BNMU विदाई सह सम्मान समारोह का आयोजन। कर्म ही पूजा है : डॉ. एम. एस. पाठक

*कर्म ही पूजा है : डॉ. एम. एस. पाठक*
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कर्म ही पूजा है। व्यक्ति की पहचान उसके कर्म से ही होती है। जो अच्छे कर्म करते हैं, वे हमेशा याद किए जाते हैं।

यह बात गणित विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. एम. एस. पाठक ने कही।

वे सोमवार को अपने विदाई सह सम्मान समारोह में बोल रहे थे।

उन्होंने बताया कि वे तत्कालीन ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा अंतर्गत ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में 2 नवंबर, 1982 में नियुक्त हुए थे। वे विश्वविद्यालय में स्पेशल टेबुलेटर, बीएओ एवं एफओ रहे। इस दौरान कई खट्टे-मीठे अनुभव आए। लेकिन उन्होंने हमेशा नियम-परिनियम के अनुसार कार्य किया।

उन्होंने बताया कि वे मूलतः सीवान के रहने वाले हैं। किसान परिवार से आते हैं। उन्होंने एल. एस. कालेज, मुजफ्फरपुर से इंटर से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई की।

पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. परमानंद यादव ने कहा कि डॉ. पाठक हमेशा अपने कार्यों के प्रति समर्पित रहे। उन्हें जो भी दायित्व मिला, उसे उन्होंने बखूबी निभाया।

प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव ने कहा कि डॉ. पाठक ने महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय की जो सेवा की है, वह अविस्मरणीय है। हम उन्हें विश्वविद्यालय के नियमित कार्यों से विदा कर रहे हैं, लेकिन ये हमारे दिलों में हमेशा बने रहेंगे। हमें आगे भी इनके मार्गदर्शन एवं सहयोग की जरूरत बनी रहेगी।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए शिक्षक संघ के अध्यक्ष सह विश्वविद्यालय परीक्षा नियंत्रक प्रो. आर. पी. राजेश ने कहा कि डॉ. पाठक ने महाविद्यालय और शिक्षक संघ दोनों के विकास में महती भूमिका निभाई है। उनके योगदान के लिए महाविद्यालय परिवार हमेशा उनका ऋणी रहेगा।

कार्यक्रम की शुरुआत में डॉ. पाठक का अंगवस्त्रम्, पुष्पगुच्छ, श्रीमद्भगवद्गीता, डायरी एवं कलम देकर सम्मान किया गया।

इस अवसर पर शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष डाॅ. रतनदीप, सचिव डाॅ. दिनेश यादव, संयुक्त सचिव डॉ. सुधांशु शेखर, कोषाध्यक्ष डॉ. उपेंद्र प्रसाद यादव, परीक्षा नियंत्रक बीपी यादव, रसायनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ. ए. के. मल्लिक, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डाॅ. शंकर कुमार मिश्र, गणित विभागाध्यक्ष ले. गुड्डू कुमार, डाॅ. खुशबू शुक्ला, डॉ. यासमीन रसीदी, दीपक कुमार राणा, डॉ. मिथिलेश कुमार सहित दर्जनों शिक्षक एवं कर्मचारी उपस्थित थे।