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बाढ़ आपदा से निपटने के लिए नदियों जोड़ना जरूरी : डा. संजीव – दैनिक जागरण के रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता में बोले प्राचार्य – कहा, कोसी की त्रासदी झेल रहे इलाके में चेतना जरूरी – वेट लैंड को वेस्ट लैंड नहीं वंडरलैंड बनाने का हो

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बाढ़ आपदा से निपटने के लिए नदियों जोड़ना जरूरी : डा. संजीव

– दैनिक जागरण के रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता में बोले प्राचार्य

 

– कहा, कोसी की त्रासदी झेल रहे इलाके में चेतना जरूरी

– वेट लैंड को वेस्ट लैंड नहीं वंडरलैंड बनाने का हो प्रयास

 

– बीएनएमवी कालेज मधेपुरा में आयोजित किया गया कार्यक्रम

– वाणी कुमारी प्रथम, अंशु प्रिया द्वितीय व तृतीय स्थान पर रहीं श्रेया कुमारी

 

दैनिक जागरण अखबार अपने समाचार पत्र के माध्यम से नित दिन पत्रकारिता के नई परिभाषा गढ़ रही है। दैनिक जागरण की खोजी पत्रकारिता और समाजिक सराेकार का दायरा प्रशंसनीय है। खासकर अपने रजत जयंती के उपलक्ष्य में छात्रों का विजन जानने के लिए जो 2050 के बिहार का परिकल्पना लिए भाषण प्रतियोगिता का आयोजन कर रही है, उसका दूरगामी परिणाम आना है। बाढ़ आपदा से त्रस्त रहने वाले इस कोसी इलाके के छात्रों के विजन को जानने-समझने का यह बेहतर मंच है। उक्त बातें बीएनएमवी कालेज मधेपुरा के प्राचार्य डा. संजीव कुमार ने कही।

 

वे बीएनएमवी कालेज सभागार में दैनिक जागरण द्वारा आयोजित रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित हुए और अपने संबोधन में कहा, दैनिक जागरण के रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता का विषय बाढ़ आपदा और 2050 का बिहार है। छात्रों से संवाद करते हुए प्राचार्य ने कहा कि बाढ़ आपदा और 2050 का बिहार शानदार विषय है। छात्र-छात्राओं ने भाषण के माध्यम 25 साल बाद के बिहार की जो परिकल्पना पेश की है वह प्रशंसनीय है। आने वाला कल निश्चित रूप से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व तकनीक का है। निसंदेह हमें इस बाढ़ आपदा से निपटने में बहुत मदद मिलेगी। लेकिन नदियों में जम चुके गाद की सफाई करनी होगी। नदी जोड़ परियोजना इसका सबसे सटीक समाधान होगा। पूरे देश भर की नदियों को अगर हम एक-दूसरे से जोड़ने में सफल हो जाएं तो शायद हर साल सुनी जानी वाली खबरें कहीं बाढ़ तो कहीं सुखाड़ से सामना नहीं करना पड़ेगा।

वेट लैंड को वेस्ट लैंड नहीं वंडरलैंड बनाने का हो प्रयास :

 

2008 की कुसहा त्रासदी व हर साल आने वाली बाढ़ विभीषिका का जिक्र करते हुए डा. संजीव ने कहा कि 2008 में हम तकनीकी रूप से समृद्ध नहीं थे इसलिए जान माल की अधिक क्षति हुई। लेकिन आने वाला समय आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस व तकनीक का है। अब हमें बहुत पहले ही बाढ़ जैसी आपदाओं का पता चल पाएगा और हम सुरक्षित रह पाएंगे। वक्त है आपदा को अवसर में बदलने का। गंगा, कोसी, महानंदा जैसी नदियों से घिरी इस इलाके के अधिकांश भू-भाग जल प्लावित हैं जिन्हें हम वेट लैंड कहते हैं। वेट लैंड को प्राय: हम सब बेकार समझते हैं। यानी वेस्टलैंड समझ कर एक तरह से परित्यक्त की भावना से छोड़ देते हैं। हमें अपनी इस सोच के दायरे से बाहर निकलना होगा। इन वेट लैंड में सुपर फूड मखाना का उत्पान कर सकते हैं। लिली, कमल आदि के फूल उगाए जा सकते हैं। सिघाड़ा आदि का उत्पादन कर समृद्धि की कहानी लिख सकते हैं। इसलिए जरूरत है वेटलैंड को वंडरलैंड बनाने की। उन्होंने ग्लाेबल वार्मिंग और क्लाइमेट चेंज पर विस्तार से चर्चा करते हुए कम से 30 प्रतिशत भूमि पर पौधरोपण करने की अपील की।

शबनम प्रवीण प्रथम, गौतम द्वितीय व मीनू कुमारी रहीं तृतीय स्थान पर :

राष्ट्रीय सेवा याेजना के कार्यक्रम पदाधिकारी डा. सुधांशु शेखर की उपस्थिति में आयोजित दैनिक जागरण के रजत जयंती भाषण प्रतियोगिता में जज की भूमिका में बीएनएमवी कालेज मधेपुरा के सेवानिवृत प्राध्यापक डा. नारायण कुमार, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय के असिस्टेंट प्राफेसर डा. असीम आनंद और बीएनएमवी कालेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. ब्रह्मानंद कुमार रहे। प्रतियोगिता में 25 प्रतिभागी शामिल हुए। जिनमें शबनम प्रवीण प्रथम स्थान पर रहीं। इसी तरह द्वितीय स्थान पर गौतम कुमार व तृतीय स्थान पर मीनू कुमारी रहीं। इसी तरह अन्य प्रतिभागियों यथा अनामिका कुमारी, सलोनी कुमारी, सुषमा कुमारी, निशा कुमारी, दिनकर कुमार, संजीव कुमार, प्रियांशु कुमार व नीरज कुमार आदि ने अपना विजन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन कालेज के पीटीआइ प्रेम कुमार के द्वारा किया गया।

 

विकास की गति को प्रभावित करती बाढ़ जैसी आपदा

मधेपुरा: बाढ़ की विभीषिका प्रत्येक वर्ष राज्य को झेलना पड़ता है। खासकर कोसी के इस इलाके में बाढ़ की समस्या हर दो चार होना लोगों की नियती बन चुकी है। बाढ़ जैसी आपदा को नियंत्रित करने को हमें पौधरोपण के प्रति जागरूक होकर लोगों को भी जागरूक करना होगा।

 

– डा. सुधांशु शेखर, कार्यक्रम पदाधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना

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बाढ़ की आपदा से किसान व पशुपालक सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। उनके समक्ष रोजी-रोटी का संकट आ जाता है। ऐसे में हमें उम्मीद है 2050 तक बाढ़ पर नियंत्रण पाने में हम काफी हद तक सक्षम होंगे। बारिश के समय में यह अनुमान लगाना कठिन होता है कि बाढ़ का पानी कब आ जाएगा। इस वजह से नुकसान भी काफी अधिक होता है। बाढ़ पर यदि नियंत्रण में हम सक्षम हो जाएं तो निश्चित रूप से बिहार आगे बढ़ेगा।

– डा. नारायण कुमार, सेवा निवृत प्राध्यापक, बीएनएमवी कालेज।

 

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राज्य में बाढ़ के कारण प्रत्येक वर्ष जान-माल का भारी नुकसान होता है। कोसी के इस इलाके में बाढ़ आने की मुख्य वजह बारिश के दिनों में नेपाल के क्षेत्रों में अत्यधिक बारिश होने के कारण कोसी नदी में क्षमता से अधिक जल बहाव होता है। इस वजह से पानी बाढ़ के रूप में निचले हिस्सों में भर जाता है। ऐसे में नदियों को जोड़ने की योजना को यदि 2050 तक पूर्ण कर लिया जाए तो निश्चित रूप से प्रगति के पथ पर अग्रसर होकर हम देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होंगे।

 

प्रो. असीम आनंद, असिस्टेंट प्रोफेसर, टीपी कालेज मधेपुरा।

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प्राकृतिक आपदाओं में सबसे अधिक क्षति बाढ़ की वजह से होती है। बाढ़ को नियंत्रित कर हम निश्चित रूप से आगे बढ़ सकते हैं। इसको को लेकर सरकारी स्तर कई योजनाएं चल रही है। इसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि नदियों को आपस में जोड़ने का काम तेजी से हो। जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए बड़े पैमाने पर पौधारोपण करने होंगे।

प्रो. ब्रह्मानंद, असिस्टेंट प्रोफेसर, बीएनएमवी कालेज मधेपुरा।

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