प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल होंगे महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय, वर्धा के नए कुलपति
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रामनगरी अयोध्या के मिल्कीपुर तहसील क्षेत्र के बलारमऊ गांव के मूल निवासी प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल ने महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के नए कुलपति के रूप में पदभार ग्रहण कर लिया है. प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल वर्तमान में महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय के तुलनात्मक साहित्य विभाग में प्रोफ़ेसर के पद पर कार्यरत थे.
उच्च शिक्षा में अपनी बेहतर शिनाख़्त रखने वाले प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल हिन्दी भाषा, साहित्य और संस्कृति के आचार्य के रूप में प्रतिष्ठित और सम्मानित हैं तथा तीन दशकों से शोध, अकादमिक लेखन और शिक्षण में संलग्न हैं. अनेक पुस्तकों के लेखन-सम्पादन के साथ-साथ विभिन्न राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं. प्रोफ़ेसर शुक्ल के द्वारा सम्पादित पुस्तक ‘राष्ट्र, धर्म और संस्कृति’ काफ़ी चर्चित-प्रशंसित है. प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल के पास हिन्दी विश्वविद्यालय में विभिन्न अकादमिक, प्रशासनिक एवं शैक्षिक दायित्वों के निर्वहन का विस्तृत अनुभव है. डेढ़ दशक तक विश्वविद्यालय के प्रशासनिक दायित्वों का गम्भीर अनुभव रखने वाले प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल ने पूर्व में वित्त अधिकारी एवं सम-कुलपति के रूप में भी अपनी ज़िम्मेदारी निभाई है.
अकादमिक रूप से पूर्व में साहित्य विभाग, भाषा-प्रौद्योगिकी विभाग के अध्यक्ष का दायित्व संभालने वाले प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल तीन बार भाषा विद्यापीठ के अधिष्ठाता रहे. कुलपति पद का कार्यभार ग्रहण करने के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी शिक्षण विभागाध्यक्ष, अनुवाद अध्ययन विभागाध्यक्ष, अनुवाद एवं निर्वचन विद्यापीठ के अधिष्ठाता पद का दायित्व भी प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल संभाल चुके हैं. इसके अतिरिक्त परा विद्या उच्च शोध एवं ज्ञान सर्जन केन्द्र के निदेशक के रूप में कार्य करते हुए भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने की महती भूमिका निभा चुके हैं.
अंतरराष्ट्रीय विद्यार्थी सलाहकार के रूप में विभिन्न कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के माध्यम से विदेशी छात्रों को हिन्दी से जोड़ने का प्रयास करते हुए प्रोफ़ेसर हनुमान प्रसाद शुक्ल ज्ञानानुशासन के रूप में हिन्दी के क्षितिज-विस्तार और रूपांतरण के लिए निरंतर यत्नशील हैं. काव्य शास्त्र, भाषा विज्ञान और तुलनात्मक साहित्य के अध्ययन में इनकी गहरी अभिरुचि है.