Search
Close this search box.

कविता/ मिजाज

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

शीर्षक : मिज़ाज़ कभी नर्म तो कभी गर्म होता है!

मिज़ाज़ कभी नर्म तो कभी गर्म होता है,
जब कोई दिल के करीब होता है।
रूठना और मनाना चलता है,
जब कोई दिल के करीब होता है।
ज़ुबा कभी खामोश तो कभी खुलती है,
जब कोई दिल के करीब होता है।
दीदार कभी छिपकर तो कभी सामने से होता है,
जब कोई दिल के करीब होता है।
कुछ कही, अनकही-सी बातों से,
मन कभी खुश तो कभी विचलित-सा होता है,
जब कोई दिल के करीब होता है।
नींद आंखों से भी उड़ जाती है,
जब-जब उसकी परछाइयाँ सताती हैं।
यादों की धूल हटती है,
कभी धुंधली, तो कभी साफ़-साफ़ लगती है।
दूर रहकर भी पास होते हैं,
जब वो एक-दूसरे से मिलते हैं।

डॉ० दीपा
सहायक प्राध्यापिका
दिल्ली विश्वविद्यालय

READ MORE