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Madhepura संदीप के सपनों को साकार करें युवा।

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*समिधा ग्रुप के संस्थापक संदीप शांडिल्य के कर्म में हमेशा मधेपुरा का विकास रहा प्रमुख*

*पुण्यतिथि पर आयोजित क्विज सहित विभिन्न विधाओं में सफल छात्रों को किया गया सम्मानित*

मंगलवार को जिला मुख्यालय के समिधा ग्रुप परिसर में संस्था के संस्थापक एवं मधेपुरा में कंप्यूटर शिक्षा के सजग चिंतक संदीप शांडिल्य की तीसरी पुण्यतिथि मनाई गई। इस अवसर पर कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता बीएनएमयू के कुलानुशासक डॉ. विश्वनाथ विवेका ने कहा कि संदीप शांडिल्य मधेपुरा की उपज रहे। कंप्यूटर के क्षेत्र मे मधेपुरा को समृद्ध बनाने में उनकी अहम भूमिका रही। समिधा ग्रुप उनके उसी संकल्प का साकार रूप है ।यहां से लगातार शिक्षा प्राप्त छात्र बड़े-बड़े पदों पर कार्यरत हैं।

उन्होंने कहा कि हम उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का प्रयास करें, यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

मुख्य अतिथि बीएनएमयू के उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि संदीप शांडिल्य की उम्र कम रही, लेकिन उनके सपने बहुत बड़े-बड़े थे। उन्होंने मधेपुरा के लिए कई खूबसूरत सपनों की नींव रखी। उस को साकार रूप देना वर्तमान पीढ़ी की जवाबदेही है।

उन्होंने कहा कि संदीप ने मधेपुरा को कंप्यूटर एवं आईटी सहित अन्य क्षेत्रों में बहुत कुछ दिया, जो आज समाज की बड़ी जरूरत बन गई है। उनके द्वारा स्थापित समिधा संस्था आज युवाओं में उम्मीद की किरण जैसा है। यहां संदीप की पुण्यतिथि से लगातार एक सप्ताह तक उनके नाम से युवाओं के लिए भाषण, निबंध, चित्रकला आदि प्रतियोगिताएं आयोजित करने की जरूरत है।

विशिष्ठ अतिथि टी. पी. कालेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमिताभ कुमार ने कहा कि संदीप एवं समिधा ग्रुप कई सपनों का केंद्र रहा है। उन सपनों को साकार करने की जरूरत है।

पत्रकार प्रशांत कुमार ने कहा कि संदीप एक अच्छे मित्र एवं नेकदिल इंसान थे।

संस्था के संरक्षक संतोष झा ने कहा कि संदीप चाहते थे कि संस्थान के युवा समाज एवं राष्ट्र के लिए कार्य करें और हमारे मधेपुरा का समग्र विकास हो।

कार्यक्रम का संचालन युवा उद्घोषक हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने किया। उन्होंने कहा कि संदीप ने मधेपुरा के युवाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कार्यक्रम के प्रारंभ में अतिथि को डायरी और कलम से सम्मानित किया गया और अंत में दो मिनट का मौन रखकर संदीप शांडिल्य को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर आयोजित क्विज प्रतियोगिता के सफल प्रतिभागियों सहित केवाईपी, बीएससीएफए के सफल छात्रों को सम्मानित किया गया। क्विज में प्रज्ञा, अमृत, कोमल, सौम्या भारती, शिवानी क्रमश पहले से पांचवे स्थान पर रहे। वहीं केवाईपी में शिवाली, कल्पना, स्नेहा, रोहित, अभिषेक, सुहानी, अनुष्का को और बीएस सीएफए में वैभव, नजीरा प्रवीण, रानी, अंकित, शुभांगी को प्रमाण पत्र एवं उपहार दिया गया।

इस अवसर पर समिधा ग्रुप की सबिता झा, कोऑर्डिनेटर-अंशु राज, आकाश कुमार, संतोष कुमार, सोनू, वैभव, राजिया प्रवीण, साक्षी, राजनंदनी, आलोक कुमार उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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