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पटना सायंस कॉलेज, पटना के प्रधानाचार्य बने प्रो. अतुल आदित्य पांडे

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पटना सायंस कॉलेज, पटना के प्रधानाचार्य के रूप में दायित्व ग्रहण पर प्रो. अतुल आदित्य पांडे जी को बधाई।  💐

*पटना साइंस कॉलेज के प्रभारी प्राचार्य बनाए गए प्रो.अतुल आदित्य पांडेय*
पटना : 06/02/2025
आज पटना विश्वविद्यालय ने पटना साइंस कॉलेज के नए प्राचार्य(प्रोफेसर इंचार्ज) के रूप में प्रो. अतुल आदित्य पांडे के नियुक्ति की अधिसूचना जारी कर दी. पटना विश्वविद्यालय की कुलसचिव प्रोफेसर शालिनी ने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजय कुमार सिंह के आदेश से यह अधिसूचना जारी किया. अधिसूचना जारी होने के पश्चात प्रो. अतुल आदित्य पांडे ने पटना साइंस कॉलेज के प्राचार्य के रूप में अपना योगदान दिया. विदित हो कि प्रो. अतुल आदित्य पांडे पटना साइंस कॉलेज के ही पूर्ववर्ती छात्र रहे हैं तथा वर्तमान मे विश्वाविद्यालय के भुगर्भ शास्त्र विभाग के वरिष्ठ शिक्षक है.वे वर्ष 1980 से 1988 के बीच में पटना साइंस कॉलेज तथा पटना विश्वाविद्यालय के विद्यार्थी रहे हैं . प्रो. पाण्डेय 1992 में शिक्षक के रूप में विश्वविद्यालय सेवा से पटना विश्वविद्यालय मे योगदान दिया. पटना विश्वविद्यालय के छात्र रहते हुए प्रो. अतुल आदित्य पांडे महाविद्यालय के छात्र गतिविधि एथलेटिक क्लब, स्टूडेंट डिबेट समिति, नाट्य कला परिषद इत्यादि कई गतिविधियों में अपना सक्रिय योगदान दिया था. प्रो. अतुल आदित्य पांडे पटना साइंस कॉलेज और पटना विश्वाविद्यालय के जियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष रह चुके हैं. वर्तमान मे मालवीय मिशन ट्रेंनिंग सेंटर के निदेशक के रूप में भी कार्यरत हैं. प्रो. अतुल आदित्य पांडे के प्राचार्य पद पर योगदान करने के पश्चात पटना साइंस कॉलेज के सभी विभागों केअध्यक्ष, शिक्षकोंकर्मचारियोंऔर पटना विश्वविद्यालय के पदाधिकारीयों उन्हें उन्हें नयी जिम्मेदारी हेतु बधाई प्रेषित किया है. प्रो. अतुल आदित्य पांडे को पदभार ग्रहण करने पर विश्वाविद्यालय के छात्र कल्याण संकाय के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार, अनुशासक प्रो. मनोज कुमार, पूर्व विधान पार्षद प्रो. रामबली चंद्रवंशी , भौतिक विभाग के अध्यक्ष डॉ शंकर कुमार, सांख्यिकी विभागध्यक्ष अमित कुमार, केमिस्ट्री अध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार जंतु विज्ञान विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. महबूब हसन, डॉ इंद्र नारायण सिंह, प्रो. सरफुद्दीन डॉ. जी.बी चाँद भौतिक विभाग के डॉक्टर अखिलेश कुमार गुप्ता जंतु विज्ञान के शिक्षक डॉ अखिलेश कुमार प्रो. इरशाद हसन, डॉ पूनम रंजन, डॉ. प्रीति सिं,ह डॉ शेखर, डॉ रोहित सिंह, डॉ प्रहलाद कुमार आर्य डॉ भावुक शर्मा, डॉ. सलीम, डॉ दिनेश, प्रो.साईद एवं कई शिक्षकों ने बधाई और शुभकामनाएं दी हैं. पदभार ग्रहण करने के बाद प्रो. अतुल पांडे ने कार्यालय के सभी कर्मचारियों से औपचारिक मुलाकात की साथ ही उन्होंने कहा कि साइंस कॉलेज से छात्र जीवन से जुड़ा रहा हूं और इस महाविद्यालय से भावनात्मक लगाव है. महाविद्यालय के सर्वांगीण विकास एवं छात्र हित में मेरे पास कुछ योजनाएं हैं. साइंस कॉलेज की पुरानी गरिमा को स्थापित करने के लिए प्रभावी एवं निर्णायक कदम उठाये जायेंगे. महाविद्यालय के शैक्षणिक विकाश हेतु सभी से सक्रिय एवं सकारात्मक सहयोग की अपील की है. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय प्रशासन को इस नई जिम्मेदारी देने के लिए धन्यवाद दिया है.
इसकी जानकारी प्रो. अनिल कुमार (छात्र कल्याण संकायध्यक्ष सह मीडिया प्रभारी
पटना विश्वाविद्यालय पटना) ने दी l
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Atul Aditya Pandey

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।