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“योद्धा संन्यासी” का लोकार्पण समारोह

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“योद्धा संन्यासी” का लोकार्पण समारोह
–राजभवन, पटना में।

साहित्य, सत्याग्रह और सेवा के संगम का साक्षी बना राजभवन, पटना, जब “योद्धा संन्यासी” उपन्यास का लोकार्पण एक ऐतिहासिक अवसर पर सम्पन्न हुआ। यह अवसर और भी विशेष बन गया जब भूदान आंदोलन की हीरक जयंती के उपलक्ष्य में पांच महान गांधीवादियों को सम्मानित किया गया।

सम्मानित विभूतियाँ थीं:

पद्मश्री रामजी सिंह

श्री अमरनाथ भाई

श्रीमती आशा सहाय, लेफ्टिनेंट, लक्ष्मीबाई रेजिमेंट, आज़ाद हिंद फौज

श्री अलख नारायण भाई

श्री लक्षणदेव जी

श्री रामजी सिंह जी की अनुपस्थिति में उनके तीन वर्षीय प्रपौत्र ने उनके सम्मान को ग्रहण किया।
इन विभूतियों का सम्मान मात्र व्यक्तियों का नहीं, बल्कि उनके जीवन मूल्यों, संघर्ष और गांधी विचारधारा के प्रति उनकी निष्ठा का अभिनंदन था।

संजय भाई ने सूत्रधार की भूमिका अत्यंत कुशलता और आत्मीयता से निभाई, जिससे पूरा आयोजन एक सशक्त भावप्रवाह में बहता रहा।

श्री रमेश भैया एवं हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष श्री शंकर सान्याल जी ने अपने उद्बोधन में गांधी विचार और वर्तमान समय में उसकी प्रासंगिकता पर गहरी बात रखी।

इस गरिमामयी अवसर पर मेरी पूज्य माँ, अनार बहन पटेल एवं जयेश भाई पटेल, वाणी प्रकाशन की प्रबंधक अदिति महेश्वरी, नरेश यादव, डॉ. संजय पासवान, गीता शॉ पुष्प, संतोष दीक्षित, अरुण कुमार सिंह ,प्रो ध्रुव कुमार,आचार्य प्रणय, gandharvika, yoganwita,दयानंद जायसवाल लतांत प्रसून ,मनोज पंडित सहित लगभग सौ से अधिक गणमान्य अतिथियों की उपस्थिति ने पूरे प्रशाल को भावनात्मक ऊष्मा और गरिमा से भर दिया।
संजय भाई ने सूत्रधार की भूमिका अत्यंत कुशलता और आत्मीयता से निभाई।
श्री रमेश भैया एवं हरिजन सेवक संघ के अध्यक्ष श्री शंकर सान्याल जी ने अपने वक्तव्यों में गांधी दर्शन और भूदान एवं सामाजिक परिवर्तन की आवश्यकता पर प्रभावशाली विचार रखा।

इस अवसर पर बिहार के महामहिम राज्यपाल श्री आरिफ मोहम्मद खान जी का संबोधन अत्यंत प्रेरणादायी रहा। उन्होंने स्वामी विवेकानंद,गांधी, विनोबा और भूदान आंदोलन की आत्मा को उदारतापूर्वक उद्घाटित करते हुए कहा कि “साहित्य और सेवा का यह मिलन आनेवाली पीढ़ियों को जागरूक करने वाला है। उनका उद्बोधन सहज था, गहन था और आत्मा को छू लेने वाला भी।
उनकी उपस्थिति ने पूरे आयोजन को एक संवेदनशील, प्रेरणादायी और ऐतिहासिक स्वरूप प्रदान किया।

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