स्मृति शेष : विद्युत भागवत
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विद्युत भागवत महिला अध्ययन में विद्वत्ता की एक पीढ़ी के अग्रणी विद्वानों में से एक रही हैं हैं, जिन्होंने स्त्री आंदोलन और स्त्री अध्ययन के क्षेत्रों के बीच आलोचनात्मक सहजता से काम किया और बहुविषयक स्त्रीवादी ज्ञान को अंतःविषयक शिक्षण और शोध कार्यक्रमों में अनुवाद करने की चुनौती स्वीकार की। पिछले दो दशकों में उनके लेखन से हमें महाराष्ट्र के सामाजिक इतिहास में हुए बौद्धिक बदलावों की झलक मिलती है।
विद्युत भागवत ने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर साहित्य, भाषा विज्ञान और महिला अध्ययन को ढाई दशक से अधिक समय तक पढ़ाया है। वह पुणे विश्वविद्यालय में क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले महिला अध्ययन केंद्र की संस्थापक निदेशक रहीं जहाँ से वह 2008 में सेवानिवृत्त हुईं।
विद्युत भागवत का अधिकांश शोध ऐतिहासिक, साहित्यिक और स्त्री अध्ययन के प्रति स्पष्ट प्रतिबद्धता से उभरता है। एक राज्य विश्वविद्यालय में अध्यापन करते हुए, वह स्त्री अध्ययन के क्षेत्र में अभिनव शिक्षण कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने और संचालित करने में शामिल रही हैं और अंतरराष्ट्रीय समन्वय के साथ भारतीय समाज, वैश्वीकरण और सामाजिक न्याय पर पाठ्यक्रम चलाती रही हैं। महाराष्ट्र में जाति-विरोधी, किसान और महिला आंदोलनों के साथ उनकी सक्रिय भागीदारी ने उनके शोध और शिक्षण को उच्चतम स्तर पर पहुंचाया है।
विद्युत भागवत की अनुवाद पर कई परियोजनाएँ विभिन्न भाषाई और संस्थागत स्थानों में नए ‘संवाद’ खोलने का प्रयास करती हैं। उन्होंने सामाजिक आंदोलनों, मध्यकालीन और आधुनिक महाराष्ट्र के सामाजिक इतिहास, नारीवादी साहित्यिक अध्ययन, नारीवादी विचार और सिद्धांत सहित व्यापक विषयों पर अंग्रेजी और मराठी दोनों में बड़े पैमाने पर लेखन और प्रकाशन किया है।
विद्युत भागवत को 2004-2005 में उनकी पुस्तक स्त्री प्रश्नाची वाचाल के लिए प्रतिष्ठित ‘समाजविद्या कोष पुरस्कार’ और वर्ष 2009 के लिए ‘महाराष्ट्र सारस्वत पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उनका निधन स्त्री अध्ययन के क्षेत्र में शोध कर रहे अध्येताओं के लिए अपूरणीय क्षति है। वे हमारे लेखन एवं दिलों में सदैव जीवित रहेंगी।
– डॉ. सुप्रिया पाठक, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय केंद्र, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)