Search
Close this search box.

Covid-19। कोरोना : बच्चों की चिंता

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

कोरोना : बच्चों की चिंता
बढ़ते जनदवाब के बाद केंद्र सरकार से निदेश जारी होने के बाद बिहार सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे मजदूरों एवं विद्यार्थियों को घर वापसी के लिए पहल किया। तदनुसार बिहार में भी प्रवासी मजदूरों एवं विद्यार्थियों की घर वापसी हो रही है। गुरूवार को कोटा में फंसे विद्यार्थी सुबह  सहरसा स्टेशन पहुंचे और काफी देर बाद उन्हें मधेपुरा लाया गया। इस बीच विद्यार्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यह महज एक उदाहरण है सहरसा-मधेपुरा की तरह ही अन्य जिलों में भी लगभग यही हालत है।
बीएनएमयू के सिंडीकेट सदस्य सह राजनीति विज्ञान विभाग, टी. पी. काॅलेज, मधेपुरा के अध्यक्ष डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा है कि मजदूरों एवं विद्यार्थियों की घर वापसी में अव्यवस्था है। इससे इससे यह जाहिर होता है कि बिहार सरकार पूरे मामले को गंभीरता से नहीं ले रही है और उसके पास कोराना संकट से निपटने की प्रभावी कार्य योजना का अभाव है।
जनसंपर्क पदाधिकारी सह दर्शनशास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डाॅ. सुधांशु शेखर ने कहा है कि जो लोग दूसरे राज्यों से बिहार आ रहे हैं, उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए।
कोटा में मेडिकल की तैयारी कर रही एक छात्रा के अभिभावक शंभू नारायण यादव ने कहा है कि राजस्थान सरकार और कोटा प्रशासन ने वहाँ फंसे बिहारी विद्यार्थियों को वापस भेजने में सकारात्मक भूमिका निभाई। सभी विद्यार्थियों को आवश्यक स्क्रिनिंग के बाद ट्रेन में चढ़ाया गया। रास्ते के लिए खाने की सामग्रियाँ एवं पानी की बोतल और सेनेटाइजर एवं मास्क दिया गया। लेकिन बिहार सरकार और सहरसा-मधेपुरा प्रशासन का विद्यार्थियों के प्रति व्यवहार असंवेदनशील रहा।
विश्वविद्यालय के भंडारपाल बिमल कुमार ने कहा कि बीएनएमयू, मधेपुरा के दर्जनों शिक्षकों एवं कर्मचारियों के बच्चे कोटा से वापस आए हैं। कई अन्य शहरों में मधेपुरा एवं अन्य शहरों के बच्चे फंसे हुए हैं। सरकार को चाहिए कि वह सभी बच्चों को सुरक्षित वापस लाए।
घनश्याम राय, अशोक केसरी, ओमप्रकाश यादव, अरविंद कुमार आदि  दर्जनों अभिभावकों ने भी कोटा से विद्यार्थियों की सुरक्षित वापसी पर संतोष व्यक्त किया और अन्य बच्चों की भी सुरक्षित वापसी की मांग की है।
कोटा से लौटे छात्र  सुधांशु राय, सिद्ध एवं बाॅबी ने बताया कि कोरोना के कारण विद्यार्थियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सहरसा स्टेशन पर खाने-पीने की व्यवस्था नहीं थी। सहरसा से मधेपुरा आने के क्रम में बस में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हुआ।

READ MORE