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BNMU सास भी कभी बहु थी….

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सास भी कभी बहु थी….

मेरी टेलीविजन सिरियल्स में रूचि नहीं के बराबर है, लेकिन अभी बार-बार मेरे कानों में एक सिरियल का टायटल गूंज रहा है-‘सास भी कभी बहु थी। संदर्भ बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में अस्सिटेंट प्रोफेसर के रूप में प्रस्तावित नियुक्ति से जुड़ा है।

 

मालूम हो कि गत 6 अप्रैल को अपर सचिव, शिक्षा विभाग, बिहार सरकार, पटना के पत्रांक 15/ ए 2-01/2016-607 दिनांक 31. 3. 17 के द्वारा बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा सेवान्तर्गत दर्शनशास्त्र विषय में कुल 18 सहायक प्राचार्य के पद पर नियुक्ति हेतु अनुशंसा प्राप्त हुई। तदुपरांत 25 अप्रैल को अनुशंसा में निर्दिष्ट शर्तों / अभिलेखों की जाँच हेतु पूर्व उच्च स्तरीय समिति को पुनः क्रियाशील करते हुए गठित किया गया और उसे (समिति को) सात दिनों के अंदर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया। समिति ने सात दिनों की समय सीमा का अतिक्रमण करते हुए 8 मई को प्रमाण-प्रत्रों की जाँच (वेरिफिकेशन) की तिथि निर्धारित की। खैर यहाँ तक तो बात कुछ समझ में आती है।

 

लेकिन प्रमाण-पत्रों की जाँच के बाद जब हमने समिति के एक माननीय सदस्य से नियुक्ति के संबंध में बात की, तो जो बातें सामने आई वे निम्न हैं-

 

1. जाँच समिति के एक माननीय सदस्य ने कहा कि मधेपुरा में इतनी जल्दी काम होता है। आखिर वे क्या कहना चाह रहे है?

2. उन्होंने कहा कि जब सभी लोगों के सभी कागजात दुरूस्त हो जाएंगे, वे तभी रिपोर्ट देंगे। यहाँ सवाल यह है कि क्या रिपोर्ट करने का मतलब यही है? निर्धारित तिथि तक अभ्यर्थियों की जो स्थिति है, उसकी रिपोर्ट कुलपति को देने में उन्हें हर्ज क्या है ?

3. सदस्य महोदय दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों के लिए भी बहुत चिंतित दिखे। उनका कहना था कि बाहरी लोगों को विभिन्न कागजातों को बनवाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिला। ठीक है, महाशय! आप उनके हितों को देखते हुए तत्काल उनकी ज्वाइनिंग करा दीजिए और उन्हें कागजातों को बनाने हेतु एक निश्चित समय दे दीजिए। आखिर देर से ज्वाइनिंग करने से उनका भी तो नुकसान हो रहा है ?

4. माननीय सदस्य ने कहा कि एक माह बाद ही नियुक्ति होगी, तो क्या बिगड़ जाएगा ? सचमुच माननीय सदस्य का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा। लेकिन अभ्यर्थियों का कैरियर जरूर प्रभावित होगा। उनका आर्थिक नुकसान तो होगा ही, उन्हें मानसिक तनाव के दौर से भी गुजरना पड़ेगा।….. और सबसे अधिक विश्वविद्यालय की क्षति होगी।

5. ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, वीर कुवंर सिंह विश्वविद्यालय, आरा एवं जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा में कागजातों के सत्यापन के बाद एक सप्ताह के अंदर सबों को नियुक्ति दे दी गयी है। आखिर बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में लेटलतीफी क्यों ?

6. समिति के माननीय सदस्यों से सादर अनुरोध है कि वे अविलंब नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त करें। साथ ही सभी अभ्यर्थियों से आग्रह है कि वे अविलंब अपने सभी कागजात समिति को उपलब्ध कराएं और उन्हें बहाने बनाने का अवसर न दें।

नोट: हमारे सभी वरिष्ठ गुरूजन (शिक्षक साथी) जो विश्वविद्यालयों में पदाधिकारी बने हैं, उनसे सादर अनुरोध है कि अपने छात्रों या बनने वाले सहकर्मियों के साथ सास-बहु वाला बुरा व्यवहार न करें। वे यह न भूलें कि वे भी कभी छात्र, शोधार्थी, अभ्यर्थी, अतिथि व्याख्याता या नवनियुक्त व्याख्याता थे ‘सास भी कभी बहु थी। साथ ही मैं अपने नवनियुक्त शिक्षक साथियों से अपील करता हूँ कि वे ‘सास-बहु के इस अंतहीन सिलसिले को रोकने में अपनी पूरी ताकत झोंक दें। न दबंग सास नयी नबेली बहु को सताये और न ही मर्दानी बहु अपनी बूढ़ी सासू मां का अपमान करें। हम सब मिलकर एक समतामूलक एवं न्यायपूर्ण समाज के निर्माण में योगदान दें।

सुधांशु शेखर, फेसबुक पोस्ट 09.05.2017

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