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SR Bhatt ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा* (*19 मई, 2024, रविवार, अपराह्न-07:00 बजे से*)

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*ऑनलाइन श्रद्धांजलि सभा*

(*19 मई, 2024, रविवार, अपराह्न-07:00 बजे से*)

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सुप्रसिद्ध दार्शनिक एवं संस्कृतिविद् प्रोफेसर सिद्धेश्वर रामेश्वर भट्ट (एस. आर. भट्ट) का शनिवार को नई दिल्ली में निधन हो गया।वे दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली के दर्शनशास्त्र विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष तथा यूजीसी विशेष सहायता कार्यक्रम के समन्वयक और भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर), नई दिल्ली के अध्यक्ष रहे थे। वे एशियन फिलॉस्फी कांग्रेस एवं इंडियन फिलॉस्फिकल कांग्रेस के अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के सामान्य अध्यक्ष भी रहे थे। उनका दर्शन परिषद्, बिहार से भी गहरा लगाव था।

 

प्रो. भट्ट के सम्मान में ‘परिषद्’ द्वारा 19 मई, 2024 (रविवार) को अपराह्न 07 : 00 बजे से ‘परिषद्’ की अध्यक्षा प्रो. पूनम सिंह की अध्यक्षता में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया है। कार्यक्रम का संचालन महासचिव डॉ. श्यामल किशोर करेंगे और तकनीकी पक्ष संयुक्त सचिव डॉ. सुधांशु शेखर संभालेंगे।

 

उक्त अवसर पर आप सबों की उपस्थिति सादर प्रार्थित है।

नोट : लिंक- https://meet.google.com/zkt-fqqj-ctb

कार्यक्रम का यू-ट्यूब चैनल YouTube.com/bnmusamvad पर लाइव प्रसारण किया जाएगा।

*अध्यक्ष के आदेशानुसार*

डॉ. श्यामल किशोर, महासचिव

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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