AIDS एड्स से बचाव ही एकमात्र इलाज

*एड्स से बचाव ही एकमात्र इलाज*


एड्स (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) एक जानलेबा बीमारी है। अभी तक इसका कोई भी कारगर इलाज नहीं खोजा जा सका है। अतः इससे बचाव ही इसका एकमात्र इलाज है, जिसके लिए हम सबों को जागरूक होना जरूरी है।

यह बात मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कही। वे गुरुवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में विश्व एड्स दिवस पर आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।
कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस), राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी), रेड रिबन क्लब (आरआरसी) एवं सेहत केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।

उन्होंने बताया कि एचआईवी एक वायरस है। यह वायरस मानव शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी पावर) को कम कर देता है। इससे हमारा शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम नहीं रह पाता है और विभिन्न बीमारी हमें जकड़ लेती हैं।

उन्होंने कहा कि एड्स बताया कि सामान्यत: एड्स
संक्रमण का कोई विशेष लक्षण नहीं होता है।

लेकिन रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण कई प्रकार की बीमारियों के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।
सफेद चकत्तेदार धब्बे उभरना, शरीर से अधिक पसीना निकलना, बार-बार थकान की शिकायत, अचानक वजन कम होने लगना, तेज बुखार रहना, बार-बार दस्त लगना, लगातार खांसी आना, गले, जांघों में गांठें पड़ना, सारे शरीर में खुजली एवं जलन आदि एड्स के लक्षण हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि ये लक्षण दिखाई दें, तो उन्हें इग्नोर न करें और तुरंत योग्य चिकित्सक से परामर्श लें।

*एड्स पीड़ित के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें*

दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि इस वर्ष विश्व एड्स दिवस का मुख्य थीम समानता है।

इसमें यह भाव निहित है कि एड्स पीड़ित व्यक्ति को भी आम लोगों की तरह सामान्य जीवन जीने का अधिकार है।

उन्होंने बताया कि हमें एड्स के ख़तरों के प्रति सतर्क रहना चाहिए और इससे जुड़ी भ्रांतियों से भी बचना चाहिए। एड्स एक संक्रामक बीमारी है, लेकिन यह छूआछूत की बीमारी नहीं है।
यह एक-दूसरे को छूने, गले मिलने, साथ खाने आदि से नहीं होता है। अतः हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम एड्स पीड़ित व्यक्ति के साथ सम्मानजनक व्यवहार करें।

*हमारे समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है एड्स*

मुख्य अतिथि क्रीडा़ एवं सांस्कृतिक परिषद् के सचिव डॉ. मो. अबुल फजल ने कहा कि एड्स हमारे समाज के लिए एक गंभीर चुनौती है। युवाओं की यह जिम्मेदारी है कि वे एड्स की चुनौतियों का मुकाबला करें और अपने समाज एवं राष्ट्र को इसके खतरों से बचाएं।

गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्ड कुमार ने विद्यार्थियों से अपील की कि वे पढ़ाई के साथ-साथ एनएसएस- एनसीसी खेलकूद आदि से संबंधित गतिविधियों में भी भाग लें।

*पुस्तिका वितरित*
कार्यक्रम के दौरान बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा प्रकाशित पुस्तिका जानकारी का खजाना का वितरण किया गया।
इस पुस्तिका में विभिन्न बीमारियों के कारण एवं उससे बचाव के उपायों को बिन्दुवार समझाया गया है।

चित्रों के माध्यम से जानकारी दी गई है। इसमें विशेष रूप से एड्स, टीबी, मलेरिया, स्वाइन फ्लू आदि से बचाव के उपाय भी बताए गए हैं।

इस अवसर पर प्रवीण कुमार, सौरभ कुमार चौहान, मुकेश कुमार, सुरज कुमार, सिन्टू कुमार, सौरभ कुमार, तमन्ना खातुन, फूल कुमारी, नजमा खातुन, शालिनी कुमारी, दीपक कुमार, अजीत कुमार, कुंदन कुमार, श्रवण कुमार, नीतिश कुमार, लाखो लालपरी, दीक्षा कुमारी, रानी कुमारी, बेबी कुमारी, सिम्पल कुमारी, चाँदनी कुमारी, प्रिया कुमारी, नेहा कुमारी, सोनम कुमारी, निशा कुमारी, सजन कुमारी, रेणु कुमारी, तृप्ति गुप्ता, प्रीति कुमारी आदि उपस्थित थे।