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Sehat Kendra सर्दियों में स्वास्थ्य रहने के सामान्य सूत्र विषय पर आयोजित सेहत संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के सौजन्य से संचालित सेहत केंद्र के तत्वावधान में किया गया आयोजन।

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सर्दियों में रहें सतर्क

आमतौर पर सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है। इस मौसम में वातावरण में नयी ताजगी आ जाती है। लेकिन इस परिवर्तन के साथ-साथ कई शारीरिक समस्याएं भी प्रारंभ हो जाती हैं। इसलिए सर्दियों में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।

यह बात तिहाड़ सेंट्रल जेल हास्पिटल में असिस्टेंट प्रोफेसर एवं सीनियर कंसल्टेंट (साइकेट्री) डा. संतोष कुमार साह ने कही। वे मंगलवार को सर्दियों में स्वास्थ्य रहने के सामान्य सूत्र विषय पर आयोजित सेहत संवाद कार्यक्रम में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति, पटना के सौजन्य से संचालित सेहत केंद्र के तत्वावधान में किया गया।

उन्होंने बताया कि बताया सर्दियों में चयापचय दर बढ़ने से भूख में वृद्धि होती है। ऐसे में ज्यादा खाने से वजन भी बढ़ने लगता है। इस दौरान समुचित गर्म आहार लें और ठंड तासीर की चीजों का सेवन करने से बचें।

उन्होंने बताया कि सर्दियों में त्वचा की नमी कम हो जाती है और शरीर में डिहाइड्रेशन का खतरा उत्पन्न हो जाता है। इससे बचने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीएं और गर्म दूध, हर्बल टी, काढ़ा एवं अन्य स्वास्थ्यवर्धक पेय का सेवन करें। कान, नाक, गला आदि को ढंक कर रखें।

उन्होंने बताया कि सर्दियों में सर्दी, खांसी जैसी सामान्य बीमारियों के साथ
-साथ हार्ट अटैक जैसी गंभीर समस्याएं भी बढ़ जाती हैं। अतः हमें सर्दियों में स्वास्थ्य के प्रति विशेष सतर्कता रखने की जरूरत है।

जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा के कुलपति सह बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के पूर्व प्रति कुलपति प्रो. (डाॅ.) फारूक अली ने कहा कि मौसम के परिवर्तन का स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता है। इसलिए हमें विभिन्न मौसमों में स्वास्थ्य का खास ख्याल रखना पड़ता है।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, नई दिल्ली के पूर्व पीआई एवं पब्लिक हेल्थ इम्पावरमेंट एंड रिसर्च आर्गेनाइजेशन के सीईओ डाॅ. विनीत भार्गव ने कहा कि हमारा उद्देश्य सिर्फ लंबा जीवन नहीं, बल्कि गुणवत्तापूर्ण जीवन होना चाहिए। हम अपनी जीवनशैली में सुधार लाकर बेहतर जीवन जी सकते हैं। हमें सेहत के प्रति जागरूक करने की दिशा में सेहत संवाद एक सराहनीय कदम है। इससे आम लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ेगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. सुधांशु शेखर ने की।अतिथियों का स्वागत मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने किया। संचालन शोधार्थी सारंग तनय ने किया। तकनीकी पक्ष गौरव कुमार सिंह एवं सौरभ कुमार चौहान ने संभाला। स्वयं प्रिया एवं अन्य ने प्रश्न पुछकर चर्चा को जीवंत बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।

इस अवसर पर प्रतिकुलपति डॉ. पवन पोद्दार, गांधीवादी विचारक डॉ. विजय कुमार, अर्थशास्त्री डॉ. अनिल ठाकुर, समाजसेविका नसीमा दिलकश, विपिन दुबे, डॉ. संतोष कुमार, डॉ. अरुण कुमार सिंह, डॉ. राजीव रंजन कुमार, डॉ. आर. एस. पांडेय, डॉ. विद्यानंद, डॉ. विवेक पांडे, डॉ. विद्या नाथ झा, हिमांशु शेखर, डॉ. प्रियंका सिंह, जयश्री, नसीमा दिलकश, रजनीश, गुलअफशां प्रवीण, शक्ति सागर, श्याम प्रिया, गणेश्वर, गौरव कुमार सिंह, सिमरन खातुन, सुमन कुमार झा, डॉ. देवाशीष दीपक, नवीन कुमार, स्वामी नंदन, डॉ. आर. एस. यादव, डॉ. वरदराज, गुरुदेव कुमार, राजेश कनोडिया, दिलीप कुमार दिल, डेविड यादव, मुकेश चौहान, हर्ष आदि उपस्थित थे

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।