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मधेपुरा का है गौरवशाली इतिहास : कुलपति*

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*मधेपुरा का है गौरवशाली इतिहास : कुलपति*

मधेपुरा का गौरवशाली इतिहास है और स्वतंत्रता संग्राम में भी हमारे पुरखों ने महती भूमिका निभाई है। सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर नमक सत्याग्रह और भारत छोड़ो आंदोलन तक सभी आंदोलनों में यह क्षेत्र अग्रणी रहा है।

यह बात बीएनएमयू , मधेपुरा के कुलपति प्रो. (डॉ.) आर. के पी रमण ने कही। वे शुक्रवार को संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित क्रांतितीर्थ (आजादी के दीवानों को नमन) कार्यक्रम के समापन समारोह में उद्घाटन कर्ता के रूप में बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन संस्कार भारती तथा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल एंड कल्चरल स्टडीज इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।

उन्होंने कहा की स्वतंत्रता आंदोलन में मधेपुरा के सेनानियों की भूमिका अहम है। मधेपुरा क चूल्हाय यादव अंग्रेजों के खिलाफ अनुमंडल कार्यालय पर झंडा फहराने के दौरान गिरफ्तार हुए और पुलिस की पीटाई से उनकी मौत हुई थी।

*क्रांतितीर्थ प्रतियोगिता ने मधेपुरा के लोगों में भरा देशभक्ति के भाव : डॉ. विनय चौधरी*

मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ. विनय चौधरी ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के वास्तविक इतिहास को धूमिल करने का प्रयास किया गया है। इसमें मधेपुरा एवं अन्य कई पिछड़े इलाके के लोगों के योगदान को समुचित स्थान नहीं दिया गया है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में मधेपुरा के सेनानियों की अहम भूमिका रही है। यहां की मिट्टी में शुरू से ही समाजवादी एवं राष्ट्रवादी सोच पनपती रही है। आज युवा अगर अपने पूर्वज को याद कर रहे हैं तो ये बड़ी बात है।

*नमक क़ानून का पुरजोर विरोध हुआ था मधेपुरा में : डॉ. ललन प्रसाद अद्री*

प्राचीन इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. ललन प्रसाद अद्री ने बताया कि शहीद चूल्हाय, शिवनन्दन मंडल, रास बिहारी मंडल, कमलेश्वरी प्रसाद मंडल, भूपेंद्र नारायण मंडल, बीपी मंडल आदि ने आंदोलन में भाग लिया।
कार्यक्रम भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय परिसर स्थित प्रेक्षागृह में आयोजित किया गया है।

अर्थशास्त्र विभाग की प्राध्यापक प्रज्ञा प्रसाद ने कहा कि युवाओं को अपने इतिहास से प्रेरणा लेकर अपने वर्तमान को संवारने का प्रयास करना चाहिए।

उपकुलकचिव (स्थापना)
डॉ. सुधांशु शेखर ने कहा कि मधेपुरा के क्रांतिकारी व्यक्तियों और स्थलों से संबंधित जानकारियों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है।

कार्यक्रम के संयोजक राहुल यादव ने बताया कि संस्कार भारती कला और साहित्य की बड़ी संस्था है। इसके माध्यम से लोगों लोगों को संस्कार एवं संस्कृति की शिक्षा दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है कि मधेपुरा के क्रांतिकारी स्थानों जैसे नमक सत्याग्रह स्थल सुखासन को राष्ट्रीय पहचान मिल सके.

कार्यक्रम का संचालन सह संयोजक अमित कुमार अंशू ने तथा धन्यवाद ज्ञापन सौरव यादव ने एवं अतिथियों का स्वागत सुधांशु कुमार एवं डॉ. अंकेश गोप ने किया.

विभिन्न विधा में दर्जनों बच्चे ले रहे हैं भाग :- संस्कार भारती

बीएन मंडल विवि में आयोजित क्रांतितीर्थ प्रतियोगिता के तहत देशभक्ति गीत, कविता, चित्रकला, शार्ट वीडियो, समूह गीत, नृत्य के प्रतिभागी कार्यक्रम करके देशभक्ति का माहौल बना रहे हैं कार्यक्रम देर संध्या तक चलेगी जिसका परिणाम दूसरे दिन प्रकाशित किया जायेगा‌

कार्यक्रम के लिए निर्णायक मंडल में निम्न लोगों ने किया सहभागिता डा विनय कुमार चौधरी, डा. सिद्धेश्वर कश्यप, डा हेमा कुमारी कश्यप, विभा कुमारी, आभा कुमारी, सज्जन कुमार रंजन, संतोष एवं दिलीप के नेतृत्व में निर्णायक कमिटी अलग -अलग विधा में निर्णायक की भूमिका में थे.
मधेपुरा नगर परिषद अध्यक्ष कविता कुमारी साहा तथा पुरस्कार वितरण कार्यक्रम में मधेपुरा नगर परिषद की कार्यपालक पदाधिकारी तान्या कुमारी एवं जिला अधिवक्ता संघ के सचिव संजीव कुमार ने भाग लेकर पुरस्कार वितरण किया।
कार्यक्रम सफल बनाने के लिए सह संयोजक सुधांशु कुमार, सौरव कुमार, डा अंकेश गोप,गुलशन कुमार, मंदीप कुमार, कुणाल कृष्णा,पुरुषोत्तम कुमार, अरविन्द दास, डॉ. नरेंद्र श्रीवास्तव, सुधीर वर्मा,अनंत प्रताप, सपना कुमारी, सुनीता कुमारी, बिपिन कुमार, बलराम कुमार आदि उपस्थिति रहे.

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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