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BNMU खेल का हमारे जीवन में काफी महत्व है : कुलपति

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खेल का हमारे जीवन में काफी महत्व है। इससे हमारा शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है।

यह बात कुलपति डाॅ. आर. के. पी. रमण ने कही। वे सोमवार को के. पी. काॅलेज, मुरलीगंज में आयोजित वॉलीबॉल (पुरुष एवं महिला) प्रतियोगिता का उद्घाटन कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि कोरोना संक्रमण ने जीवन के हर क्षेत्र को प्रभावित किया और इसका खेल पर भी प्रतिकूल असर पड़ा था। लेकिन अब खेल सहित सभी गतिविधियां शुरू हो गई हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी टीम विभिन्न विधाओं में बेहतरीन प्रदर्शन कर रही हैं।

कुलपति ने कहा कि बीएनएमयू प्रशासन ने कक्षा की पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद एवं अन्य शैक्षणिक गतिविधियों को भी गंभीरता से लिया है। इसके कारण हमने राज्यस्तरीय एकलव्य एवं तरंग प्रतियोगिता में बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

उन्होंने कहा कि हमारे विद्यार्थी विभिन्न खेल स्पर्धाओं में बढ़चढ़ कर भाग लें और बेहतर प्रदर्शन कर विश्वविद्यालय एवं राज्य का नाम रौशन करें। आज खेलों में कैरियर की संभावनाएं भी बढ़ी हैं। अब खेलोगे-कूदोगे बनोगे खराब वाली बात नहीं है।

कुलपति ने कहा कि अंतर महाविद्यालय प्रतियोगिता में सभी महाविद्यालयों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए। अच्छा प्रदर्शन करने वाली टीम को प्रोत्साहित भी किया जाएगा। साथ ही जो विद्यार्थी किसी भी विधा में बेहतर प्रदर्शन करेंगे, उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से प्रोत्साहन एवं सम्मान दिया जाएगा।

कुलपति ने कहा कि खेल से जीवन में अनुशासन एवं एकाग्रता आती है। इससे हमारे जीवन में समन्वय एवं सामंजस्य का प्रसार होता है। हम पूर्ण नागरिक बनाते हैं।

उन्होंने कहा कि हम खेल को खेल भावना से खेलें। जीत-हार दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। खेल में भाग लेना जीत-हार से अधिक महत्वपूर्ण है।

मुख्य अतिथि कुलसचिव प्रो. (डॉ.) मिहिर कुमार ठाकुर ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन सभी महाविद्यालयों के विकास को तत्पर है। महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों की ओर से जो भी सकारात्मक प्रस्ताव आएगा, उसका अनुमोदन किया जाएगा।

सम्मानित अतिथि अभिषद् सदस्य कै. गौतम कुमार ने कहा कि कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय आगे बढ़ रहा है।

उप कुलसचिव (अकादमिक) डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन विद्यार्थियों के समग्र उन्नयन हेतु प्रतिबद्ध है। सभी पक्षों से सहयोग की अपेक्षा है।

क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद् के उपसचिव डॉ. शंकर कुमार मिश्र ने कहा कि विश्वविद्यालय का खेल कैलेंडर जारी कर दिया गया है। आज पहली प्रतियोगिता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान ने की। उन्होंने कहा कि वे विश्वविद्यालय प्रशासन की अपेक्षाओं को पूरा करने की हर संभव कोशिश करेंगे।

अतिथियों का स्वागत महाविद्यालय के खेल पदाधिकारी डॉ. मो. अली अहमद मंसूरी और धन्यवाद ज्ञापन मैथिली विभाग के महेंद्र मंडल ने किया।

इस अवसर पर डॉ. अमरेंद्र कुमार, डॉ. विजय पटेल, डॉ. सज्जाद अख्तर, डॉ. रवींद्र कुमार, डॉ. चंद्रशेखर आजाद, डॉ. त्रिदेव निराला, डॉ. प्रीति कुमारी, डॉ. दीपा कुमारी, डॉ. बरदराज, डॉ. रितु रत्नम, डॉ. सिकंदर कुमार, डॉ. राजीव जोशी, डॉ. अमित रंजन, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. राघवेंद्र, डॉ. दीपक कुमार, डॉ. अशोक कुमार, नीरज कुमार नीराला आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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