*यादव किए गए भगवान बिरसा मुंडा*
*बिरसा मुंडा का संघर्ष एवं बलिदान अतुलनीय*
बीएनएमयू के राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के तत्वावधान में शनिवार को भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती (जनजातीय गौरव दिवस) के अवसर पर कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा एवं संवाद का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. सी. पी. सिंह ने बताया कि बिरसा मुंडा (15 नवंबर 1875 – 9 जून 1900) एक भारतीय आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी और मुंडा जनजाति के लोक नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश राज के दौरान 19वीं शताब्दी के अंत में बंगाल प्रेसीडेंसी (अब झारखंड) में हुए एक आदिवासी आंदोलन का नेतृत्व किया। भारत के आदिवासी उन्हें भगवान या धरती आबा मानते हैं।
उन्होंने बताया कि बिरसा मुंडा ने देश को आजादी दिलाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। उनका संघर्ष एवं बलिदान अतुलनीय है। लेकिन दुख की बात है कि इतिहास के पन्नों में उन्हें समुचित स्थान नहीं मिला। ऐसे में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने का निर्णय काफी सराहनीय है।
*आजादी की लड़ाई में अविस्मरणीय योगदान*
मुख्य वक्ता कुलानुशासक डॉ. इम्तियाज अंजूम ने कहा कि बिरसा मुंडा ने आजादी की लड़ाई में अविस्मरणीय योगदान दिया है। अंग्रेजों ने 1900 ई. को बिरसा मुंडा को गिरफ्तार कर रांची जेल में बंद कर दिया। जेल में ही बिरसा ने अंतिम सांस ली। इसके साथ ही आजादी के इतिहास में उनका नाम स्वर्णाक्षरों में अंकित हो गया।
मुख्य अतिथि माननवीकी संकायाध्यक्ष प्रो. राजीव कुमार मल्लिक ने कहा कि बिरसा मुंडा का पूरा परिवार आजादी के संघर्ष से जुड़ा हुआ था। इनके परिवार के लगभग दो दर्जन लोगों को अंग्रेजों ने फांसी दी थीं।
*परंपराओं के संरक्षण में महती भूमिका*
विशिष्ट अतिथि मनोविज्ञान विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. एम. आई. रहमान ने कहा कि बिरसा मुंडा ने अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीतियों का विरोध किया। उन्होंने जल, जंगल, जमीन एवं जन को बचाने के लिए संघर्ष किया और जनजातियों की सभ्यता- संस्कृति, रीति-रिवाज एवं परंपराओं के संरक्षण में महती भूमिका निभाई। उनका संघर्ष आज भी हमारे लिए प्रेरणादायी है।
सम्मानित अतिथि क्रीड़ा एवं सांस्कृतिक परिषद के निदेशक प्रो. मो. अबुल फजल ने कहा कि भारत की आजादी की लड़ाई में हमारे देश के सभी वर्गों के लोगों ने भागीदारी निभाई थी। हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम उनके योगदान को सामने लाएं और उससे युवा पीढ़ी को परिचित कराएं।

*शोध की जरूरत*
सम्मानित अतिथि इतिहास विभाग के डॉ. विमल कुमार सिंह ने कहा कि बिरसा मुंडा और जनजातीय समुदाय के योगदान पर अधिकाधिक शोध की जरूरत है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि एनएसएस के तत्वावधान में जनजातीय गौरव दिवस पर विभिन्न महाविद्यालयों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। आगामी 28-29 नवंबर को बीएनएमभी महाविद्यालय में एक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का भी आयोजन किया जाएगा।

इस अवसर पर सिंडिकेट सदस्य कैप्टन गौतम कुमार, एम. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. एस. पी. सिंह, बी. एड. विभागाध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अमरेन्द्र कुमार, अनील कुमार, डॉ. अमीस कुमार, डॉ. अरुण कुमार, डॉ. माधुरी कुमारी, प्रिंस कुमार, मनीष कुमार, रजनीश कुमार, राजेश कुमार, संतोष कुमार, योगेन्द्र कुमार, मनोज, प्रफुल्ल कुमार, उपेन्द्र चौधरी, धर्मेन्द्र, शैलेश कुमार चंदन कुमार, प्रियव्रत कुमार आदि उपस्थित थे।












