Search
Close this search box.

जाने-माने दार्शनिक प्रोफेसर वेद प्रकाश वर्मा का निधन

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

सादर नमन


जाने-माने दार्शनिक प्रोफेसर वेद प्रकाश वर्मा के निधन से दर्शन जगत को अपूर्णीय क्षति हुई है।

डॉ. वेद प्रकाश वर्मा 9-10 माह की अल्पायु में नेत्र ज्योति से वंचित होने के बावजूद उन्होंने शिक्षा में सदैव उच्च स्थान भी प्राप्त किए। जैसे कि 1960 में एम.ए. में आगरा विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान। सन् 1968 में दिल्ली विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में पी.एच.डी. की डिग्री प्राप्त की। अनेक वर्षों तक दिल्ली विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभाग में अध्यापन के बाद वे इसके अध्यक्ष भी रहे हैं।

डॉ. वर्मा सन् 1988 में प्रोफेसर बने। उन्हें सन् 1989 में यूजीसी ने शोध विज्ञानी के रूप में चुना तथा 2001 में ‘अमेरिटस फेलोशिप’ प्रदान की गई। लगभग 40 वर्षों तक अध्ययन-अध्यापन के साथ-साथ उन्होंने कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकें भी लिखीं।

 

डॉ. वर्मा की प्रमुख पुस्तकें हैं-

1. ‘नीतिशास्त्र के मूल सिद्धांत’, अलाइड पब्लिशर्स, नई दिल्ली, 1977.

 

2. ‘डेविड हाम का दर्शन’, राजस्थान हिंदी- ग्रंथ अकादमी, जयपुर, 1978.

 

3. ‘समकंटैम्परेरी मैटा-ऐथिकल थ्योरीज’, दिल्ली विश्वविद्यालय, 1978.

 

4. ‘महात्मा गाँधी का नैतिक दर्शन’, इंदू प्रकाशन, दिल्ली, 1979.

 

5. ‘लुई ब्रेल- व्यक्तित्व और कृतित्व’, रोटरी क्लब, दिल्ली नॉर्थ, 1981.

 

6. ‘समकालीन विश्लेषणात्मक धर्म-दर्शन’, हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, 1982.

 

7. ‘अधि- नीतिशास्त्र के मुख्य सिद्धांत’, अलाइड पब्लिशर्स, नई दिल्ली, 1987.

 

8. ‘दर्शन-विवेचना’, हिंदी माध्यम कार्यान्वय निदेशालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, 1989.

 

9. ‘भारतीय तथा पाश्चात्य दर्शन में निरीश्वरवाद’, अलाइड पब्लिशर्स, नई दिल्ली, 1999.

 

10. ‘फ़िलॉसॉफ़िकल रिफ्लैक्शन्स’, अलाइड पब्लिशर्स, नई दिल्ली, 2005.

 

11. ‘अरस्तू के नीति-दर्शन की समकालीन प्रासंगिकता’, अलाइड पब्लिशर्स, नई दिल्ली, 2006.

 

12. ‘एक यात्रा स्मृतियों की’ (आत्म- कथा) अलाइड पब्लिशर्स, नई दिल्ली, 2008.

 

डॉ. वर्मा को अनेक प्रकार के सम्मानों से पुरस्कृत किया जा चुका है जैसे कि अखिल भारतीय दर्शन परिषद द्वारा ‘स्वामी प्रणवानंद दर्शन पुरस्कार’, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा उनकी पुस्तकों जैसे कि, ‘नीतिशास्त्र के मूल सिद्धांत’, ‘डेविड ह्यम का दर्शन’, ‘महात्मा गाँधी का नैतिक दर्शन’, ‘अधि-नीतिशास्त्र के मुख्य सिद्धांत’ को पुरस्कृत किया गया तथा ‘भारतीय तथा पाश्चात्य दर्शन में निरीश्वरवाद’ के लिए उन्हें ‘के. के. बिरला फाउडेंशन’ द्वारा ‘शंकर पुरस्कार’ द्वारा सम्मानित किया गया। उन्होंने लेखन के साथ-साथ दृष्टिहीनों के कल्याण के लिए भी अनेक प्रकार के उल्लेखनीय कार्य किया।

डॉ. वर्मा का 30 अगस्त, 2024 को निधन हो गया। बीएनएमयू संवाद परिवार की ओर से भावभीनी श्रद्धांजलि।

-सुधांशु शेखर, असिस्टेंट प्रोफेसर, दर्शनशास्त्र विभाग, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा

READ MORE

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

[the_ad id="32069"]

READ MORE

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।