*साहित्य अकादमी के उपसचिव को पुस्तक भेंट*
बीएनएमयू, मधेपुरा में राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के कार्यक्रम समन्वयक एवं अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के सहसचिव डॉ. सुधांशु शेखर ने नई दिल्ली में साहित्य अकादेमी के उपसचिव एवं आलोक पत्रिका के संपादक डॉ. देवेन्द्र कुमार देवेश से मुलाकात कीं और उन्हें अपनी पुस्तक गाँधी-विमर्श (2015) भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर एल. एन. एम. एस. कॉलेज, वीरपुर (सुपौल) में असिस्टेंट प्रोफेसर (हिन्दी) डॉ. पंकज शर्मा भी उपस्थित थे।
*’गाँधी-विमर्श’ में हैं तेरह अध्याय*
डॉ. शेखर ने बताया कि ‘गाँधी- विमर्श’ पुस्तक में तेरह अध्याय हैं। इसके अंतर्गत ‘राष्ट्र’, ‘सभ्यता’, ‘धर्म’, ‘राजनीति’, ‘स्वराज’, ‘शिक्षा’, ‘स्त्री’, ‘दलित’, ‘स्वास्थ्य’, ‘पर्यावरण’, ‘विकास’ एवं ‘भूमंडलीकरण’ को गाँधी दृष्टि से देखने-समझने की कोशिश की गयी है। लेखक का कहना है कि सवाल चाहे धर्म राजनीति एवं शिक्षा का हो अथवा प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं विकास का, सभी का जवाब गाँधी को केंद्र में रखकर ढूंढ़ा जा सकता है। ‘गाँधी का रास्ता’ पूरी तरह निरापद हो या नहीं हो, लेकिन यह एक विकल्प अवश्य है।
*आम लोगों के लिए भी उपयोगी है ‘गाँधी-विमर्श’*
डॉ. शेखर ने बताया कि ‘गाँधी-विमर्श’ पुस्तक न केवल गाँधी एवं समकालीन विमर्शों में रूचि रखने वाले शिक्षकों, शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों, वरन् आम लोगों के लिए भी उपयोगी है। इसका आशीर्वचन अखिल भारतीय दर्शन-परिषद् के तत्कालीन अध्यक्ष प्रो. जटाशंकर एवं प्राक्कथन तत्कालीन महामंत्री प्रो. अम्बिका दत्त शर्मा ने लिखा है।
*लेखकीय सक्रियता बनाए रखने की अपेक्षा*
डॉ. देवेश ने डॉ. शेखर को बधाई दीं और आगे भी लेखकीय सक्रियता बनाए रखने की अपेक्षा जताई। डॉ. शेखर ने बताया कि भेंट की गई पुस्तक के अतिरिक्त भी उनकी तीन अन्य पुस्तकें सामाजिक न्याय : अंबेडकर- विचार और आधुनिक संदर्भ (2014), भूमंडलीकरण और मानवाधिकार (2017) तथा गाँधी, अंबेडकर और मानवाधिकार (2024) भी प्रकाशित हैं। आगे इसी वर्ष एक अन्य पुस्तक हिंद-स्वराज का दर्शन (2025) प्रकाशित होने वाली हैं।