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Bihar। शोषित समाज के महानायक : बी. पी. मंडल / डाॅ. रविशंकर कुमार चौधरी
पिछले कई वर्षों से 25 अगस्त को हमलोग “सामाजिक न्याय दिवस” के रूप में मानते हैं। इसे हम “सामाजिक न्याय दिवस” के रूप में इसलिए
पिछले कई वर्षों से 25 अगस्त को हमलोग “सामाजिक न्याय दिवस” के रूप में मानते हैं। इसे हम “सामाजिक न्याय दिवस” के रूप में इसलिए
अंध-श्रद्धा प्रेम मेरा, कुछ नेह बरसाते रहो। जेठ सा जीवन तपा, मधुमास तुम आते रहो। मधुमास तुम आते रहो… विकल है- मन की नदी, बहुत
कुकुरमुत्ते दे रहे- चुनौतियाँ आसमान को; कूप-मंडूकों का नर्तन, टर्र-टर्र अभिमान वो। बरसात है- सावन न
आजकल डॉ कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’ धड़कने बदल रही करवटें आजकल। चाँद के माथे पर हैं सलवटें आजकल। यों तो अपना ही था वो मेरा, दोस्तों!
तुम्हें जाने की हठ है; मैं निःशब्द, मेरी श्वासों में तेरी वही सुगंध शेष है। तुमने पलों में भ्रम तोड़ डाले सब, मेरा अब भी
मेरी हथेली पर तुम अधरों से प्यार लिख दो, समस्त आकाश-गंगाओं का संसार लिख दो। कामनाएँ मुखर- अब यों सिसकती न छोड़ो, मधुरगीतों के गुंजन
कोविड-19 का देश-दुनिया की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा है। शहर और गांव दोनों इससे प्रभावित हैं। शिक्षा, समाज एवं अर्थ व्यलस्था पर इसका कुप्रभाव
क्यूँ जीवन व्यवस्था में व्यवहार में आचार में विचार में आस्थाओं मे मूल्यों में विभक्त है। अभिव्यक्ति की सोपानों में सामाजिक निर्वाहन में है सिर्फ
खुद को ढूँढने की तलाश ज़िन्दगी है। यूँ सफ़र मे जुड़ते हैं। जोड़ते हैं। रिश्तों को तराशते हैं। परखते हैं। अपनाते हैं। अपनों को परायों
हौसलों की चादर मे लिपट बेपनाह उम्मीदों से चलती ज़िन्दगी अब थक कर पूछती है कितना सफ़र और बाकि है ? मैने आसमानों पर टकटकी
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