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NYK नेहरू युवा केन्द्र संगठन द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित त्रिदिवसीय युवा नेतृत्व एवं सामुदायिक विकास प्रशिक्षण शिविर का आयोजन

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युवाओं पर ही निर्भर है राष्ट्र का भविष्य : प्रो. नरेश कुमार

युवा ऊर्जा के अक्षय भंडार हैं और उनके ऊपर ही समाज एवं राष्ट्र का भविष्य निर्भर है। अतः युवाओं का समुचित शिक्षण एवं प्रशिक्षण हम सबों की जिम्मेदारी है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा में आईक्यूएसी के निदेशक प्रो. नरेश कुमार ने कही।

वे नेहरू युवा केन्द्र संगठन द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित त्रिदिवसीय युवा नेतृत्व एवं सामुदायिक विकास प्रशिक्षण शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि युवाओं को सामुदायिक विकास जिम्मेदारी लेनी चाहिए और समाज एवं राष्ट्र को अग्रिम पंक्ति में लाने का संकल्प लेना चाहिए।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता असिस्टेंट प्रोफेसर (दर्शनशास्त्र) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि कभी भी परीक्षा में प्राप्त अंक के आधार पर अपना मूल्यांकन नहीं करें। कोई एक परीक्षा या कोई एक परिणाम आपके पूरे जीवन का निर्धारण नहीं कर सकती है। न सफलता से इतराएँ और न ही असफलता से घबड़ाएं।

उन्होंने कहा कि हमेशा अपना आत्ममूल्यांकन करें और प्रत्येक दिन स्वयं को बेहतर बनाने की कोशिश करें। दूसरों से नहीं, बल्कि स्वयं से प्रतियोगिता करें।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. भूपेंद्र नारायण यादव मधेपुरी ने की। संचालन सीनेटर रंजन यादव ने किया।

इस अवसर पर मनोविज्ञान विभाग के डॉ. सिकंदर कुमार, कार्यक्रम संयोजक नीतीश कुमार, आमोद आनंद, रंगकर्मी विकास कुमार, सौरभ कुमार, पत्रकार मनीष कुमार, बिपिन कुमार, मो. इरशाद आलम, आनंद कुमार, स्वीति जोशी, नीलू कुमारी, विभा कुमारी, प्रिंस कुमार, कुमार संभव, विक्रम कुमार, चंदन कुमार, सौरभ कुमार, सोनू कुमार, बाबू साहब, इरशाद आलम, आनंद कुमार, स्वाति जोशी, मो. रहमतउल्ला, दिब्यांशु कुमार, बिपिन कुमार, नीलू कुमारी, रानी कुमारी, अजय कुमार सहित काफी संख्या में प्रतिभागी मौजूद थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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