Poem। कविता/ एक सपना/प्रोफेसर डाॅ. इंदु पाण्डेय खण्डूड़ी 

एक सपना
स्वतंत्रता पा लेने में,
एक अधिकार, एक सुख,
सबको एक सन्तुष्टि होती है।
शायद ही कोई सोचता हो,
स्वतंत्रता सिर्फ पा लेने तक का,
एक असीमित अधिकार नहीं होता।
पर जैसे ही किसी को,
स्वतंत्रता देने का जिक्र आये,
एक विकार, एक दुःख,
और सबको असंतुष्टि होती है।
एक सपना बराबरी का नहीं,
चाहत बस अराजकता की हद तक,
स्वतंत्रता पा लेने की होती है।

-प्रोफ़ेसर डाॅ. इंदु पाण्डेय खण्डूड़ीप्रोफेसर डाॅ. इंदु पाण्डेय खण्डूड़ी, अध्यक्षा, दर्शनशास्त्र विभाग, हे. न. ब.  गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय,श्रीनगर-गढ़वाल, उत्तराखंड ♦