Search
Close this search box.

*संविधान की 75 वीं वर्षगांठ पर बरबस याद आते संविधान सभा सदस्य कमलेश्वरी प्रसाद यादव* 

👇खबर सुनने के लिए प्ले बटन दबाएं

राठौर की कलम से……✍️

*संविधान की 75 वीं वर्षगांठ पर बरबस याद आते संविधान सभा सदस्य कमलेश्वरी प्रसाद यादव* 

 

किसी समाज की मिट्टी अपनी संस्कृति की संपूर्णता की अभिव्यक्ति के लिए अपने समाज में ही समय – समय पर ऐसे लोगों को उत्पन्न करती है जिनके कर्मयोग की क्षमता देखकर मानव समाज आश्चर्यचकित हुए बिना नहीं रहता।भारत भूमि की गंगा – जमुनी संस्कृति शौर्य समन्वय और सहयोग के संग शांति की परिचायक रही है।इन्हीं गुणों के मूर्तमान स्वरूप मधेपुरा की धरती हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभाओं के बल पर अपनी उपस्थिति का दंभ भरती रही है। भारत की संविधान सभा भी इससे अछूता नहीं रहा।जब अलग अलग स्तरों पर संविधान सभा के सदस्य चुने गए तो उसमें एक नाम इस धरा से भी था नाम था कमलेश्वरी प्रसाद यादव ।

 

*चतरा के कमलेश्वरी प्रसाद अपने समय के डबल एमए थे*

 

मधेपुरा के चतरा में चार जनवरी 1902 को जन्में कमलेश्वरी प्रसाद यादव जो *के* *पी* यादव के नाम से चर्चित रहे समाजसेवी ,नेता के साथ उन्होंने प्रखर शिक्षाविद के रूप में भी अपनी अलग पहचान बनाई।उस समय जब शिक्षा बहुत आसान नहीं थी तब अलग अलग विषयों में पटना विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एमए किया साथ ही पटना विश्वविद्यालय से ही कानून की भी डिग्री प्राप्त की।

 

 

*के पी कॉलेज मुरलीगंज शिक्षा से गहरे जुड़ाव का साकार रूप*

 

शायद शिक्षा से गहरे जुड़ाव का परिणाम ही मुरलीगंज में उनके द्वारा स्थापित के पी कॉलेज है जो कभी ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय और वर्तमान में भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन उच्च शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक शिक्षा के केंद्र बन उस क्षेत्र में शिक्षा का प्रकाश फैला रहा है।विशेषकर उस क्षेत्र के वैसे बच्चे जो अभाव में उच्च शिक्षा के लिए बाहर नहीं जा सकते उनके लिए कमलेश्वरी प्रसाद यादव द्वारा स्थापित यह कॉलेज किसी संजीवनी से कम नहीं।

 

*संविधान सभा में सक्रिय भागीदारी के लिए याद किए जायेंगे कमलेश्वरी प्रसाद यादव*

 

मधेपुरा की उपज कमलेश्वरी प्रसाद यादव निसंदेह शिक्षाविद,समाजसेवी और राजनीतीज्ञ रहे लेकिन इतिहास उन्हें बतौर संविधान सभा सदस्य सर्वाधिक याद करता है।नौ दिसंबर उन्नीस सौ सैंतालीस में कार्य शुरू करने वाले संविधान संभा ने कुल दो साल ग्यारह महीना अठारह दिन में संविधान तैयार किया। जिसमें बिहार से शामिल सदस्यों में एक नाम कमलेश्वरी प्रसाद यादव का भी था जो मधेपुरा के चतरा के प्रतिष्ठित जमींदार राम लाल मंडल के पुत्र थे। ये खगड़िया से निर्वाचित हुए थे।संविधान सभा सदस्य के रूप में जहां ये सभी बैठकों के हिस्सा रहे वहीं उनके महत्वपूर्व भाषण और सुझाव प्रोसिडिंग के अभिन्न हिस्सा हैं।

 

*संविधान की मूल प्रति बिहार लाए जाने वक्त भी मौजूद थे कमलेश्वरी प्रसाद यादव*

 

जब संविधान पूरी तरह बन कर तैयार हो गया और उसके लागू करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही थी तब उसके पहले मौजूद सभी सदस्यों का हस्ताक्षर अनिवार्य था ।अत्यधिक अस्वस्थ होने के कारण अस्थाई अध्यक्ष रहे सच्चिदानंद सिंहा का दिल्ली जाकर हस्ताक्षर करना संभव नहीं था वैसे में राजेंद्र प्रसाद जब संविधान की मूल कॉपी लेकर पटना आए और सच्चिदानंद सिंहा का हस्ताक्षर करवाया,ऐतिहासिक पल के जो कुछ खास हस्ती गवाह बनें उसमें एक नाम कमलेश्वरी प्रसाद यादव का भी था।आजादी के बाद संविधान संभा को ही पहली संसद का दर्जा मिला और इस तरह मधेपुरा के लाल कमलेश्वरी प्रसाद यादव ने मधेपुरा – खगड़िया क्षेत्र का संसद में प्रतिनिधित्व भी बखूबी निभाई।बाद में 1952 के बिहार विधान सभा चुनाव उदाकिशुनगंज से विधायक बनें,1972 में भी वो निर्वाचित हुए 15 नवंबर 1989 को उन्होंने आखिरी सांस ली।आज जब सम्पूर्ण भारत विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के रूप में अपने संविधान की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है तब मधेपुरा की विलक्षण प्रतिभा संविधान सभा सदस्य कमलेश्वरी प्रसाद यादव बरबस याद आते हैं।

 

हर्ष वर्धन सिंह राठौर

शोधार्थी, इतिहास,BNMU

प्रधान संपादक, युवा सृजन

READ MORE