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ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा (बिहार)
ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा (बिहार)
एक था प्रेम प्रभाकर -रविशंकर सिंह प्रेम प्रभाकर स्मृति शेष हो गये, लेकिन उसकी स्मृति कहां शेष हुई हैं। उन यादों का मैं क्या करूं,
सम्मान समारोह 5 दिसंबर को ठाकुर
नव नालंदा महाविहार, सम विश्वविद्यालय, नालंदा द्वारा भारत रत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय परिसंवाद: संगोष्ठी – “डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
सिरजने का सुख **************** खेत मेरा है, मेहनत मेरी है , पसीना मेरा बहा, मेहनत मैंने किया. बारिश में भींगते हुए, लू में तपते हुए,
गाँधी के चिंतन का केंद्र बिन्दु ‘गाँव’ और किसान है। उन्होंने बार-बार यह दुहराया है कि भारत अपने चंद शहरों में नहीं, बल्कि सात लाख
समय के समक्ष जब- भिक्षुक हो जाएँ सभी विकल्प; जीवित रखना होता तब; अन्तःप्रज्ञा का ही दृढ़ संकल्प। लक्ष्य निष्ठुर हो जाते हैं जब- रातों
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