Search
Close this search box.

Poem। कविता /शराब/ फकीर जय

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

शराब
याददाश्त मिटा सकती है
चालाकी मिटा सकती है
चालाकी के चिह्न
जिद्दी पीर पंजाल की पहाड़ी कायम रहती है
नही मिटते वहां उगे
जैतून के पेड़
मुझे कीना और बुग्ज की आतिश में
जलाने की तुम्हारी कोशिश
जैतून की खाल पर उकेरी तुम्हारी कलाई में मौजूद है
कलाई में उकेरे दो हरूफ आर वी
मेरे रतजगो के ईंधन हैं
बेखुदी और खुदी के बीच मुजतर झूलता रहा
मेरे बदहवास सलूक में गिरता रहा मै
नीचे और नीचे -कभी पीर पंजाल से
कभी नजरो से !
मै संविधान में तलाशता रहा एस सी का फुल फॉर्म –
सेडयुल्ड कास्ट !!
एप्पल फोन की कन्दराओ में लिखा था
एस सी मतलब सेक्स चैट !
कामचोरी और गरूर का तोहमत झेलते हुए
मैंने जिन्दगी और जहन्नुम
के दरम्यान पुल ए सिरात को रगड़ के मिटा दिया
जैसे शराब मिटा देती है याददाश्त !

-फकीर जय

READ MORE