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कविता/रिश्ते/संजय सुमन

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कविता/रिश्ते/संजय सुमन

मिल न सके कभी सुख के उजालों से,
जिंदगी! घिरे रहे हम तेरे ही सवालों से,
अजीब है न ! सपनों को सजाते रहना,
रोज़ टूटते हुए तारों को मनाते रहना,
जीने का कोई तो बहाना होना चाहिए,
इन आँखों को अकेले में ही रोना चाहिए,
वरना लोग हर एक आँसू का हिसाब पूछेंगे,
चुप रहोगे तो, शक की निगाहों से देखेंगे,
बाँट कर भी मन का बोझ,कभी कम नहीं होगा,
कोई सहारा बन जायेगा पर हमदम नहीं होगा

संजय सुमन
ग्राम-रुपौहली, पो.-परबत्ता, जिला- खगड़िया, बिहार

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मेरे अभिन्न मित्र डॉ. मिथिलेश कुमार सहित राजनीति विज्ञान विषय के सभी नव चयनित असिस्टेंट प्रोफेसरों को बहुत-बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं। -सुधांशु शेखर, सचिव, शिक्षक संघ, ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा