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प्रभात खबर : सिर्फ खबर ही नहीं, जनसरोकार में भी अग्रणी। बीएनएमयू के शैक्षणिक परिसर में पौधारोपण कर मनाया गया प्रभात खबर का स्थापना दिवस। लगाये गये 40 पौधे।

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प्रभात खबर सिर्फ खबर ही नहीं, जनसरोकार में भी अग्रणी रहती है

पौधारोपण कर मनाया गया प्रभात खबर का स्थापना दिवस-

– परिसर में लगाये गये 40 पौधे 

बीएनएमयू के नार्थ परिसर में प्रभात खबर का हुआ आयोजन

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प्रभात खबर के 40 वें स्थापना दिवस के अवसर पर बीएनएमयू नार्थ कैंपस में 14 जुलाई, 2024 (रविवार) को पौधारोपण किया गया. इस अवसर पर पर्यावरण संरक्षण के लिए चालीस पौधे लगाये गये. पौधारोपण कार्यक्रम की शुरूआत बीएनएमयू के कुलपति डॉ विमलेंदु शेखर झा ने किया.

मौजूद लोगों ने प्रभात खबर के इस पहल की प्रशंसा की. सभी ने कहा कि यह कार्यक्रम प्रभात खबर को हमेशा जनसरोकार से जोड़ कर रखती है. इस तरह के कार्यक्रम दूसरे को प्रेरणा देते है. इस मौके पर कुलसचिव प्रो डा विपिन कुमार राय, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा के प्राचार्य डा कैलाश प्रसाद यादव, श्री कृष्ण विश्वविद्यालय उदाकिशुनगंज मधेपुरा के कुलपति सह मधेपुरा कॉलेज के संस्थापक डा अशोक कुमार, बीएनएमयू के आईक्यूएसी निदेशक डा नरेश कुमार, बीपी मंडल अभियंत्रण महाविद्यालय मधेपुरा के प्राचार्य डा अरविंद कुमार अमर, पूर्व मंत्री सह सदर विधायक प्रो चंद्रशेखर, सिंहेश्वर विधायक चंद्रहास चौपाल, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय मधेपुरा के दर्शनशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डा सुधांशु शेखर, बीएनएमयू के उप कुलसचिव स्थापना डा. शंकर मिश्रा, डा. अमरेंद्र कुमार, डॉ. अशोक कुमार पोद्दार, एनसीसी पदाधिकारी सह बीएनएमयू के सिंडिकेट सदस्य गौतम कुमार, बीएनएमयू के सीनेट सदस्य रंजन यादव, सिंहेश्वर नगर पंचायत की मुख्य पार्षद पूनम कुमारी, सिंहेश्वर प्रखंड प्रमुख इश्तियाक आलम, चिकित्सक डा सुनील कुमार, दार्जिलिंग पब्लिक स्कूल के निदेशक किशोर कुमार, आर आर ग्रीनफील्ड इंटरनेशनल स्कूल मधेपुरा के निदेशक राजेश कुमार राजू, होली क्रॉस स्कूल की प्राचार्या डा वंदना कुमारी, सार्क इंटरनेशनल स्कूल के प्राचार्य हर्षवर्धन सिंह राठौर, विश्वविद्यालय कर्मचारी विमल कुमार, राजद महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश उपाध्यक्ष कुमारी विनीता भारती, युवा राजद के प्रदेश महासचिव संदीप यादव, एआईएसयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ई मुरारी, एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष निशांत यादव, अभाविप के विभाग संयोजक सौरभ यादव, कार्यालय उप सचिव शैलेंद्र कुमार, सौरभ कुमार चौहान सहित अन्य ने पौद्यारोपण किया. इसके अलावा नवाचार रंगमंडल के कलाकार मो आसिफ, रवि कुमार, विजय कुमार, मो फैयाज, नीतीश कुमार ने भी कार्यक्रम में अपनी महत्ती भूमिका निभाई।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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