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BNMU डॉ. रवि : सामाजिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में अमिट प्रभाव 

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82वीं जयंती पर विशेष।                     

डॉ. रवि : सामाजिक, राजनैतिक एवं शैक्षणिक क्षेत्र में अमिट प्रभाव 

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बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक डॉ. रमेंद्र कुमार यादव रवि की 82वीं जयंती बुधवार को है। एक सच्चे शिक्षक के साथ ही वे कुशल प्रशासक, लोकप्रिय राजनेता और साहित्य सृजन के साथ ही युवाओं के लिए मार्गदर्शक के रूप में काफी लोकप्रिय रहे। डॉ. रवि 1989 लोकसभा चुनाव में मधेपुरा से जनता दल प्रत्याशी के रूप में 68.4 प्रतिशत मत से जीत हासिल की थी, जो स्वतंत्रता के बाद से अब तक इस सीट पर किसी भी दल के प्रत्याशी द्वारा हासिल किया गया सर्वाधिक मत है। वे प्राध्यापक, प्राचार्य, कुलपति, कवि, विधायक, सांसद, अद्भुत वक्ता, संगठनकर्ता, समाजसेवी के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी। टीपी कॉलेज, मधेपुरा के प्राध्यापक पद से लेकर प्राचार्य, बीएनएमयू के संस्थापक कुलपति, सिंहेश्वर के विधायक, मधेपुरा के सांसद, राज्यसभा के सदस्य तथा कई शैक्षणिक व साहित्यिक संस्थाओं के संस्थापक और संरक्षक के तौर पर इन्होंने कोसी के इस बड़े इलाके में अपनी अमिट छाप छोड़ी और 14 मई 2021 को कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इहलीला समाप्त होने तक अपनी बहुमुखी प्रतिभा से मधेपुरा की कई पीढ़ियों को प्रभावित किया।

डॉ. रवि छात्र जीवन से ही सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे। 1960 से 1984 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस व कांग्रेस से संबद्ध रहे। 1981 में सिंहेश्वर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में विधायक निर्वाचित हुए। 1984 में इंदिरा गांधी के निधन के बाद तत्कालीन नेतृत्व से वैचारिक प्रतिबद्धता आहत होने के कारण इन्होंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी। इनके विचार और दृष्टि पर कभी दल और वाद हावी न हुआ। यही वजह रही कि इन्होंने इंदिरा और लोहिया को अपने वैचारिक स्थिरांक पर एक साथ देखा, समझा और स्थान दिया। कर्पूरी ठाकुर के व्यक्तित्व और चिन्तन ने इन्हें प्रभावित किया। 1985 में वे दुबारा दलित मजदूर किसान पार्टी से सिंहेश्वर से विधायक हुए। इसके बाद 1989 लोकसभा चुनाव में मधेपुरा से जनता दल प्रत्याशी के रूप में इन्होंने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की। डॉ. रवि संसद में विशेष उल्लेख के जरिये लोकहित के अनगिनत मुद्दों पर जमी सरकार की उपेक्षा और मौन की परत हटाते रहे। संसद के दोनों सदनों में पटना को केन्द्रीय विश्वविद्यालय घोषित करने की मांग करने का श्रेय इन्हें ही प्राप्त है।

डॉ. रवि के पुत्र जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष और बीएनएमयू, मधेपुरा के सीनेट सदस्य डॉ. अमरदीप ने बताया कि उनके पिता राजनैतिक एवं शैक्षणिक व्यस्तताओं के बावजूद सैकड़ों कविताएं, लेख, संस्मरण आदि लिखे। इनकी कुल 12 पुस्तकें प्रकाशित हैं। इनकी पुस्तकें भारत की लगभग तमाम प्रतिष्ठित पुस्तकालयों के साथ-साथ संसार के लगभग 110 देशों में मौजूद हैं। मधेपुरा की एक नहीं, दो नहीं, पूरी तीन पीढ़ियों को इन्होंने अपनी सेवाएं दी। व्यक्ति से विशेषण हो चुके डॉ. रवि को उनकी जयंती पर नमन।

– डॉ. संजय कुमार परमार, असिस्टेंट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, वाणिज्य विभाग, सी. एम. साइंस कॉलेज, मधेपुरा

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मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद युवा संसद से संबंधित विभिन्न कार्यक्रमों की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, प्रधानाचार्य, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।

मीडिया के सभी साथियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। कीर्ति कुम्भ (स्मरण एवं संवाद) कार्यक्रम की रिपोर्ट प्रमुखता से प्रकाशित। उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि प्रो. बी. एस. झा, माननीय कुलपति, बीएनएमयू, मधेपुरा और मुख्य वक्ता प्रो. विनय कुमार चौधरी, पूर्व अध्यक्ष, मानविकी संकाय, बीएनएमयू, मधेपुरा के प्रति बहुत-बहुत आभार।

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