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Jannayak छात्रावास में याद किए गए जननायक कर्पूरी ठाकुर

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छात्रावास में याद किए गए जननायक कर्पूरी ठाकुर
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जननायक कर्पूरी ठाकुर सादा जीवन एवं उच्च विचार के प्रतिक थे। उनके कार्यों एवं विचारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

यह बात मधेपुरा के जिला कल्याण पदाधिकारी ने कही। वे मंगलवार को जननायक कर्पूरी ठाकुर की सौवीं जयंती पर आयोजित समारोह में उद्घाटन कर्ता के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास, मधेपुरा कालेज, मधेपुरा में किया गया।

उन्होंने कहा कि कर्पूरी के जीवन में टीम वर्क देखने को मिलता है। हम उससे प्रेरणा लें और अपने समाज एवं राष्ट्र के लिए कुछ करें।

उन्होंने छात्रावास के विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे सरकारी सुविधाओं का बेहतर इस्तेमाल करें और अच्छा रिजल्ट दें। सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से आवश्यक सुवाधाओं में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि मधेपुरा में जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास के अलावा राजकीय अंबेडकर कल्याण छात्रावास भी है। साथ ही परिसर में लंबे समय से प्राप्त प्रशिक्षण केंद्र कार्य कर रहा है। वहां मुख्यमंत्री परामर्श एवं प्रशिक्षण केंद्र की भी स्वीकृति मिल गई है। इस केंद्र के माध्यम से विद्यार्थियों को एनईटी एवं पीएचडी आदि की तैयारी कराई जाएगी।

के. पी. कालेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान ने कहा कि मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जो लोग मानवता के लिए जीते हैं, उन्हीं का जीवन सही मायने में सार्थक होता है।

उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा फिल्म स्टार एवं क्रिकेटर समाज के असली रोल माडल नहीं हैं। असली रोल माडल गांधी, अंबेडकर एवं कर्पूरी जैसे लोग हैं। हमारे कमरे में इनकी किताबें एवं तस्वीरें होनी चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थापक प्रधानाचार्य डॉ. डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़े समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस जिले में कर्पूरी छात्रावास का होना गौरव की बात है। विद्यार्थ इसकी सुविधाओं का लाभ लें और जीवन में सफलता प्राप्त करें।

सर्वप्रथम कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित करछात्रावास में याद किए गए जननायक कर्पूरी ठाकुर
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जननायक कर्पूरी ठाकुर सादा जीवन एवं उच्च विचार के प्रतिक थे। उनके कार्यों एवं विचारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है।

यह बात मधेपुरा के जिला कल्याण पदाधिकारी रामकृपाल प्रसाद ने कही। वे मंगलवार को जननायक कर्पूरी ठाकुर की सौवीं जयंती पर आयोजित समारोह में उद्घाटन कर्ता के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास, मधेपुरा कालेज, मधेपुरा में किया गया।

उन्होंने कहा कि कर्पूरी के जीवन में टीम वर्क देखने को मिलता है। हम उससे प्रेरणा लें और अपने समाज एवं राष्ट्र के लिए कुछ करें।

उन्होंने छात्रावास के विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे सरकारी सुविधाओं का बेहतर इस्तेमाल करें और अच्छा रिजल्ट दें। सरकार एवं जिला प्रशासन की ओर से आवश्यक सुवाधाओं में कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि मधेपुरा में जननायक कर्पूरी ठाकुर छात्रावास के अलावा राजकीय अंबेडकर कल्याण छात्रावास भी है। साथ ही परिसर में लंबे समय से प्राप्त प्रशिक्षण केंद्र कार्य कर रहा है। वहां मुख्यमंत्री परामर्श एवं प्रशिक्षण केंद्र की भी स्वीकृति मिल गई है। इस केंद्र के माध्यम से विद्यार्थियों को एनईटी एवं पीएचडी आदि की तैयारी कराई जाएगी।

के. पी. कालेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान ने कहा कि मानव सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है। जो लोग मानवता के लिए जीते हैं, उन्हीं का जीवन सही मायने में सार्थक होता है।

उप कुलसचिव (स्थापना) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा फिल्म स्टार एवं क्रिकेटर समाज के असली रोल माडल नहीं हैं। असली रोल माडल गांधी, अंबेडकर एवं कर्पूरी जैसे लोग हैं। हमारे कमरे में इनकी किताबें एवं तस्वीरें होनी चाहिए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्थापक प्रधानाचार्य डॉ. डॉ. अशोक कुमार ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर ने पिछड़े समाज को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस जिले में कर्पूरी छात्रावास का होना गौरव की बात है। विद्यार्थ इसकी सुविधाओं का लाभ लें और जीवन में सफलता प्राप्त करें।

कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अतिथियों का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं पार्क से स्वागत किया गया।अतिथियों का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ एवं पार्क से स्वागत किया गया। सबों ने कर्पूरी ठाकुर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की। संचालन छात्रावास अधीक्षक डॉ. अभय कुमार किय। धन्यवाद ज्ञापन छात्र नायक नीरज कुमार ने किया।
इस अवसर पर भूगोल विभाग के विवेकानंद कुमार माया के अध्यक्ष राहुल यादव, शोधार्थी सौरभ कुमार चौहान, प्रवीण कुमार, विनीत कुमार योगेश कुमार विकास कुमार दीपक कुमार धीरज कुमार राहुल कुमार प्रभात रंजन आकाश कुमार प्रवीण कुमार सुमित कुमार ठाकुर सिकंदर कुमार सुनील कुमार धीरज कुमार सुमित कुमार सोनू कुमार बालकृष्ण कुमार प्रिंस राजा कुमार रोहित कुमार धर्मेंद्र कुमार विजय कुमार साह संतोष कुमार, अजीत कुमार राहुल कुमार मनीष कुमार गुड्डू कुमार नीतीश कुमार आनंद कुमार घनश्याम कुमार कुमार साह आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।