसा, आदि में वृद्धि हुई है। शारीरिक गतिविधियां कम होने की वजह से लोगों में मधुमेह, रक्तचाप, अनिद्रा आदि बीमारियां बढ़ी है। कोरोना वायरस का शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ रहा है।
इसके प्रभाव मुख्य रूप से निम्न है जिनको शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर अलग-अलग देखा जा सकता है।
1. शारीरिक स्तर पर प्रभाव पड़े हैं –
i. मोटापा – लॉकडॉउन ने सभी चीज़ों को अव्यवस्थित कर दिया है, जिसके परिणास्वरूप लोगों की जीवनशैली अनियमित हो गई है। इस प्रकार का जीवनशैली और असंतुलित भोजन ही मोटापा का मुख्य कारण होता है। फिर मोटापा कई और बिमारियों को आमंत्रित करता है।
ii. हाई एवं लो ब्लड प्रेशर – खान-पान में अनियमिता रक्तचाप के कारण हैं जिसमें नमक का अहम भूमिका होता है। वैसे रक्तचाप साधारण बीमारी मानी गई हैं परंतु जब यह एक स्तर से कम या अधिक हो जाती है तो अन्य बड़ी बीमारियों की संभावनाएं बढ़ जाती है जिसमें हार्टअटैक एवं पैरालिसिस मुख्य हैं।
iii. मधुमेह – शारीरिक गतिवधियां कम होने के कारण और मात्रा से अधिक कार्बोहाइड्रेट युक्त भोजन करने से शरीर में गुल्कोज की मात्रा बढ़ जाती है, जो कि मधुमेह का मुख्य कारण माना गया है।
iv. अनिद्रा – अभी लोगों का अधिक वक़्त घरों में बीत रहा है, जिस वजह से लोगों की सोने के समय में बदलाव हुआ है। शोर और अत्यधिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे मोबाइल, टेलीविजन एवं अन्य उपकरणों के प्रयोग की वजह से भी अनिद्रा हो जाती हैं।
v. आलस्य और अकड़न – एक ही स्थिति में अधिक वक़्त बिताने के कारण शरीर में अकड़न एवं आलस्य मन में घर कर लेता है और व्यक्ति कुछ किए बिना ही थकावट महसूस करता है।
2. मानसिक स्तर पर निम्न प्रभाव पड़े हैं –
i. अवसाद – हम में से कोई भी लंबे समय तक घरों में अकेला रहना पसंद नहीं करता, तभी तो हमें एक सामाजिक प्राणी कहा जाता है। परन्तु आज ऐसी परिस्थिति है कि व्यक्ति को मन के विपरित कार्य करना पड़ रहा है, जो कि मनोदशा को प्रभावित करती है और व्यक्ति को अवसाद के ओर ले जाती है।
ii. अकेलापन – अधिकतर लोग पढ़ाई, व्यवसाय और रोजगार के लिए शहर में अकेले रहा करते है, उनके परिवार या परिजन दूर होते है। अब इस प्रस्थिती में एक जगह से दूसरे जगह जाना संभव नहीं हो पा रहा है। माता पिता अपने बच्चों के लिए, युवा वर्ग अपने बूढ़े मां बाप के लिए और परिवार वाले अपने संबंधी के लिए परेशान हैं। अलग अलग होने एवं ना मिल पाने की वजह से अकेला महसूस कर रहे हैं।
iii. चिंता या तनाव – युवाओं को कैरियर और रोजगार की चिंता है, वहीं निजी संस्थान कर्मचारियों में या उन के सैलरी में कटौती कर रही है। जो कि उनके तनाव के कारण बन रहे हैं। विद्यार्थियों को पढ़ाई की और होने वाले परीक्षाओं की चिंता हो रही है। कई लोग आर्थिक एवं पारिवारिक समस्याओं से चिंता या तनाव के चपेट में आ रहे हैं।
iv. चिड़चिड़ापन – लंबे समय से स्वभाव से प्रिये कार्य ना कर पाने और अत्यधिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल से व्यक्ति चिड़चिड़ा होता जा रहा है।
v. भय या वहम – लोगों को अपने रोजगार खोने का भय सता रहा है साथ है सोशल मीडिया के भ्रामक जानकारियां मन में वहम पैदा कर रही हैं। थोड़ा सा भी अस्वाथ होने पर लोगों में करोना वायरस का भय बन जा रहा है।
vi. मानसिक विकार से ग्रस्त होना – अभी अधिक समय लोग अपना इंटरनेट उपयोग कर के बिता रहे हैं, बहुत तरह के गैर आवश्यक और युवाओं को भटकाने वाले वेबसाइट और मनोरंजन के साधन उपलब्ध है जो कि मानसिक विकार उत्पन्न कर रहे हैं। लोगों को हिंसक, अश्लील और कामुक बना रहे हैं। रंग, जाति, धर्म एवं लिंग के आधार पर भेद भाव को बढ़ावा दे रहे हैं।
vii. अपने आप से बातें करना – वैसे तो हम सभी स्वयं से बातें करते है जब तक यह केवल अपने आप को जानने की प्रक्रिया है तो बेहतर है परन्तु जब यह असमान्य हो जाय तो इसका मतलब है व्यक्ति की मानसिक स्वास्थ्य सही नहीं हैं। व्यक्ति गहरे अवसाद में है या फिर पागलपन का शिकार होने को है।
इस तरह कई शारिरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्या हैं, जो इस महामारी के साथ मिलकर जीवन को प्रभावित कर रही हैं। अब प्रश्न यह है कि व्यक्ति कैसे इन सभी समस्या से निजात पा सकता है? आखिर ऐसा क्या किया जाएगा की इस विषम परिस्थितियों में भी आम लोगों के जीवन को तत्काल सुलभ बनाया जा सके? क्या कोई ऐसे उपाय है जो इस महामारी के वक़्त में भी लोगो को शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थ रख सके?
डाक्टरों, मनोचिकित्सकों और विशेषज्ञों ने कुछ सुझाव दिए हैं जो लोगों को शारीरिक एवं मानसिक स्तर पर स्वस्थ रहने के लिए मदगार हैं। इन उपायों को व्यक्ति आसानी से थोड़े से प्रयास से कर सकता है और विपरित प्रभाव से बच सकता है। कुछ सुझाव हैं ; व्यक्तियों को चाहिए कि वह एक निश्चित समय में ही सोएं और भोजन करें, भोजन स्वस्थवार्धक करें, हो सकें तो भोजन में तेल, मसालों का उपयोग कम करें। सुबह या शाम कोई एक वक़्त निश्चित तौर पर योग या व्यायाम अवश्य करें। चाय कॉफ़ी से परहेज़ करें एवं जूस या औषधीय काड़ा का प्रयोग पर जोड़ दें।  परिवार को वक़्त दे, मोबाइल टेलीविजन आदि के साथ समय कम दे। इन समयो को प्रबंधन करें, कुछ नया सीखे या दूसरों को सिखाएं। एक समझ पैदा करें और समस्या को साझा करें मिल कर हल निकालें। अफवाहों को रोकें और सही जानकारी जुटाएं, साथ ही लोगो को भी जागरूक करें। कोई भी समस्या सदैव के लिए नहीं होती, अस्थाई होती है चाहे यह करोना महामारी हो या आप का स्वयं का निजी समस्या। इसलिए व्यर्थ के तनाव एवं चिंताओं से दूर रहिए, प्रसन्न रहने का प्रयास कीजिए और एक पॉजिटिव ऊर्जा का संचार महसूस कीजिए।
रीत कुमार रीत
विजिटिंग फैकल्टी, डिपार्टमेंट ऑफ बी. बी. ए.,
टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा, बिहार

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