सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में नैतिकता और नैतिक दुविधाएँ : चुनौतियाँ और समाधान विषय पर संवाद 11 जून को
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मधेपुरा। बीएनएमयू, मधेपुरा की अंगीभूत इकाई ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा में आगामी 11 जून, 2025 (बुधवार) को पूर्वाह्न 11:00 बजे से सामाजिक विज्ञान अनुसंधान में नैतिकता और नैतिक दुविधाएँ : चुनौतियाँ और समाधान विषय पर ऑनलाइन संवाद का आयोजन किया जाएगा।
कार्यक्रम के आयोजन सचिव सह दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि इस संवाद के मुख्य वक्ता दर्शनशास्त्र विभाग, मुम्बई विश्वविद्यालय, मुम्बई की प्रोफेसर डॉ. नमिता नीम्बालकर होंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता होंगी। कार्यक्रम की अध्यक्षता दर्शनशास्त्र विभाग, हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय (एचएनबीजीयु), श्रीनगर- गढ़वाल में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) इंदु पाण्डेय खंडूरी करेंगी। अतिथियों का स्वागत प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.) कैलाश प्रसाद यादव करेंगे।
*कौन हैं प्रो. नमिता?* : डॉ. शेखर ने बताया कि प्रो. नमिता निंबालकर, मुंबई विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र विभाग में प्रोफेसर हैं। आप भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद (आईसीपीआर) के सदस्य हैं और अखिल भारतीय दर्शन परिषद के सहसचिव भी रहे हैं। आपकी शैक्षणिक विशेषज्ञता गाँधीवादी दर्शन, पर्यावरण नैतिकता, विश्व-धर्म और प्लेटो के दर्शन में निहित है।
उन्होंने बताया कि आपके उल्लेखनीय शोध ‘गाँधी की धर्म और सांप्रदायिक सद्भाव की खोज’ के लिए उन्हें भारतीय महिला दर्शन परिषद से सर्वश्रेष्ठ पुस्तक पुरस्कार (2018) मिला है। आपने “महात्मा गाँधी के नैतिक और सामाजिक दर्शन” पर एक स्वयं मुक पाठ्यक्रम भी विकसित किया है। आपने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा वित्त पोषित पाँच लघु शोध परियोजनाओं को सफलतापूर्वक पूरा किया है।
*कौन हैं प्रो. खंडूरी* : डॉ. शेखर ने बताया कि प्रो. (डॉ.) इंदु पाण्डेय खंडूरी, एचएनबीजीयु, श्रीनगर-गढ़वाल में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष एवं एमएमटीटी केंद्र की निदेशक रही हैं। आपने अपनी स्नातक की उपाधि बीएचयू, वाराणसी से, स्नातकोत्तर की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज से और पीएच. डी. की उपाधिजेएनयू, नई दिल्ली से प्राप्त की है। आपकी 05 पुस्तकें तथा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिकाओं में 42 शोध पत्र प्रकाशित हैं ।
उन्होंने बताया कि आपने अकादमिक प्रस्तुतियों के लिए दक्षिण कोरिया, ग्रीस और रोमानिया का दौरा किया है। आपने राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लगभग 50 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए हैं और सौ से अधिक व्याख्यान ऑनलाइन- ऑफलाइन व्याख्यान दिया है।
*मिलेगा प्रमाण-पत्र* डॉ. शेखर ने बताया कि भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित यह संवाद पूर्णतः नि: शुल्क है और इसमें भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों को ऑनलाइन प्रमाण-पत्र जारी किया जाएगा।