Sehat Samvad *मनोविकारों का समय पर इलाज जरूरी : डाॅ. रहमान*

*मनोविकारों का समय पर इलाज जरूरी : डाॅ. रहमान*

हमारे जीवन में कुछ व्यवहार असामान्य एवं अनुचित होते हैं। मनोविज्ञान में इस तरह के व्यवहार को मनोविकार कहते हैं। यह एक मानसिक समस्या है। इसका समय पर इलाज जरूरी है। यदि सही समय पर इसका उपचार नहीं किया जाए, तो यह धीरे धीरे बढ़ते जाते हैं।

यह बात स्नातकोत्तर मनोविज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं विश्वविद्यालय के अकादमिक निदेशक डाॅ. एम. आई. ने कही। वे बुधवार को युवाओं की मानसिक समस्याएँ एवं समाधान विषयक व्याख्यान दे रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन सेहत केंद्र, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में किया गया।

डाॅ. रहमान ने विशेष रूप से युवाओं की मानसिक समस्याओं पर प्रकाश डाला और उन्होंने युवाओं को सलाह दिया कि किसी प्रकार की मानसिक समस्या होने पर तुरंत मनोचिकित्सा से परामर्श लें।
उन्होंने बताया कि अनुवांशिकता, कमजोर व्यक्तित्व, सहनशीलता का अभाव, बाल्यावस्था के अनुभव, तनावपूर्ण परिस्थितियां आदि मनोविकार के कारक होते हैं। तनावपूर्ण परिस्थितियों का सामना करने पर असफलता हसिल होने के परिणामस्वरूप विभिन्न प्रकार के द्वंद्व, हताशा एवं कुंठा का जन्म होता है।

उन्होंने मानसिक समस्याओं पर चर्चा करते हुए तनाव पर विशेष बल दिया। वातावरण की मुख्य घटनाएं या कोई असहज बात और जीवन की मुख्य घटनाएं और बदलाव तनाव या मानसिक दबाव का कारण बनती हैं। रोजमर्रा की परेशानियां, वैवाहिक जीवन की मुश्किलें, विकलांग बच्चों की परवरिश, गरीबी, अनपेक्षित घटनाएं आदि हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव छोड़ती हैं। इनसे जीवन तनावग्रस्त हो जाता है।

उन्होंने कहा कि तनाव के कारण युवा डर, भय, अनिंद्रा, बेचैनी, भूख न लगना, चिरचिरापन, आक्रामकता, बार बार रोना आदि प्रतिक्रियाएं देने लगते हैं। इसके साथ ही साथ युवाओं में दुश्चिंता, अवसाद, क्रोध, ईर्ष्या, आत्मघाती विचार, झूठ बोलना, शक करना, गपें मारना, ड्रग लेना आदान समस्याएँ भी आ जाती हैं। वे कब्ज़ या दस्त का शिकार हो जाते हैं और एलर्जी, मधुमेह, दमा एवं कैंसर से भी ग्रसित हो सकते हैं।

उन्होंने कहा कि द्वंद्व और निराशा आदि भी युवाओं की आम मानसिक समस्याएं हैं। परिवार से दूर रहने पर ये समस्याएं बढ़ जाती हैं। गलत जीवनशैली के कारण भी युवा मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों से पीड़ित हो जाते हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने की। संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के शोधार्थी सारंग तनय ने किया। धन्यवाद ज्ञापन के. पी. काॅलेज, मुरलीगंज एनएसएस कार्यक्रम पदाधिकारी डाॅ. अमरेंद्र कुमार ने किया। पुस्तकालय विज्ञान विभाग के डॉ. राजीव रंजन एवं अन्य ने मुख्य वक्ता से प्रश्न भी पूछे। दरभंगा के असफाक हाशमी ने संवाद के दायरे को एलएनएमयू एवं अन्य विश्वविद्यालयों में भी विस्तृत करने की जरूरत बताई।

इस अवसर पर जाकिर हुसैन टीचर्स ट्रैनिंग कॉलेज, दरभंगा से डाॅ. असफाक हाशमी, माया के राहुल यादव, डॉ कुमारी रंजीता, मो. अब्दुर रहमान, गौरव कुमार सिंह, शोधार्थी सौरव कुमार चौहान, शांतुन यदुवंशी, रौशन कुमार रमन, दीपमाला कुमारी वीणा, हिमांशु राज, निराली कश्यप,सिंधु कुमारी, प्रकाश कुमार, परमेस कुमार, आदिल अंसारी, आशीष आनंद, जया ज्योति, राजकिशोर कुमार, सुमित्रा कुमारी सुमन, राहुल विशाल, दामिनी सिंह, रिजवान अहमद, मो आदिल, नदीम अहमद, रणवीर कुमार, सूरज नायक, कुंदन प्रताप आदि उपस्थित थे।

डाॅ. शेखर ने बताया कि सेहत-संवाद के तहत 11-13 अक्टूबर तक त्योहार, मनोविज्ञान और समाज, एड्स : मनोवैज्ञानिक एवं सामाजिक आयाम तथा युवाओं की मानसिक समस्याएँ एवं समाधान इन तीन विषयों पर व्याख्यान हुआ।