Search
Close this search box.

NSS शिविर का पांचवां दिन।

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*शिविर का पांचवां दिन*

कुदरत ने स्त्रियों को विशिष्ट गुण प्रदान किया है, जो उसे पुरुषों से अलग बनाती है। वह अपने गर्भ में नौ माह तक शिशू को धारण करती हैं।

यह बात स्त्री रोग विशेषज्ञ मनीषा भारती ने कही। वे ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय की एनएसएस प्रथम इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के पांचवें दिन सोमवार को स्त्री-स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि स्त्रियों को अपने खान-पान एवं जीवनशैली पर विशेष ध्यान देना चाहिए। अन्यथा स्त्री का सारा सौन्दर्य होने लगता है और गर्भधारण क्षमता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

उन्होंने बताया कि स्त्री के शरीर में कुदरती रचना का एक अद्भुत नमूना है। इससे हर महीने 28 दिन के बाद योनि मार्ग से रक्तस्राव होता है। यह रक्तस्राव साधारणतः हर महीने 4-5 दिन तक रहता है। यदि यह स्राव बढ़कर 7-8 दिन चले या घटकर केवल 1 या 2 दिन ही रहे, तो यह मासिक चक्र की गड़बड़ी कहलाती है।

उन्होंने बताया कि स्त्री के मासिक चक्र और गर्भधारण क्षमता में सीधा तालमेल व सम्बन्ध होता है। समझदार स्त्रियों को चाहिए कि वे अपनी मासिक की गड़बड़ी एवं मासिक के समय होने वाले अन्य शारीरिक कष्टों एवं शिकायतों का बिना किसी शर्म-संकोच के जल्दी ही सही-सटीक व उचित इलाज करा लें।

उन्होंने स्त्रियों की अन्य समस्याओं और खासकर बांझपन आदि के कारण एवं निवारण पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने छात्राओं को विशेष रूप से सलाह दिया कि वे अपने शरीर की स्वच्छता का ख्याल रखें, वजन पर नियंत्रण रखें और मानसिक तनाव से बचें।

इस अवसर पर फिजिशियन डा. गंगेश कमार गुंजन ने कहा कि आमतौर पर भारतीय महिलाएं अपने खान-पान पर पर्याप्त ध्यान नहीं देती हैं। इसके कारण उन्हें कई स्वास्थ्य समस्याओं से जुझना पड़ता है। अतः हम सबों की यह जिम्मेदारी है कि हम अपने घर की महिलाओं के खान-पान का विशेष ख्याल रखें। महिलाओं को पर्याप्त आराम का भी ध्यान रखा जाना जरूरी है।

कार्यक्रम में की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डाॅ. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि पिछले छह वर्षों में महाविद्यालय में छात्रोपयोगी गतिविधियां बढ़ी हैं। विद्यार्थियों को इसका लाभ उठाना चाहिए।

अतिथियों का स्वागत करते हुए मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि युवाओं को पठन-पाठन के साथ-साथ सामाजिक सरोकारों से भी जुड़न चाहिए।

संचालन करते हुए दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि सेवा में ही सच्ची शक्ति होती है। हम सबों को सेवा भावना से काम लेना चाहिए।

धन्यवाद ज्ञापन एनसीसी पदाधिकारी लेफ्टिनेंट गुड्डु कुमार ने कहा कि विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में एनएसएस एवं एनसीसी की महती भूमिका है। इससे जुड़ने से विद्यार्थियों को की तरह का लाभ होता है।

इस अवसर पर छात्राओं के साथ अलग से प्रश्नोत्तर सत्र भी आयोजित किया गया। इसमें कई छात्राओं ने प्रश्न पुछे। दोनों अतिथियों का अंगवस्त्रम् से सम्मान भी किया गया।
*बुधवार को होगा शिविर का समापन*
प्रधानाचार्य डाॅ. कैलाश प्रसाद यादव ने बताया कि शिविरार्थियों को वार्ड नंबर -4 के लोगों के बीच सर्वेक्षण करना है। कम-से-कम पांच फार्म भरकर जमा करने के बाद प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। बुधवार को शिविर का समापन होगा।

*शिविर में शामिल हैं पचास स्वंयसेवक*
आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि शिविर में पचास चुने हुए स्वयंसेवक- स्वयं-सेविकाएँ भाग ले रहे हैं।

इनमें लवली कुमारी, लवली कुमारी, खुशबू कुमारी, निभा कुमारी, निधि कुमारी, अनुपम कुमारी, श्वेता कुमारी, संजना कुमारी, नैना कुमारी, रविका काजमी, रोशनी खातून, निभा कुमारी, कृष्णा कुमारी, आरती कुमारी आदि शामिल हैं।

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

[the_ad id="32069"]

READ MORE

बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।