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*सांस्कृतिक संध्या एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का आयोजन*

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*सांस्कृतिक संध्या एक शाम शहीदों के नाम कार्यक्रम का आयोजन*

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कारगिल विजय दिवस की रजत जयंती के अवसर पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् द्वारा शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए टी. पी. कॉलेज, मधेपुरा में ‘एक शाम शहीदों के नाम’ (सांस्कृतिक संध्या) का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर विभिन्न संस्थाओं के कलाकारों ने एकल गीत, समूह गीत एवं नृत्य आदि की प्रस्तुति दी।

*प्रांगण एवं कला संगम का जलवा*

 

कार्यक्रम में प्रांगण एवं कला संगम के कलाकारों का जलवा रहा। अध्यक्ष दिलखुश कुमार के नेतृत्व में प्रांगण रंगमंच के कलाकारों ने देशभक्ति नृत्य‌ एवं भक्ति नृत्य बम-बम भोले की अत्यंत सुंदर प्रस्तुति दी। इसमें रुचि यादव,पंखुड़ी यादव, अन्वी कुमारी, रोशनी कुमारी, आशी रोशन, परी कुमारी, श्रेया कुमारी, काव्यांश राज, साक्षी कुमारी आदि ने भाग लिया। कला संगम के कलाकारों ने शिव नृत्य महाकाल की प्रस्तुति देकर पूरे माहौल को भक्ति मय कर दिया। इसमें किशन कुमार, रितिका राज, सयोल पोल, गंगा गोस्वामी के नाम शामिल थे। नृत्यशाला के कलाकारों ने देशभक्ति नृत्य ‘देश रंगीला’ की सुंदर प्रस्तुति दी। कल्पना एवं अलका ने बिहार के प्रसिद्ध लोकनृत्य जट-जटिन की प्रस्तुति से सबों का दिल जीत लिया। प्रेमलता कुमारी ने देशभक्ति नृत्य की प्रस्तुति दी।

*देशभक्ति गीत पर झूमते रहे दर्शक एवं श्रोता*

कार्यक्रम में मौजूद दर्शक एवं श्रोता देर रात्रि तक देशभक्ति गीत पर झूमते रहे। युवा गायक रौशन कुमार ने जहां डाल-डाल पर देशभक्ति गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। जूनियर खेसारी लाल के द्वारा भी बहुत ही सुन्दर देशभक्ति गीत की प्रस्तुति दी गई। चर्चित गायिका शिक्षिका शशिप्रभा जायसवाल ने देशभक्ति गीत ‘इस देश को हिंदू न मुसलमान चाहिए’ की बेहतरीन प्रस्तुति देकर पूरे माहौल को देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत कर दिया। विद्या ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।

 

इस अवसर पर डॉ. बी. एन. विवेका के द्वारा स्वरचित कविता का काव्य-पाठ किया गया।

*सम्मानित किए गए कलाकार*

 

सांस्कृतिक संध्या के अंत में कलाकारों को प्रतीक चिह्न एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। मंच संचालन शिक्षिका शशिप्रभा जायसवाल एवं राजू सनातन ने किया।

इस अवसर पर समाजसेवी-साहित्यकार प्रो. भूपेंद्र नारायण मधेपुरी, प्रधानाचार्य प्रो. कैलाश प्रसाद यादव, प्रो. ललन प्रसाद अद्री, प्रज्ञा प्रसाद, डॉ. अशोक कुमार पोद्दार, डॉ. सिद्धेश्वर काश्यप, डॉ. उपेन्द्र प्रसाद यादव, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, दक्षिण बिहार प्रांत मंत्री नीतीश पटेल, उतर बिहार प्रांत मंत्री अभिषेक यादव, नगर अध्यक्ष सुधांशु शेखर, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रंजन यादव, समीक्षा यदुवंशी, अमोद आनंद, नीतीश सिंह यादव, विभाग संयोजक सौरभ यादव, जिला संयोजक नवनीत सम्राट, नगर मंत्री अंकित आनंद, राजू सनातन, अंशु कुमार,अजय कुमार, मनीष कुमार, काश्यप कुमार आदि उपस्थित थे।

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बिहार के लाल कमलेश कमल आईटीबीपी में पदोन्नत, हिंदी के क्षेत्र में भी राष्ट्रीय पहचान अर्धसैनिक बल भारत -तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) में कार्यरत बिहार के कमलेश कमल को सेकंड-इन-कमांड पद पर पदोन्नति मिली है। अभी वे आईटीबीपी के राष्ट्रीय जनसंपर्क अधिकारी हैं। साथ ही ITBP प्रकाशन विभाग की भी जिम्मेदारी है। पूर्णिया के सरसी गांव निवासी कमलेश कमल हिंदी भाषा-विज्ञान और व्याकरण के प्रतिष्ठित विद्वान हैं। उनके पिता श्री लंबोदर झा, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक हैं और उनकी धर्मपत्नी दीप्ति झा केंद्रीय विद्यालय में हिंदी की शिक्षिका हैं। कमलेश कमल को मुख्यतः हिंदी भाषा -विज्ञान, व्याकरण और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए देश भर में जाना जाता है। वे भारतीय शिक्षा बोर्ड के भी भाषा सलाहकार हैं। हिंदी के विभिन्न शब्दकोशों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं। उनकी पुस्तकों ‘भाषा संशय-शोधन’, ‘शब्द-संधान’ और ‘ऑपरेशन बस्तर: प्रेम और जंग’ ने राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की है। गृह मंत्रालय ने ‘भाषा संशय-शोधन’ को अपने अधीनस्थ कार्यालयों में उपयोग के लिए अनुशंसित किया है। उनकी अद्यतन कृति शब्द-संधान को भी देशभर के हिंदी प्रेमियों का भरपूर प्यार मिल रहा है। यूपीएससी 2007 बैच के अधिकारी कमलेश कमल की साहित्यिक एवं भाषाई विशेषज्ञता को देखते हुए टायकून इंटरनेशनल ने उन्हें देश के 25 चर्चित ब्यूरोक्रेट्स में शामिल किया था। वे दैनिक जागरण में ‘भाषा की पाठशाला’ लोकप्रिय स्तंभ लिखते हैं। बीते 15 वर्षों से शब्दों की व्युत्पत्ति एवं शुद्ध-प्रयोग पर शोधपूर्ण लेखन कर रहे हैं। सम्मान एवं योगदान : गोस्वामी तुलसीदास सम्मान (2023) विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय साहित्य सम्मान (2023) 2000 से अधिक आलेख, कविताएँ, कहानियाँ, संपादकीय, समीक्षाएँ प्रकाशित देशभर के विश्वविद्यालयों में ‘भाषा संवाद: कमलेश कमल के साथ’ कार्यक्रम का संचालन यूपीएससी मुख्य परीक्षा के लिए हिंदी एवं निबंध की निःशुल्क कक्षाओं का संचालन उनका फेसबुक पेज ‘कमल की कलम’ हर महीने 6-7 लाख पाठकों द्वारा पढ़ा जाता है, जिससे वे भाषा और साहित्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने का कार्य कर रहे हैं। बिहार के लिए गर्व का विषय : आईटीबीपी में उनकी इस उपलब्धि और हिंदी के प्रति उनके योगदान पर पूर्णिया सहित बिहारवासियों में हर्ष का माहौल है। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया है कि बिहार की प्रतिभाएँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ रही हैं। वरिष्ठ पत्रकार स्वयं प्रकाश के फेसबुक वॉल से साभार।

भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित दिनाँक 2 से 12 फरवरी, 2025 तक भोगीलाल लहेरचंद इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी, दिल्ली में “जैन परम्परा में सर्वमान्य ग्रन्थ-तत्त्वार्थसूत्र” विषयक दस दिवसीय कार्यशाला का सुभारम्भ।

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