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Covid 19। ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय में कोरोना से बचाव के लिए मास्क, सेनेटाइजर और साबुन वितरित

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टी. पी. काॅलेज में मास्क, सेनेटाइजर एवं साबुन वितरित
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कोरोना संक्रमण के प्रति सावधान रहें। सभी कोरोना से बचने हेतु दिए गए निर्देशों का पालन करें और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें। यह बात ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य डाॅ. के. पी. यादव ने कही। वे 25 अप्रैल, 2020 (शनिवार) को महाविद्यालय में राष्ट्रीय सेवा योजना के तत्वावधान में आयोजित  कोरोना उन्मूलन जागरूकता अभियान में बोल रहे थे। इस अवसर उपस्थित शिक्षकों एवं कर्मचारियों को कोरोना वायरस से बचाव के विभिन्न उपायों की जानकारी दी गई और सबों के बीच मास्क, सेनेटाइजर एवं साबुन का वितरण किया गया।

प्रधानाचार्य ने सबों के स्वस्थ एवं सुरक्षित जीवन की कामना की है। उन्होंने सभी शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों एवं अभिभावकों से अपील की है कि वे सरकार द्वारा किए गए ‘लाॅकडाउन’ का उल्लंघन नहीं करें।अनावश्यक अपने घरों से बाहर नहीं निकलें। एक-दूसरे से भौतिक दूरी बनाए रखें। लेकिन किसी को भी भावनात्मक रूप से अकेला महसूस नहीं होने दें। बुजुर्गों, बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का विशेष ख्याल रखें। यदि किसी भी व्यक्ति में  कोरोना का कोई लक्षण नजर आए, तो उसकी सूचना स्वास्थकर्मियों एवं पुलिसकर्मियों को दें।

प्रधानाचार्य ने महाविद्यालय के शिक्षक से विशेष रूप से अपील की है कि वे लाॅकडाउन के समय को अध्ययन- अध्यापन में लगाएँ। ऑनलाइन एडूकेशन में बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाएँ। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), नई दिल्ली ने इन्फार्मेशन एंड कम्यूनिकेशन टेक्नोलॉजी (आईसीटी) का प्रयोग कर ऑडियो- वीडियो और टेक्स्ट कंटेंट हासिल करने के लिए कई लिंक बताए हैं। सभी शिक्षक उसका उपयोग करें और विद्यार्थियों को भी उसकी जानकारी दें। अपने विषय से संबंधित अद्यतन पाठ्यक्रम को केन्द्र में रखकर विद्यार्थियों के लिए उपयोगी नोट्स बनाएँ और उसे विश्वविद्यालय वेबसाइट पर अपलोड कराएँ। विद्यार्थियों के लिए उपयोगी  वीडियो को फेसबुक, गूगल क्लास रूम एवं यूट्यूब पर भी अपलोड करें।

राष्ट्रीय सेवा योजना के विश्वविद्यालय समन्वय डाॅ. अभय कुमार ने सबों  से अपील की कि खुद  वायरस से बचें और इसे फैलने से रोकने में भी मदद करें। नियमित रूप से साबुन या सैनिटाइजर से 20 सेकंड तक हाथ धोएं। मोबाइल, कम्प्यूटर, लेपटाॅप आदि को भी समय-समय पर साफ करते रहें। खांसने एवं छींकने के दौरान अपनी नाक एवं मुंह को ढकें। जो लोग बीमार हैं उनसे (एक मीटर या तीन फ़ीट की) दूरी बनाए रखें। गंदे हाथों  से अपनी आंख, नाक या मुंह को न छुएं।

उन्होंने बताया कि सभी व्यक्ति अपने-अपने मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। हमेशा गर्म पानी पीएं। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले पेय का सेवन करें।

सिंडीकेट सदस्य डाॅ. जवाहर पासवान ने कहा कि बड़ी संख्या में मधेपुरा एवं बिहार के अन्य जिलों के विद्यार्थी एवं मजदूर दूसरे राज्यों में फंसे हैं। वे लोग वहाँ अपने आपको  असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, उनमें निराशा एवं तनाव बढ़ रहा है और उन्हें जीवनयापन में भी काफी कठिनाईयाँ हो रही हैं। ऐसे में बिहार सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह दूसरे राज्यों में फंसे सभी बिहारी विद्यार्थियों एवं मजदूरों को सुरक्षित वापस लाए।

जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने कहा कि हम सबों को मिलकर कोरोना महामारी से लड़ना है। इस महामारी को मात देने के लिए हमें सरकार के निदेशों का पालन करना चाहिए। यदि हम संयम, सादगी एवं सुचिता को जीवन में  अपनाएं, तो हम इस महामारी से बच सकते हैं।

इस अवसर पर विवेकानंद कुमार, मणिष कुमार, नारायण ठाकुर, ज्योतिष कुमार, सुनील कुमार, धीरेन्द्र ठाकुर, पाँचू राम, बबलू महतो, भरत प्रसाद यादव, रवि मुखिया, अशोक आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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