Search
Close this search box.

बिहार में बापू’ संवाद टीम का स्वागत, प्रयास की सराहना

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

*’ बिहार में बापू’ संवाद टीम का स्वागत, प्रयास की सराहना*

*’ बिहार में बापू ‘ पर संवाद का कारवां भूले बिसरे यादों को एकत्रित करने का प्रयास*

‘बिहार में बापू’ संवाद की टीम को मधेपुरा पहुंचने पर विभिन्न स्तरों पर सम्मानित किया गया।इस क्रम में आजाद पुस्तकालय के सचिव डॉ. हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने मुख्य अतिथि सह मुख्य वक्ता महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र) के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज कुमार को पुस्तकालय की ओर से सदन में भूपेंद्र नारायण मंडल पुस्तक भेंट की। डॉ. राठौड़ ने प्रो. मनोज के अतिरिक्त विशिष्ट अतिथि बिहार सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष चंद्रभूषण, सम्मानित अतिथि सर्व सेवा संघ के मंत्री विजय कुमार एवं गांधीवादी कार्यकर्ता सीमा कुमारी को भूपेंद्र नारायण मंडल एवं कीर्ति नारायण मंडल की स्वरचित संक्षिप्त जीवनी भेंट कर भी सम्मानित किया। इस अवसर पर टी. पी. कॉलेज के प्रधानाचार्य सह सामाजिक विज्ञान के संकायाध्यक्ष प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, पूर्व विकास पदाधिकारी प्रो. ललन आद्री, एनएसएस के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ. सुधांशु शेखर भी उपस्थित थे।

*’ 24 बार बिहार आगमन और चार सौ से अधिक दिन के प्रवास को समझने का मौका दे रहा संवाद*

आजाद पुस्तकालय के सचिव डॉक्टर हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि बिहार में बापू संवाद कार्यक्रम सूबे के अलग अलग हिस्सों में स्वतंत्रता आंदोलन के दिनों में बापू से जुड़ी यादों को समेटने ,संग्रहित करने का बड़ा माध्यम साबित होगा जिसका लाभ भावी पीढ़ियों को व्यापक रूप से मिलेगा वहीं यह संवाद बापू के सपनो से जुड़े संस्थाओं,संगठनों को फिर से पुनर्जीवित ही नहीं करेगा बल्कि उसकी जड़ों में जान भी डालेगा।
मालूम हो कि दक्षिण अफ्रीका से 21 वर्षों बाद गाँधी भारत 1915 के 9 जनवरी को मातृभूमि की सेवा के लिए आए और पहली बार 10 अप्रैल 1917 को बिहार। फिर विभिन्न संदर्भ में गांधी 24 बार बिहार आए और लगभग चार सौ दिन से अधिक बिहार में रहे।

*बिहार के अन्य हिस्सों सहित कोसी,सीमांचल से बापू का रहा जीवंत जुड़ाव*

संवाद को निकली टीम ने बताया कि कोसी-सीमांचल में भी गाँधी की काफी यादें हैं और यहां कई गाँधीवादी संस्थाएं भी सक्रिय हैं। गाँधी 1920, 1927,1934 के वर्षों में दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, राजनगर, सहरसा, निर्मली आए थे। 1925 में कटिहार, पूर्णिया, किशनगंज, अररिया, फारबिसगंज, तथा 1934 में कटिहार फारबिसगंज अररिया पुलकाना, पूर्णिया, टिकापट्टी तथा रूपसी गए हैं। इस दौरान व्यापक स्तर पर पदयात्रा भी की।लेकिन उससे जुड़ी यादें धीरे धीरे धूमिल हो रही हैं उन्हीं यादों को समेटने का प्रयास है यह संवाद। क्षेत्रीय इतिहास का संकलन तथा गाँधी के संस्मरणों को एकत्र करने के उद्देश्य में यह कारगर हो इसी लिए यह सफर शुरू किया गया है।सर्वोदय मंडल द्वारा जारी सफर के आलोक में टी पी कॉलेज में संवाद के लिए डॉक्टर हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने टी पी कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो कैलाश प्रसाद यादव एवं भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के एनएसएस पदाधिकारी डॉ सुधांशु शेखर का विशेष आभार जताया जिनके सहयोग से छुट्टी के दिन भी सार्थक एवं सफल संवाद सफलता पूर्वक संभव हो सका।

READ MORE