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बिहार विभूति अनुग्रह बाबू : भावपूर्वक श्रद्धांजलि

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बिहार विभूति अनुग्रह बाबू : भावपूर्वक श्रद्धांजलि

संसार में कुछ महापुरुष ऐसे होते है जिनकी जीवनी
ही उनके समकालीन इतिहास का अभिन्न अंग
बन जाती है; बिहार के आधुनिक इतिहास में
यही उज्जवल और अद्वितीय स्थान स्वर्गीय
बिहार विभूति डॉ अनुग्रह नारायण सिंह जी
का है जिनकी 133 वी जयंती समस्त
कृतज्ञ राष्ट्र आज मना रहा है| मेरे बाबा स्वर्गीय जीतेन्द्र नारायण सिंह (बड़े साहेब) उनके ज्येष्ठ पुत्र थे;
हालाँकि मुझे बिहार विभूति को सशरीर देखने
का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ पर बाल्यावस्था
से ही अपने पूजनीय पिताजी स्वर्गीय प्रमोद बाबू के मुखकमलों से अनुग्रह बाबू की उदारता, शालीनता, महानता, त्याग, निश्चल स्वभाव और बिहार के नवनिर्माण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के किस्से सुने||मेरे बाबा के अनुज भ्राता और अविभाजित बिहार के भूतपूर्व मुख्यमंत्री
स्वर्गीय सत्येंद्र नारायण सिंह (छोटे-साहेब) ने
अपने चर्चित आत्मकथा “मेरी यादें-मेरी भूलें”
में अनुग्रह बाबू के दैवीय व्यक्तित्व और
स्वतन्त्रता आंदोलन में उनकी प्रमुख भूमिका
की विस्तार से चर्चा की है|यह मेरा परम सौभाग्य
रहा है की अपने पिता के सानिध्य में अनुग्रह भवन
कदमकुआं में हम भाई-बहन की परवरिश
हुई जो कभी पटना में स्वतन्त्रा आंदोलन
का मुख्य केंद्र बना रहा था और जहाँ कभी स्वर्गीय
देशरत्न राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू
श्री बाबू , जगजीवन
राम आदि महापुरुषो का आगमन हुआ करता
था|मेरी पूजनीय
माता जी श्रीमती लक्ष्मी सिंह विवाहोपरांत अनुग्रह
बाबू के गाँधी मैदान स्तिथ आधिकारिक निवास
पर रहने आयी थी जो कालांतर में ऐ ऍन सिन्हा
इंस्टिट्यूट बना|अक्सर मेरे पिताजी और मेरी माताजी को “बाबू साहेब ” बुलाया करते थे और स्नेहपूर्वक
आशीर्वाद दिया करते थे| मेरे चाचा श्री निखिल कुमार (भूतपूर्व राज्यपाल, केरल) को अपने अंतिम क्षणों में अनुग्रह बाबू
ने अपने पास बुलाया था और आत्मनिर्भर
बनने की सीख दी थी|मेरे पूजनीय चाचा के व्यक्तित्व
पर भी उनके पितामाह अनुग्रह बाबू का
व्यापक प्रभाव रहा है|

आज जहाँ राजनीति एक व्यवसाय
बन चुकी है, मैंने चौथी पीढ़ी के प्रतिनिधि के रूप
में सदैव अनुग्रह बाबू की मूल्य आधारित राजनीति के
सिद्धांत के पालन का प्रयास किया है|

वर्तमान परिस्थितियों में अनुग्रह बाबू जैसे दिव्य व्यक्तित्व से प्रेरणा लेने की कहीं ज्यादा जरुरत है| बिहार
पुनः देश में अग्रणी पंक्ति का राज्य बन सकता
है अगर हमारी सरकार अनुग्रह बाबू के पद्चिन्हों पर
चले|
बिहार विभूति को उनकी १३३ वी जन्म जयंती पर कोटि कोटि नमन.

राकेश कुमार
बिहार विभूति के प्रपौत्र

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