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एनसीसी कैम्प में सामाजिक सेवा और सामुदायिक विकास कार्यक्रम का आयोजन

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एनसीसी कैम्प में सामाजिक सेवा और सामुदायिक विकास कार्यक्रम का आयोजन

बीएनएमयू के शैक्षणिक परिसर में 17 बिहार बटालियन एनसीसी सहरसा के तत्वाधान में चल रहे कैंप के तीसरे दिन सामाजिक सेवा और सामुदायिक विकास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें कुलपति प्रो० डॉ विमलेन्दु शेखर झा एवं रजिस्टार प्रो० डॉ० विपिन कुमार राय एवं आइक्यूएसी डायरेक्टर डॉ० नरेश कुमार का आगमन हुआ।

कैंप कमान अधिकारी ले. कर्नल पी.के. चौधरी के द्वारा कुलपति, रजिस्टार एवं आइक्यूएसी डायरेक्टर को पुष्प का गुच्छा दे कर स्वागत किया गया। इस दौरान कुलपति ने सभी एन.सी.सी. कैडेट्स को संबोधित किया।

कुलपति ने कहा 10 दिवसीय वार्षिक प्रशिक्षण शिविर में विभिन्न 5 जिले के सभी एन.सी.सी. कैडेट्स एक साथ विभिन परिवेश विभिन्न संस्कृति से आये हुए है सभी एन.सी.सी. कैडेट्स को एक दुसरे के परिवेश, संस्कृति, रहन-सहन आदि गुणों को सिखने के लिए प्रेरित किया साथ ही साथ एन.सी.सी. के उद्देश्य के बारे में विस्तार से बताया कि एनसीसी आपको भाईचारे, ईमानदारी, निष्ठा, निर्णय लेने के गुणों को विश्वास करने में मदद करती है। यह प्रशिक्षण केवल शारीरिक विकास के लिए नहीं है, बल्कि इसमें मानसिक और आध्यात्मिक प्रशिक्षण भी शामिल है, और इस प्रकार एक व्यक्ति को जीवन के सभी क्षेत्रों में अग्रणी बनाता है। यह आपको सम्मान का व्यक्ति बनाता है एवं व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया जाता है। एन.सी.सी. शिविरों का मूल उद्देश्य कैडेटों को प्रशिक्षण प्रदान कर एक देश का जिम्मेदार नागरिक बनाना है। कैडेटों को एक अनुशासित जीवन शैली से परिचित करना जैसे कपड़े पहनना का सलीका, वाणी में मधुरता/सहजता, हर काम को तत्परता एवं अनुशासित तरीके करना, समय और अनुशासन का पालन करना, समय को महत्व देना का पालन आदि।

रजिस्टार ने सभी एन.सी.सी. कैडेट्स को संबोधित करते हुए कहा कि देश की भविष्य की सुरक्षा एवं राष्ट्र की एकता और अखंडता की सुरक्षा में एन.सी.सी. कैडेटों का अहम योगदान है इसके लिए उन्होंने सभी एन. सी.सी. कैडेटों को धन्यवाद दिया, साथ-ही-साथ एन.सी.सी. के इतिहास के बारे में भी बताया।

आइक्यूएसी डायरेक्टर ने सभी कैडेटों को संबोधित करते हुए कहा कि सिखाई गई बातों अथवा कौशलों का व्यावहारिक दृष्टिकोण प्रदान करें एवं व्यावहारिक जीवन में उपयोग करें और अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त करें। कैंप कमान अधिकारी ले. कर्नल पी. के चौधरी ने कहा इस कैंप के दौरान करवाई जा रही सारी गतिविधियों के माध्यम से कैडेटों के जीवन कौशल को एक व्यक्तित्व का विकास होता है, जिसमें प्रेरणा, सामाजिक जिम्मेदारी, पालन-पोषण और पुरुषार्थ प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

अंत में विवि के शैक्षणिक परिसर में 225 पौधे लगाये गये।

मौके पर कैप्टन गौतम कुमार, ले. गुड्डु कुमार, ले डॉ० शुभाशिष दास, प्रो० डॉ० अबुल फजल (खेल पदाधिकारी), डॉ० ग्यानेन्द्र, सेना मेडल सुबेदार मेजर मो० रकीब, सेकेंड ऑफिसर राजेश कुमार, थर्ड ऑफिसर दीपक कुमार सुबेदार गुरबेज सिंह, सुबेदार महेन्द्र सिंह, आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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