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कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु में अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन। बीएनएमयू के कुलपति को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

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बीएनएमयू के कुलपति को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड

कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु में बारह देशों के संयुक्त तत्वावधान में इकोसिस्टम कंजरवेशन और सस्टनेबल मैनेजमेंट टॉपिक पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय विज्ञान कॉन्फ्रेंस में बीएनएमयू के कुलपति प्रो. बी. एस. झा को शोध कार्य में विशिष्ट उपलब्धि के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

इस अवसर पर कुलपति ने अनुवांशिक रोग पर अपना महत्वपूर्ण व्यख्यान प्रस्तुत किया। प्रो. नरेन्द्र श्रीवास्तव को उत्कृष्ट शोध कार्य के लिए रिकॉग्निशन अवार्ड प्रदान किया गया।

विज्ञान कांफ्रेंस में सब थीम पोषण और मानव स्वास्थ्य से जुड़े टॉपिक प्रोग्रेस इन एलिमिनेशन एंड एंड चैलेंजेज फॉर सस्टेनबीलीटी इन कण्ट्रोल ऑफ विसीरल लेस्मानीसिस टॉपिक पर भूपेंद्र नारायण मण्डल विश्वाविद्यालय के पार्वती विज्ञान महाविद्यालय मधेपुरा के सहायक प्राध्यापक डॉ ब्रजेश कुमार सिंह नें अपने शोध प्रपत्र की प्रस्तुति दी। उन्होंने कालाजार के रोकथाम हेतु सोशियो इकोनोमिक फैक्टर पर ध्यान देने और बायोमेडिकल रिसर्च को बढ़ावा देने की जरूरत बताई।बीएनएमयू के शोधर्थियों में आनंद कुमार भूषण, रोहन कुमार ने भी अपना शोध-पत्र प्रस्तुत किया।

इस अवसर पर यूएसए, यूके, एथोपीया, ब्राजील, केनिया, साउथ अफ्रीका और नेपाल आदि दर्जन देशों सहित भारत के तीन सौ से अधिक शोधार्थी, वैज्ञानिक और प्रोफेसर वहां मौजूद थे।

सोसाइटी फॉर एडवांसमेंट ऑफ़ बायोलॉजिकल साइंस की आठवीं अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुए बीएनएमयू कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने 2026 में उक्त सोसाइटी का दसवां अंतरराष्ट्रीय साइंस कॉन्फ्रेंस बीएनएमयू में आयोजित करने की घोषणा की और इसमें देश-विदेशो से आ ए विद्वानों शिक्षकों को आमंत्रित भी किया। कार्यक्रम के संयोजक की भूमिका विश्वविद्यालय जंतु विज्ञान विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर नरेंद्र श्रीवास्तव को दी गई है।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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