Search
Close this search box.

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय ने कोशी में में शिक्षा की अलख जगाने में महती भूमिका निभाई : डॉ. परमानंद यादव

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय ने कोशी में में शिक्षा की अलख जगाने में महती भूमिका निभाई। यही महाविद्यालय बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा की स्थापना का भी आधार बना। हमें इसके इतिहास को प्रकाशित करने की जरूरत है। इससे हमारी आने वाली पीढ़ी अपने पूर्वजों की कीर्ति को जान सकेगी और उससे प्रेरणा लेगी।

यह बात महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य और बीएनएमयू के पूर्व कुलानुशासक एवं सिंडिकेट सदस्य डाॅ. परमानंद यादव ने कही।

वे शुक्रवार को बीएनएमयू संवाद यू-ट्यूब चैनल पर लाइव व्याख्यान दे रहे थे।

उन्होंने कहा कि इस कॉलेज की स्थापना में कीर्ति नारायण मंडल, भूपेंद्र नारायण मंडल, शिवनंदन प्रसाद मंडल, कमलेश्वरी प्रसाद मंडल, रघुनंदन मंडल, सागरमल परमसुखका, बी. पी. मंडल आदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

उन्होंने बताया कि इस महाविद्यालय की स्थापना हेतु पहली बैठक 26 मई, 1953 को स्वराज भवन (वर्तमान में शिवनंदन सेवा आश्रम) में हुई। इस संबंध में दूसरी बैठक 30 जून, 1953 को हुई। तीसरी बैठक 28 जुलाई, 1953 को हुई। इसमें प्रधानाचार्य के पद पर रतनचंद एवं उपप्राचार्य के पद पर कुमार किशोर मंडल की नियुक्ति की गई।

उन्होंने बताया कि इस महाविद्यालय के सैकड़ों छात्र उच्च पदों पर आसीन हुए। कई कुलपति भी बने। महावीर प्रसाद यादव एवं रमेन्द्र कुमार यादव रवि कुलपति के अलावा सांसद भी बने।

उन्होंने बताया कि उन्होंने इसी महाविद्यालय से 1971 में इंटर और 1974 में स्नातक अर्थशास्त्र (प्रतिष्ठा) की डिग्री प्राप्त की। 1995 में आरडीएस कालेज, सालमारी से टी. पी. कालेज में स्थानांतरण हुआ। यहीं से कुलानुशासक और सीनेट एवं सिंडीकेट के सदस्य भी बने। साथ ही यहाँ सात माह तक प्रधानाचार्य के रूप में कार्य करने का अवसर मिला और यहीं से सेवानिवृत्त भी हुए।

उन्होंने बताया कि उन्होंने मातृसंस्था की तरह इस महाविद्यालय की सेवा की। अब एक ही दिली तमन्ना है कि इस महाविद्यालय को नैक से मान्यता मिले और उन्हें विश्वास है कि वर्तमान प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव के प्रयास से महाविद्यालय को नैक से अच्छा ग्रेड मिलेगा।

READ MORE

[the_ad id="32069"]

READ MORE