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Culture चार पर विचार …/मारूति नंदन मिश्र

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भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति है। यहाँ की संस्कृति और इतिहास पर गौर किया जाय तो “चार” (4) अंक महत्वपूर्ण दिखता है। कुछ रोचक तथ्य को सहेजकर प्रस्तुत कर रहा हूँ:-

भारतीय संस्कृति में प्रमुख यज्ञ 4 होते है- अश्वमेध, पुरुषमेध, पितृमेध और सर्वमेध। धनुर्विज्ञान में 4 भाग होते हैं इसलिए इसे ‘चतुष्पादम’ भी कहा जाता है। ये है- ग्रहण, धारण, प्रयोग और प्रतिकार। भोज्य पदार्थ 4 है- लेह्य, पेय, खाद्य तथा चोस्य। हिन्दू विवाह प्रथा में ‘चौथे’ दिन चतुर्थी संस्कार का विशेष महत्त्व है।रूप,गुण, ज्ञान और क्षमा ‘चारों’ मिलकर नर को नरोत्तम बनाता है।

ज्ञान प्राप्ति के मुख्य 4 साधन है- श्रद्धा, तत्परता, इंद्रिय संयम व योग संसिद्धि।

शक्ति के 4 भेद होते हैं – योगशक्ति, कुलशक्ति, एश्वर्यशक्ति और विद्याशक्ति।

आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद और आश्विन ये 4 मास चातुर्मास कहलाते हैं।
यज्ञ मण्डप में प्रायः 4 द्वार होते हैं।

मांगलिक कार्य में चौमुखी दीप की प्रधानता रहती है।

बुद्ध के 4 आर्य सत्य है-
1.दुःख अर्थात् संसार दुःखमय है।
2.दुःख-समुदय अर्थात् दुःखों का कारण भी हैं।
3. दुःख-निरोध अर्थात् दुःखों का अन्त सम्भव है।
4. दुःख-निरोध-मार्ग अर्थात् दुःखों के अन्त का एक मार्ग है।

बुध्द के समय उत्तर भारत में प्रमुख 4 राज्य थे- कौशल, मगध, वत्स और अवंति।

बौद्धों के 4 बड़े सम्प्रदाय है- माध्यमिक, सौत्रान्तिक, योगाचार और वैभाषिक।

बौद्ध साहित्य में यशोधरा के 4 नाम मिलते हैं- यशोधरा, भद्दकच्छा, बिम्बा तथा गोपा।

भगवान बुध्द ने अपने प्रिय शिष्य आनंद को 4 बौद्ध तीर्थ बताये थे- लुम्बिनी, सारनाथ, बोधगया तथा कुशीनारा।

बौद्ध सभा 4 बार हुई थी- अजातशत्रु के समय राजगृह में, कालाशोक के समय वैशाली में, अशोक के समय पटना में, और कनिष्क के समय काश्मीर में। जैन धर्म के 4 प्रमुख सम्प्रदाय थे- क्रियावादी, अक्रियावादी, अज्ञानवादी तथा विनयवादी।
महावीर से पूर्व जैन धर्म के प्रमुख 4 सिद्धांत थे- अहिंसा, सत्य, अस्तेय तथा अपरिग्रह। मौर्यकाल के 4 प्रमुख नगर- पाटलिपुत्र, कौशाम्बी, उज्जैन तथा तक्षशिला थे।कुंभ मेले का आयोजन 4 जगहों पर किया जाता है- हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन।

काशी, कौशल, अंग तथा वज्जी इन 4 महाजनपद के कारण मगध महाजनपद शक्तिशाली था।

सेल्युकस ने अपना 4 प्रान्त चंद्रगुप्त मौर्य को दे दिया था।

प्राचीन व्यवस्था के अनुसार समाज 4 भागों में विभाजित था- विद्या, रक्षा, अर्थ और श्रम।

प्रसिद्ध लोक पर्व छठ पूजा 4 दिनों की अवधि में मनाया जाता है- नहाय खाय,खरना, संध्याअर्घ्य और उगते सूर्य को अर्घ्य।

मनुष्य के लिये वेदों में 4 पुरुषार्थों का नाम लिया गया है- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष। इसलिए इन्हें ‘पुरुषार्थचतुष्टय’ भी कहते हैं।

84 लाख योनियाँ 4 गतियों में विभाजित की गई हैं- नरक गति, तिर्यंच गति, मनुष्य गति और देव गति।

हिमालय पर्वतों पर स्थित 4 धाम है- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री।

भारतीय धर्मग्रंथों में 4 धाम हैं-बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथ पुरी और रामेश्वरम्। हिंदू धर्म के संत शंकराचार्य द्वारा नियुक्त 4 मठ है- वेदांत ज्ञानमठ, गोवर्धन मठ, शारदा मठ और ज्योतिर्मठ।

धर्मग्रंथ में 4 वेद है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।

राजा दशरथ के 4 पुत्र थे- राम, लक्ष्मण, भरत, और शत्रुघ्न। युग 4 है – सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग और कलयुग।

भगवान विष्णु 4 आयुध धारण करते हैं- शंख, चक्र, गदा तथा पद्द।

विष्णु भगवान ने सृष्टि की रचना अपने 4 मानस पुत्रों सनक, सनंदन, सनत्कुमार तथा सनातन से प्रारंभ की।हर मनुष्य अपना जीवन 4 अवस्थाओं के द्वारा व्यतीत करता है:- जागृत, स्वप्न, सुसुप्ति व तुरीय।

मनुष्य जीवन की 4 अवस्थाएं- बचपन, किशोरावस्था, जवानी और बुढ़ापा।

प्राचीन काल में 4 आश्रम व्यवस्था थे- ब्रह्मचर्य, गृहस्था, वानप्रस्थ, संन्यास।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 4 अंक के मूलांक को भाग्यशाली अंक माना गया है।

हिन्दू समाज में वर्णों को 4 भागों में विभाजित किया गया है है:- ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य तथा शूद्र।अभिवादन व वृद्धजनों की सेवा करने वालों की आयु, विद्या, यश और बल ये 4 में वृद्धि होती हैं।

इन सब उद्धरणों के लिए फिराक गोरखपुरी की 4 पंक्तियां चिरस्मरणीय है:-
यह माना जिंदगी है चार दिन की,
बहुत होते है यारों चार दिन भी।

मारूति नंदन मिश्र,
नयागाँव, खगड़िया (बिहार)

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

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