Dharohar। भागलपुर का श्रीराधाकृष्ण मंदिर : वैभवशाली अतीत-बदहाल वर्तमान

भागलपुर जिलान्तर्गत बरारी गंगा नदी तट पर  प्रसिद्ध श्रीराधाकृष्ण मंदिर स्थित है। यह मंदिर अपनी भव्यता के लिए जाना जाता है। यह मूर्तिकला, वास्तुकला और स्थापत्यकला का एक बेजोड़ नमूना और भारतीय सभ्यता-संस्कृति की एक धरोहर है। इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1905 में किया गया था। यह राधाकृष्ण का भव्य मंदिर बरारी स्टेट के तत्कालीन जमींदार स्व ब्रज मोहन ठाकुर जी ने बनवाया था। यह प्राचीन मंदिर अनोखा है, मंदिर की दीवारों पर सुंदर कलाकृतियां बनी हुई हैं, पर्यटक नक्काशी को देखकर दंग रह जाते हैं। मंदिर के पश्चिम की ओर तथा उत्तर गंगा नदी की ओर दो विशाल कलात्मक द्वार बने हुए हैं। दीवारों पर की गयी कलाकृति, मंदिर के गुम्बद और मीनारें को देखकर इसकी भव्यता का अनुमान लगाया जा सकता है। मुख्य गुम्बद के चारों तरफ कमल पुष्प आकार के आठ गुम्बदें है। मंदिर निर्माण में सुरखी, चूने का उपयोग किया गया है। मंदिर के पश्चिम की ओर तथा उत्तर गंगा नदी की ओर दो विशाल कलात्मक द्वार बने हुए हैं। दीवारों पर की गई कलाकृति, मंदिर के गुम्बद और मीनारें को देखकर इसकी भव्यता का अनुमान लगाया जा सकता है। मुख्य गुम्बद के चारों तरफ कमल पुष्प आकार के आठ गुम्बदें है। मंदिर निर्माण में सुरखी, चूने का उपयोग किया गया है। मंदिर और सीढ़ी निर्माण में उपयोग की गई ईंटें पुरातत्व इतिहास के बेहतरीन कला का एक नमूना दर्शाता है। यह मंदिर अष्टकोणीय आकार का है। मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित श्री कैलाश नाथ ठाकुर जी हैैं। पतित पावनी गंगा नदी, जिसका पवित्र पानी सारे पाप धो देने की मान्यता रखता है वह मंदिर के सामने उत्तर दिशा की ओर है। मंदिर से गंगा नदी तक जाने के लिए लंबी सीढियां है।कुछ ही दूरी पर उत्तरी और दक्षिणी बिहार को जोड़ने वाली विक्रमशिला सेतू है। यहाँ के बुजुर्ग बताते हैं कि दरभंगा से एक साधू गंगा स्नान के लिए बराबर यहां आते थे। यहाँ के जमींदार ब्रजमोहन ठाकुर संतान सुख से वंचित थे। किसी ने उन्हें बताया कि गंगा स्नान के लिए जो महात्मा आते हैं, आप उनसे आशीर्वाद लीजिए। साधू ने गंगा तट पर यज्ञ करवाया, जिसके फलस्वरूप कुछ दिनों बाद संतान प्राप्ति हुई। इसके बाद महात्मा के आज्ञानुसार यज्ञ स्थल पर श्रीराधाकृष्ण का भव्य मंदिर निर्माण करवाया गया। इस मंदिर में पहले अष्टधातु से निर्मित बहुमूल्य श्री राधाकृष्ण की मूर्ति थी, जिसे ब्रजमोहन ठाकुर जी की मृत्यु के बाद यहाँ से हटा लिया गया। और बनारस से पत्थर से निर्मित मूर्ति को मंदिर में स्थापित किया गया। आज यह धरोहर उचित देखभाल के अभाव में जर्जर होते जा रहा हैं। गंगा घाट से सटी एक मीनारें टूट गई है, अभी सिर्फ एक मीनारें बची हुई है। मंदिर में भी कई जगह दरारें पड़ गयी है। साथ ही यहाँ श्रीसीताराम दरबार और जागरुक श्रीहनुमानजी की अर्चना मूर्ति प्रतिष्ठित हैं और इसके साथ साथ मदनेश्वरमहादेव नर्मदेश्वरशिवलिंग विराजमान शिव सकल परिवार शिवालय भी स्थित हैं। सनातन संस्कृति व कला को बचाने के लिए ऐसे धरोहरों की संरक्षण की आवश्यकता है। हालांकि यह मंदिर निजी संपत्ति है, फिर भी कुछ साल पहले स्थानीय समाज सेवकों द्वारा मंदिर के मुख्य द्वार का रंग-रोगन किया गया था। डॉल्फिन अभ्यारण्य के तहत गंगा बिहार करते हुए इसे कभी बिहार के मुख्यमंत्री ने देखा तो कभी उपमुख्यमंत्री ने देखा। इस गंगा घाट पर देश के कई केंद्रीय मंत्रियों का आगमन हो चुका है। वर्ष 2013 में भाजपा के राष्ट्रीय नेत्री सुश्री उमा भारती जी गंगा आरती की थी।

यहाँ श्रीराधाकृष्ण के अलावा श्रीगणेश एवं नंदी की भी आकर्षिक मूर्ति लगी है। इन मूर्तियों का पुरातत्व की दृष्टि से काफी महत्व है। वक्त पुरातत्व विभाग और इतिहासकारों ने इस मंदिर की जानकारी मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री जी को भी दिया। लेकिन दुर्भाग्य ये रहा इसे न तो निजी स्तर और न ही सरकारी स्तर से विकास के लिए कदम उठाया जा सका। गंगा स्नान से सारे पाप धुल जाते हैं, ऐसी लोगों की मान्यता रहती है। गंगा में लगाई गई एक डुबकी ही श्रद्धालुओं को क्षणभर में पवित्र कर देती है। इस गंगा नदी के तट पर पर्व-त्योहारों के अवसर पर श्रद्धालुओं की भीड़ रहती हैं। सावन-भादों के महीने में कांवरिया यहाँ से गंगा जल भरकर बाबा भोले के विभिन्न मंदिरों में जाते हैं।धर्मिक संयोजक एवं नमामि गंगे के सलाहकार पंडित श्री जटाशंकर मिश्रा जी के द्वारा प्रत्येक दिन संध्या समय में भव्य गंगा महाआरती का आयोजन किया जाता है। आरती से पूर्व इनके और इनके कार्यकर्ताओं के द्वारा गंगा के किनारे साफ-सफाई किया जाता है। पंडित मिश्रा जी कहते हैं कि इस गंगा तट पर गंगा आरती की शुरुआत वर्ष 2003 में मेरे पिताजी ब्रह्मलीन पंडित महेंद्र मिश्रा जी ने की। भारतीय स्टेट बैंक भागलपुर प्रधान कार्यालय में कैंशियर रहते हुऐ “गंगा मैईया की जल अविरलता,जल की निर्मलता और नियामित घाट की स्वच्छता” बनाऐ रखने के लिऐ सदा प्रयासरत रहें। पंडित जटाशंकर मिश्रा अपने अनुयायी श्री जगदीश खंडेलवाल जो कि मध्य प्रदेश इंदौर निवासी हैं अपनी संस्था पेक ग्लोबल एवं बालाजी एग्रों ऑर्गेनिक्स एण्ड फर्टिलाइजर्स प्रा. लि. के द्वारा नियामित श्रीगंगा महाआरती में होने वाले खर्च का जिम्मा लेकर इस अभियान में तन, मन, धन से सहभागिता के लिऐ साथ आऐ। लोगों के मन में गंगा मैंईया के प्रति श्रद्धा, भक्ति का भाव बढे़ और गंगा नदी में कुड़ा-कचरा ना फेंके, डाॅल्फिन एवं जलीय-जीव का संरक्षण हो,घाट स्वच्छ रखें इन सभी विचारों के साथ गंगा महाआरती आयोजित किया जाता हैं। इनके साथ इस अभियान में कई लोग जुड़कर गंगा मईया की सेवा कर रहे हैं। गंगा आरती को सोशल मीडिया के माध्यम से देश -विदेश के लोग दर्शन और पर्यटन का लाभ ले रहे हैं और सनातन धर्म एवं संस्कृति से उनका साक्षात्कार हो रहा है। मंदिर की दिवारों पर उकेरी गई धार्मिक कलाकृतियाँ लोगों के आकर्षण का केन्द्र हैैं, जिसे संरक्षित करने की  जरुरत है। मंदिर का वर्तमान बदहाल है। यह इस बात का प्रतीक है कि हम अपनी धरोहरों के संरक्षण के प्रति उदासीन हैं।धार्मिक कलाकृति उकेरी गई हैैं, जिसे संरक्षित करने की  जरुरत है
रिपोर्ट : मारूति नंदन मिश्र, नयागाँव, खगड़िया, बिहार