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Poem। कविता/मोबाइल फोन की दुनिया/मारूति नंदन मिश्र

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मोबाइल फोन की दुनिया में
सब काम आसान हो गया
मोबाइल सबका संसार हो गया
सबको मोबाइल से लगाव हो गया
जीवन मोबाइल में खो गया
मोबाइल सबका जीवन हो गया
नेताओं के लिए सभा स्थल हो गया
बच्चों का स्कूल और क्रीड़ास्थल हो गया
समय बिताने के लिए खिलौना हो गया
इसके आगे पुस्तक का ज्ञान बौना हो गया
यह सभी के लिए ज्ञान का भंडार हो गया
जमाना ऑनलाइन का बड़ा सा बाजार हो गया
दूर रहकर भी सब पास हो गया
पास वाला कहीं और खो गया
इस मायावी चमत्कार से सब परतंत्र हो गया
यह उन्मुक्त कामना पूर्ण करने का यन्त्र हो गया
काल्पनिक व्यवहार का राज हो गया
मोबाइल ही अब समाज हो गया

यही हंसाता, यही रुलाता,
हमारी गति, यही चलाता
ताकत,खबर और ज्ञान हो गया
हमारा आंख, नाक और कान हो गया
जीवन की शैली हो गया
बच्चों का पालनहार हो गया
भाई-बहन का प्यार और
माता-पिता का दुलार हो गया
यह किसी का नहीं मगर सब का हो गया
बिगाड़ने वाला और बनाने वाला हो गया
सब के पास मोबाइल, सब मोबाइल में खो गया
एक टच में सारा काम करता, जादुई चिराग हो गया…

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