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सूचना एवं आमंत्रण* *संवाद : बिहार में बापू’*

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*सूचना एवं आमंत्रण*

*संवाद : बिहार में बापू’*

बिहार सदियों से सभ्यता- संस्कृति एवं दर्शन का केंद्र रहा है। राष्ट्रीय आंदोलन और महात्मा गाँधी के जीवन में भी बिहार का महत्वपूर्ण स्थान है।

मालूम हो कि दक्षिण अफ्रीका से 21 वर्षों बाद गाँधी भारत 1915 के 9 जनवरी को मातृभूमि की सेवा के लिए आए और पहली बार 10 अप्रैल 1917 को बिहार। फिर विभिन्न संदर्भ में गांधी 24 बार बिहार आए और लगभग चार सौ दिन से अधिक बिहार में रहे।

कोसी-सीमांचल में भी गाँधी की काफी यादें हैं और यहां कई गाँधीवादी संस्थाएं भी सक्रिय हैं। गाँधी 1920, 1927,1934 के वर्षों में दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, राजनगर, सहरसा, निर्मली आए थे। 1925 में कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, फारबिसगंज, तथा 1934 में कटिहार फारबिसगंज अररिया पुलकाना, पूर्णिया, टिकापट्टी तथा रूपसी गए हैं।

अतः क्षेत्रीय इतिहास का संकलन तथा गाँधी के संस्मरणों को एकत्र करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय सेवा योजना, बीएनएमयू, मधेपुरा तथा दर्शनशास्त्र विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के संयुक्त तत्वावधान में 06 सितंबर, 2025 (शनिवार) को साढ़े ग्यारह बजे से महाविद्यालय के प्रधानाचार्य कक्ष में ‘बिहार में बापू’ विषयक संवाद का आयोजन किया गया है। इसमें बिहार सर्वोदय मंडल एवं सर्वोदय समाज से जुड़े कई नेता एवं स्वयंसेवक तथा स्थानीय शिक्षक, शोधार्थी एवं मीडियाकर्मी भाग लेंगे।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज कुमार होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव एवं संचालन युवा इतिहासकार डॉ. हर्ष वर्धन सिंह राठौड़ करेंगे।

*कार्यक्रम में आपकी गरिमामयी उपस्थिति सादर प्रार्थित है।*

बहुत-बहुत धन्यवाद।

*डॉ. सुधांशु शेखर*

कार्यक्रम समन्वयक

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