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कविता/ संस्कार/ गीता जैन

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संस्कार
कोई घुट्टी नहीं
कोई ताबीज़ नहीं
कोई बन्धन नहीं
कोई वचन नहीं
कोई समझौता नहीं
कोई मत धर्म बन्धन नहीं
फिर संस्कार क्या है ?
यह
जीवन-पद्धति है
नियमावली है
कृत-अकृत का संकलन है
व्यक्तित्व विकास का आकलन है
एक पीढ़ी का दूसरी पीढ़ी को दिया
परम्पराओं का दस्तावेज़ है
संस्कार कोई शब्द नहीं आपका
आपकी गरिमा का
ध्योतक है।

-गीता जैन, राजनीति शास्त्र मे एम. ए. एवं पत्रकारिता मे स्नातकोत्तर डिप्लोमा, बेसिक -एडवांस कोर्स पर्वतारोहण, पारिवारिक जीवन को प्राथमिकता, सामाजिक मूल्यों की संरक्षा करते हुए स्वान्तः सुखाय साहित्य साधना का लक्ष्य। जागरुक संवेदनशील नागरिक की भांति सामाजिक वातावरण में व्याप्त विसंगतियों की महसूस करती एवम अभिव्यक्त करती हूँ।
परिवर्तन सार्थक व सबल हो। इस
विचार में आस्था व विश्वास के लिए मानसिक जागरूकता ज़रूरी है। विचारों की सार्थकता के लिए मानवीय मूल्यों की धरोहर पर विश्वास आवश्यक है। कुछ ऐसे ही मुद्दे उद्वेलित कर कविता का रूप ले लेते है।

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