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व्याख्यान का उद्घाटन करेंगे पद्मश्री प्रो. रामजी सिंह।

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व्याख्यान का उद्घाटन करेंगे पद्मश्री प्रो. रामजी सिंह
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बीएनएमयू, मधेपुरा की अंगीभूत इकाई ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के तत्वावधान में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत संचालित भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित ‘स्टडी सर्किल’ योजनान्तर्गत वेदांती समाज-दर्शन विषयक ऑनलाइन व्याख्यान 30 नवंबर, 2024 (शनिवार) को अपराह्न 03:00 बजे से निर्धारित है।

प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने बताया कि कार्यक्रम में उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध गाँधीवादी विचारक पूर्व सांसद एवं पूर्व30 कुलपति प्रो. रामजी सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रहेगी।

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता दर्शनशास्त्र विभाग, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) के पूर्व अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय दर्शन परिषद् के अध्यक्ष प्रो. जटाशंकर होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्ष आईसीपीआर नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष प्रो. आर. सी. सिन्हा करेंगे।

*होंगे बारह व्याख्यान*
कार्यक्रम के आयोजन सचिव सह स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि ‘स्टडी सर्कल’ के तहत नवंबर 2024-अक्टूबर 2025 तक विभिन्न विषयों पर बारह व्याख्यान होगा। सभी बारह व्याख्यानों के लिए वक्ताओं का नाम भी तय कर लिया गया है। उन लोगों से संपर्क कर समय एवं विषय आदि का निर्धारण किया जाएगा।

*पहले भी हो चुके हैं बारह संवाद*

उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में इसके पूर्व अप्रैल 2022 से मार्च 2023 तक स्टडी सर्किल कार्यक्रम के तहत विभिन्न विषयों पर सफलतापूर्वक बारह संवादों का आयोजन किया जा चुका है। इन संवादों के वक्ता क्रमशः प्रो. रमेशचन्द्र सिन्हा (नई दिल्ली), प्रो. जटाशंकर, (प्रयागराज), प्रो. एन. पी. तिवारी (पटना), प्रो. इंदु पांडेय खंडुरी (गढ़वाल), डॉ. आलोक टंडन (हरदोई), प्रो. पूनम सिंह (पटना), डॉ. मनोज कुमार (वर्धा), माधव तुरूमेला (लंदन), डॉ. गोविन्द शरण उपाध्याय (नेपाल), प्रो. सच्चिदानंद मिश्र (नई दिल्ली), प्रो. सभाजीत मिश्र (गोरखपुर) और जैविक नारीवाद (प्रो. नीलिमा सिन्हा) थीं।

स्टडी सर्किल योजनान्तर्गत आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों का एक ही ऑनलाइन गूगल मीट लिंक है-
https://meet.google.com/zkt-fqqj-ctb

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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