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ICPR लंदन के वक्ता देंगे श्रीमद्भगवद्गीता पर व्याख्यान

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*लंदन के वक्ता देंगे श्रीमद्भगवद्गीता पर व्याख्यान*

दर्शनशास्त्र विभाग, बीएनएमयू, मधेपुरा के तत्वावधान में रविवार को शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद् (आईसीपीआर) नई दिल्ली के स्टडी सर्किल योजनान्तर्गत एक संवाद एवं परिचर्चा आयोजित है।
इसमें राजबोध फाउंडेशन, लंदन (इंग्लैंड) के अध्यक्ष माधव कुमार तुरूमेला युवाओं के लिए श्रीमद्भगवद्गीता का संदेश विषयक व्याख्यान देंगे।

आयोजन सचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि आईसीपीआर, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमेशचंद्र सिन्हा कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे और अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. जटाशंकर (प्रयागराज) मुख्य अतिथि होंगे। अतिथियों का स्वागत दर्शन परिषद्, बिहार की अध्यक्ष सह दर्शनशास्त्र विभाग, पटना विश्वविद्यालय, पटना की पूर्व अध्यक्ष डॉ. पूनम सिंह करेंगी।

*ऑफलाइन कार्यक्रम*
ऑफलाइन कार्यक्रम ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में होगा। इसमें महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. कैलाश प्रसाद यादव एवं मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ. शंकर कुमार मिश्र के अलावा विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. मिहिर कुमार ठाकुर, दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष शोभाकांत कुमार, केपी कॉलेज, मुरलीगंज के प्रधानाचार्य डॉ. जवाहर पासवान आदि की विभिन्न भूमिकाओं में उपस्थिति रहेगी।

*होंगे टिप्पणी एवं प्रश्नोत्तर सत्र*
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में विशेष रूप से टिप्पणी एवं प्रश्नोत्तर सत्र का आयोजन सुनिश्चित है। इसमें सुप्रसिद्ध दार्शनिक डॉ. आलोक टंडन (उत्तर प्रदेश) और दर्शनशास्त्र विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा केंद्रीय विश्वविद्यालय, श्रीनगर- गढ़वाल (उत्तराखंड) की अध्यक्षता प्रो. (डॉ.) इंदु पांडेय खंडुरी की टिप्पणी होगी। सभी प्रतिभागियों द्वारा प्रश्न पुछे जाएंगे।

*सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं सात संवाद*
डॉ. शेखर ने बताया कि ‘स्टडी सर्किल’ के अंतर्गत लोगों का एक छोटा समूह नियमित रूप से प्रत्येक माह एक पूर्व निर्धारित विषय पर संवाद और चर्चा-परिचर्चा करते हैं। बीएनएमयू, मधेपुरा में अब तक सात संवाद सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं।

उन्होंने बताया कि प्रथम संवाद अप्रैल 2022 में सांस्कृतिक स्वराज (मुख्य वक्ता डॉ. रमेशचन्द्र सिन्हा, नई दिल्ली) विषय पर हुआ था। आगे मई में गीता का दर्शन (प्रो. जटाशंकर, प्रयागराज), जून में मानवता के लिए योग (प्रो. एन. पी. तिवारी, पटना), जुलाई में भारतीय दर्शन में जीवन-प्रबंधन (प्रो. इंदु पांडेय खंडुरी, उत्तराखंड), अगस्त में प्रौद्योगिकी एवं समाज (डॉ. आलोक टंडन, उत्तर प्रदेश), सितंबर में समाज-परिवर्तन का दर्शन (डॉ. पूनम सिंह, पटना) और अक्टूबर में और अक्टूबर में सातवां संवाद गांधीवाद : सिद्धांत एवं प्रयोग (डॉ. मनोज कुमार, वर्धा) विषयक संवाद सफलतापूर्वक संपन्न हुआ है।

*मार्च 2023 तक प्रत्येक माह होंगे आयोजन*
उन्होंने बताया कि अभी आगे स्टडी सर्किल के अंतर्गत आगे दिसंबर 2022 से मार्च 2023 तक चार संवादों का आयोजन होना है। इसके लिए संभावित वक्ताओं डॉ. गोविन्द शरण (नेपाल), डॉ. मुरलीधर पांडा (दक्षिण अफ्रीका), डॉ. अम्बिका दत्त शर्मा (सागर), डॉ. वैद्यनाथ लाभ (बोधगया) एवं डॉ. रजनीश कुमार शुक्ल (वर्धा) आदि विद्वानों से अनुरोध किया जा रहा है। इन वक्ताओं से चर्चा के आधार पर विषयों का निर्धारण किया जाएगा।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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