NSS शिविर का दूसरा दिन। एनएसएस का है गौरवशाली इतिहास : डाॅ. अमोल राय

*शिविर का दूसरा दिन*

एनएसएस का है गौरवशाली इतिहास : डाॅ. अमोल राय

एनएसएस की स्थापना राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शताब्दी जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में 24 सितंबर, 1969 को किया गया है। इसका उद्देश्य युवाओं को किताब की सैद्धांतिक बातों से इतर, व्यावहारिक जीवन की सच्चाईयों से रूबरू कराना है।

यह बात एनएसएस के पूर्व कार्यक्रम समन्वयक सह पूर्व सीसीडीसी डाॅ. अमोल राय ने कही। वे रविवार को ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय राष्ट्रीय सेवा योजना प्रथम इकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के दूसरे दिन विश्वविद्यालय में एनएसएस : इतिहास एवं उपब्धियाँ विषय पर व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि युवा उर्जा के श्रोत होते हैं और वे ही परिवर्तन के असली वाहक भी होते हैं। विश्व का इतिहास ऐसे अनेकानेक युवाओं की गौरब गाथाओं से अटपटा है। आधुनिक काल में हमारे देश में जन्मे ऐसे ही युवाहृदय सम्राट स्वामी विवेकानंद का आदर्श चरित्र एनएसएस का प्रेरणास्रोत है।

उन्होंने बताया कि प्राचीन भारत में भी कई युवाओं ने अद्वितीय कार्य किया है। गंगा को स्वर्ग से उतारकर धरती पर लाने वाले भगीरथ एवं अपने पिता हिरणाकश्यप के अत्याचारों का अंत कराने वाले प्रह्लाद को कौन नहीं जानता है।वनवासी राम ने युवावस्था में ही महारथी लंकेश रावण के पापों का अंत किया और यदुवंशी युवा कृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र के अहंकार को चकनाचूर कर दिया।

उन्होंने उन्होंने बताया कि सन् 1992 में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय की स्थापना के कुछ ही दिनों बाद 1993 ई. में यहाँ एनएसएस का शुभारंभ किया गया और डाॅ. जगदीश प्रसाद यादव (बनमनखी) को प्रथम समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2000 में तत्कालीन प्रभारी कुलपति डाॅ. आर. के. चौधरी ने उनको समन्वयक की जिम्मेदारी दी और वे 2005 तक इस पद पर रहे। इस बीच यहाँ कई बार राज्य स्तरीय एवं एक बार 2004 में राष्ट्रीय शिविर भी आयोजित हुआ।

उन्होंने बताया कि यहाँ के स्वयंसेवक एवं स्वयंसेविकाओं को कई बार राज्यस्तरीय एवं राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। इसमें 2011 का एनसीसी राष्ट्रीय अवार्ड भी शामिल है। यहाँ के विद्यार्थी गणतंत्र दिवस फैरेड में शामिल हुए हैं और यूथ एक्सचेंज प्रोग्राम में विदेश भी गए हैं।

इस अवसर पर पूर्व कार्यक्रम पदाधिकारी सह पूर्व कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने कहा कि एनएसएस हमें दूसरों के लिए जीना सीखाता है। इसके ध्येय वाक्य “मैं नहीं, आप” को हमें जीवन में उतारने की जरूरत है।

सिंडिकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि युवाओं का आह्वान किया कि वे अपने आपको सामाजिक सरोकारों से जोड़ें और इस संदर्भ में विवेकानंद, महात्मा गाँधी एवं डाॅ. अंबेडर जैसे महापुरूषों के जीवन से सीख लें।

क्रीड़ा विभाग के उपसचिव डाॅ. शंकर कुमार मिश्र ने एनएसएस के उद्देश्यों एवं कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण, पोषण एवं आपदा-प्रबंधन आदि एनएसएस के मुख्य कार्यक्षेत्र हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. के. पी. यादव ने बताया कि यह शिविर युवाओं के लिए एक अवसर है। इसके माध्यम से युवाओं को जीवन के विविध आयामों का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।शिविरार्थियों द्वारा शिविर स्थल वार्ड नंबर 3 में स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा और विभिन्न घरों में स्वास्थ्य संबंधी सर्वेक्षण किया जाएगा।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि सोमवार को विश्वविद्यालय मनोविज्ञान विभाग के प्रोफेसर एवं अकादमिक निदेशक डॉ. एम. आई. रहमान युवाओं का मनोविज्ञान विषय पर व्याख्यान देंगे और वे शिविरार्थियों को सर्वेक्षण की विधियों से भी परिचित कराएँगे। सभी शिविरार्थियों का इस सत्र में भाग लेना अनिवार्य है।

इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत एनसीसी ऑफिसर लेफ्टिनेंट गुड्डु कुमार और धन्यवाद ज्ञापन के. पी. काॅलेज, मुरलीगंज के डाॅ. अमरेंद्र कुमार ने किया।

कार्यक्रम के पूर्व सभी स्वयंसेवकों ने एक-दूसरे के बारे में विशेष परिचय प्राप्त किया।

इस अवसर पर अतिथि व्याख्याता डाॅ. अशोक कुमार, शोधार्थी द्वय सारंग तनय एवं सौरभ कुमार चौहान, बायोटेक विभाग के प्रणव कुमार, ज्योति कुमारी, मिन्टू कुमारी, ऋतु राज, मनीषा कुमारी, क्रांति लता, नित्यानंद कुमार, ज्योतिष कुमार, सतीश कुमार, सुभाष कुमार, उज्ज्वल कुमार, यादव, नीरज यादव, सुमन कुमार, अंकित कुमार, रौशन कुमार, गौरव कुमार, संयम भारद्वाज आलोक कुमार, विजयकृष्ण भारती, नंदन कुमार, अभिमन्यू कुमार, राजा कुमार, राजेश कुमार, प्रभाष कुमार, आशीष कुमार, प्रिंस कुमार, हिमांशु कुमार, सौरभ कुमार, नीशु कुमारी, सूरज प्रताप आदि उपस्थित थे।