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जिला स्तरीय पियर एडुकेटर प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न। संपन्न। एक आंदोलन है आरआरसी : कुलपति।

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जिला स्तरीय पियर एडुकेटर प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न

*एक आंदोलन है आरआरसी : कुलपति*

रेड रिबन क्लब (आरआरसी) एक संगठन या कार्यक्रम मात्र नहीं, बल्कि एक आंदोलन भी है।इसमें रेड अर्थात् लाल एक साथ युद्ध एवं प्रेम दोनों का प्रतीक है।इस तरह यह एड्स के खिलाफ युद्ध और एड्स पीडितों के लिए प्रेम का संदेश देता है।

यह बात बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने कही। वे शुक्रवार को प्रशासनिक परिसर स्थित सिंडिकेट हाॅल में जिला स्तरीय पियर एडुकेटर प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्घाटन कर रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) तथा रेड रिबन क्लब (आरआरसी) के संयुक्त तत्वावधान में बिहार राज्य एड्स समिति, पटना के सौजन्य से किया गया।

कुलपति ने कहा कि आरआरसी का गठन एड्स एवं स्वैच्छिक रक्तदान के प्रति जागरूकता के लिए किया गया है। बिहार के विभिन्न संस्थानों में 420 रेड रिबन क्लब सक्रिय हैं।

कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय के कई महाविद्यालयों में रेड रिबन क्लब गठित है। इसकी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके माध्यम से एड्स जागरूकता अभियान तथा रक्तदान शिविर आदि का आयोजन किए जाने का निदेश दिया गया है।

बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति द्वारा नामित प्रशिक्षक राहुल कुमार सिंह ने एचआईवी (ह्यूमन इम्यिनो डेफिएन्सी वायरस) से जुडी जानकारी को साझा किया। उन्होंने बताया कि कि एचआईवी वायरस केवल मानव शरीर में पाया जाता है। यह वायरस मनुष्य की रोगप्रतिरोधक क्षमता को धीरे-धीरे कम कर देता है या नष्ट कर देता है। एचआईवी वायरस धीरे धीरे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता जाता है। इससे मनुष्य के शरीर में कई प्रकार की बीमारियों के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।

उन्होंने बताया कि एड्स कई बीमारियों का समूह है। एड्स एक अर्जित या प्राप्त किया हुआ संक्रमण है। एड्स संक्रमण का कोई विशेष लक्षण नहीं होता है बल्कि एचआईवी वायरस की संख्या बढ़ने पर अन्य बीमारियों के लक्षण प्रकट होते हैं। इसमें बिना किसी स्पष्ट कारण के एक महीने से अधिक लगातार या रुक रुक कर बुखार आना, एक माह में बिना किसी कारण के शरीर के वज़न में 10 प्रतिशत या उससे अधिक की कमी, बार-बार दस्त लगना आदि लक्षण दिखाई देने लगते हैं।

उन्होंने बताया कि यह आवश्यक नहीं है कि ये लक्षण किसी व्यक्ति में दिखाई देने पर उसे एचआईवी संक्रमण ही हो, ये लक्षण किसी अन्य बीमारी के भी हो सकते हैं। अतः एचआईवी की जांच अवश्य करायें।

उन्होंने कहा कि एचआईवी से संक्रमित होने के मुख्यतः चार कारण होते है।एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संपर्क से,
एचआईवी संक्रमित सिरिंज व सुईयों के पुनः उपयोग से, एचआईवी संक्रमित रक्त या रक्त उत्पाद चढ़ाने से तथा एचआईवी संक्रमित माँ से उसके होने वाले शिशु को।

उन्होंने बताया कि यह जानकारी भी जरूरी है कि एचआईवी- एड्स संक्रमण कैसे नहीं होता है। एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ खाना खाने से, सामान्य सामाजिक व्यवहार जैसे हाथ मिलाने, गले मिलने से, खाने के बर्तन, कपड़े, बिस्तर शौचालय टेलीफ़ोन स्विमिंग पूल इत्यादि के सामूहिक उपयोग से यथा खांसने, छींकने या हवा से तथा मच्छरों के काटने या घरों में पाए जाने वाले कीड़े-मकोड़ों के काटने से एचआईवी संक्रमण नहीं होता है।

उन्होंने ध्यान देने वाली बातों को बताते हुए कहा कि सभी गर्भवती महिलाओं को एचआईवी संक्रमण की जांच गर्भ का पता चलते ही तुरंत करवाना चाहिए। एचआईवी संक्रमित पाये जाने पर चिकित्सक की सलाह के अनुसार देखभाल और खानपान का ध्यान रखा जाना चाहिए। यदि महिला एचआईवी संक्रमित है तो उसका पंजीयन एआरटी केन्द्र में तुरंत कराएं। एचआईवी संक्रमित गर्भवती महिला का प्रसव अस्पताल में ही करायें।एचआईवी संक्रमित माता व बच्चे को चिकित्सीय परामर्श के अनुसार एचआईवी प्रोफ़ायलेक्सिस लेना चाहिये।डिलेवरी के बाद माँ तथा नवजात शिशु को लगातार चिकित्सक के सम्पर्क में रहना चाहिए।

उन्होंने बताया कि नवजात शिशु में एचआईवी संक्रमण की स्थिति जानने के लिए 18 माह की आयु में एचआईवी की जाँच अवश्य कराई जानी चाहिए। 6 सप्ताह के शिशु की डीएनए-पीसीआर जाँच करवाकर एचआईवी की स्थिति जल्दी मालूम की जा सकती है। यह सुविधा राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों एवं सदर अस्पताल एवं चिह्नित प्राथमिक उपचार केन्द्र में निःशुल्क उपलब्ध है।

उन्होंने बताया कि बच्चे के स्तनपान और पोषण आहार के संबंध में चिकित्सक और परामर्शदाता से चर्चा करके उचित निर्णय लिया जाना चाहिए। अधिक जानकारी के लिए नज़दीक के समेकित परामर्श एवं जाँच केन्द्र में संपर्क करना चाहिए। एचआईवी से जुडी जानकारी के लिए हमें टॉल फ्री न. 1097 को डायल करना चाहिए।

प्रशिक्षक अरुण कुमार (पटना) ने रक्तदान के बारे में प्रशिक्षण देते हुए बताया कि 18 से 60 वर्ष के सभी स्वास्थ व्यक्ति रक्तदान कर सकते हैं। उन्होंने नियमित रक्तदाता बनने कि अपील करते हुए कहा कि स्वस्थ पुरुष एक साल चार बार एवं महिला तीन बार रक्तदान कर सकते हैं। जिला स्तरीय प्रशिक्षण के उपरांत पोस्ट टेस्ट के आधार पर 05 उच्च अंक प्राप्त करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव ने बताया कि बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति पटना द्वारा बिहार के सभी 38 जिले में यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य आगामी रेड रन, क्वीज प्रतियोगिता एवं अन्य जागरूकता अभियानों में स्वयंसेवक के पियर एडुकेटर के रूप में सहयोग लेना है।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए कार्यक्रम समन्वयक डॉ. सुधांशु शेखर ने बताया कि इसमें युवाओं को एचआईवी एवं अन्य स्वास्थ्य विषय पर प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में मधेपुरा जिला के 9 महाविद्यालयों के 50 युवाओं ने भाग लिया।

इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ उद्घाटनकर्ता सह मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. बी. एस. झा ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अतिथियों का अंगवस्त्रम् से स्वागत किया गया।

 

इस अवसर निवर्तमान कुलसचिव प्रो. विपीन कुमार राय, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के ले. गुड्डु कुमार, अशीम आनंद, डॉ. चंद्रिका कुमार, विजेन्द्र कुमार, मो. सरवर मेंहदी, सुनील कुमार, प्रेमनाथ आचार्य, चंद्रशेखर मिश्र, डॉ. अमरेश कुमार, अनील कुमार आदि उपस्थित थे।

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