Covid-19। कोरोना से जंग-भारतीय संस्कृति के संग।

कोरोना से जंग-भारतीय संस्कृति के संग।
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कोरोना के कहर से पूरी दुनिया त्रस्त है।  बिहार सहित देश के कई राज्यों में लाॅकडाउन है और विश्वविद्यालय में भी कामकाज प्रभावित हुआ है।

 

मधेपुरा के वरिष्ठ नागरिक सह कुलपति के निजी सहायक और शंभू नारायण यादव का कहना है कि उन्होंने आज तक ऐसी आपदा के बारे में नहीं सुना था। यह एक बड़ी त्रासदी है। इसमें हम सबों को सावधानी बरतने की जरूरत है। खासकर बिहार में विशेष सतर्कता की जरूरत है; क्योंकि यहाँ कोरोना जांच की भी सुविधा नहीं है। यह हमारे लिए शर्म की बात है कि हमने कोरोना पीड़ित का सैम्पल राँची भेजा और जबतक रिपोर्ट आई, मरीज की मौत हो गई। अतः माननीय मुख्यमंत्री एवं माननीय  स्वास्थ्य मंत्री को सभी कामों को छोड़कर स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त करने पर ध्यान देने की जरूरत है। यहां  सभी मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में कोरोना जांच की मुकम्मल व्यवस्था हो और हर प्रखंड में आसोलेशन वार्ड बने। साथ ही डाक्टर, नर्स एवं अन्य चिकित्सा कर्मियों को विशेष सुविधा देना जरूरी है।

 

बीएनएमयू के  सिंडीकेट सदस्य सह राजनीति विज्ञान विभाग, टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा के अध्यक्ष डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा है कि हमें  कोराना को लेकर राजनीति एवं ढकोसले से दूर रहना चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सभी नागरिकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करे। कोरोना को लेकर  देश में अफरा-तफरी का माहौल है। बड़ी संख्या में बिहारी मजदूर और विद्यार्थी अन्य राज्यों में फंसे हैं। उन्हें सभी सुविधाएं मिलें। सभी राज्यों की सरकारों को चाहिए कि वे राज्य में रहने वाले सभी लोगों और विशेषकर मजदूरों एवं विद्यार्थियों की सुविधाओं पर ध्यान दें।

 

जनसंपर्क पदाधिकारी सह दर्शनशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. सुधांशु शेखर ने कहा है कि इलाज से परहेज अच्छा होता है। अतः हमें संयम, सुचिता एवं सादगी का जीवन जीना चाहिए, ताकि कोरोना या कोई अन्य महामारी हो ही नहीं। हमें प्रकृति- पर्यावरण की ओर लौटना होगा। हम संयम, सुचिता एवं सादगी पर आधारित पारंपरिक  जीवनशैली को अपनाकर ऐसी महामारियों से बच सकते हैं और स्वस्थ एवं दीघार्यू जीवन का आनंद ले सकते हैं।
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